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जब राजा-रानी ने दे दी अपने बेटे की बलि...फिर नगरी का नाम पड़ा आरंग! जानिए पौराणिक कथा

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राजा मोरध्वज की नगरी आरंग की पौराणिक कहानी

Mahasamund News: छत्तीसगढ़ के आरंग शहर की कहानी पौराणिक होने के साथ-साथ मार्मिक भी है. कथा के अनुसार, यहां के राजा मोरध् ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: रामकुमार नायक

महासमुंद: छत्तीसगढ़ के महासमुंद की सीमा से लगे आरंग शहर की कहानी मार्मिक और पौराणिक है. आरा और अंग इन दो शब्दों से मिलकर आरंग बना है. प्रचलित कथा के अनुसार, जब राजा-रानी ने साधु के भेष में पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन को दिए गए वचन को निभाने के लिए अपने बेटे को आरा से चीरकर शेर को भोजन परोसा था. राजा-रानी ने बेटे की कुर्बानी देकर अपना वचन निभाया.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 36 किलोमीटर दूर दानवीर राजा मोरध्वज की नगरी आरंग स्थित है. आरंग के बस स्टैंड में रानी पद्मावती और राजा मोरध्वज के द्वारा अपने बेटे ताम्रध्वज को आरा से चीरते हुए मूर्तिकला से प्रदर्शित किया गया है. इसमें आरा और अंग से मिलकर आरंग नामकरण होना दिखाया गया है. इस पौराणिक कथा के कारण ही इस नगर का नाम आरंग पड़ा, ऐसी जनश्रुति और मान्यताएं हैं.

जब पांडवों के घोड़े को पकड़ लिया
इतिहास के जानकार डॉ. तेज कुमार जलक्षत्री बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडवों ने अश्वमेघ यज्ञ करने का ऐलान किया. इस यज्ञ का विधान होता था कि एक घोड़े को स्वच्छंद विचरण करने के लिए छोड़ दिया जाता था और यदि उस अश्व को किसी ने पकड़ लिया तो यह माना जाता था कि वह युद्ध के लिए चुनौती दे रहा है. पांडवों द्वारा छोड़े गए घोड़े को राजा मोरध्वज ने पकड़ लिया. इससे अर्जुन क्रोधित हो गए और युद्ध करने पर उतारू हो गए. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को रोका और राजा मोरध्वज की विशेषताएं बताईं. दोनों मिलकर राजा की दानशीलता और त्याग की परीक्षा लेने के लिए आरंग पहुंचे.

पुनर्जीवित हो गया बेटा
डॉ. तेज आगे बताते हैं कि राजा मोरध्वज जैसे ही उनके स्वागत-सत्कार के लिए आए. साधु के भेष में पहुंचे श्रीकृष्ण ने कहा- राजन! मेरा शेर अर्से से भूखा है. इसे मांस चाहिए. मोरध्वज ने कहा इसे मैं भोजन अवश्य कराउंगा. तब श्रीकृष्ण ने कहा कि मेरे सिंह को मानव मांस चाहिए. राजा ने अपना शरीर समर्पित करने आगे बढ़ाया. तब श्रीकृष्ण ने कहा कि इस शेर को तुम्हारे पुत्र का ही मांस चाहिए. राजा ने अपना वचन निभाने के लिए रानी के साथ मिलकर बेटे पर आरा चलाई और वे श्रीकृष्ण के द्वारा लिए जाने वाली परीक्षा में सफल भी हुए. तब से यह नगरी आरंग के नाम से प्रख्यात है. ऐसी किवदंती है कि ईश्वर कृपा से राजा मोरध्वज के बेटे ताम्रध्वज पुनर्जीवित हो गए थे.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Chhattisgarh news, Mahasamund News

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