रायगढ़ जिले में कुछ ऐसे गांव हैं जहां बचपन से ही लोग बूढ़े होने का दर्द झेल रहे हैं.
हरिपाल सिंह खुंटे
रायगढ़. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले को यूं तो औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है. विकास के दावे भी किए जाते हैं. लेकिन हकीकत अलग है. जिला मुख्यालय से महज 50 किमी दूर एक गावं हैं, लेकिन ये दूरी शायद चांद जितनी हो गई है. क्योंकि पूरा गांव भयंकर बीमारी से त्रस्त है. आलम यह है कि इस गांव में लोग अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहते. यहाँ रिश्तेदारी रखना नहीं चाहते.
रायगढ़ जिले में कुछ ऐसे गांव हैं जहां बचपन से ही लोग बूढ़े होने का दर्द झेल रहे हैं. आज भी यहां बुनियादी सुविधाओं में से एक साफ पानी लोगों की पहुंच से कोसों दूर है.दरअसल, रायगढ़ जिला अन्तर्गत तमनार ब्लाक के मुड़ागांव, सराईटोला और गारे गांव के पानी में फ्लोरीन की मात्रा इतनी अधिक है कि फ्लोराइड की वजह से यहां के छोटे बच्चों के दांत के ऊपर काले-पीले होकर टूट रहे.. जो नए दांत आ रहे हैं, वह भी टेढ़े-मेढ़े हैं. उम्र बढ़ने के साथ लोगों के हड्डी का लचीलापन खत्म हो जा रहा है और शरीर अकड़ कर झुक रहा है. यही कारण है कि गांव के ज्यादातर लोग, जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, उनके शरीर में कुबड़ दिखाई दे रहे हैं और शरीर झुकने लगा है.
क्या कहते हैं बीमारी से पीड़ित लोग
कुबड़पन से ग्रसित महिला पुनाई ने बताया कि शरीर धीरे-धीरे समय के साथ झुकने लगा और अभी स्थितियां हो गई है कि सीधा खड़ा होना संभव नहीं होता. जब तक लाठी डंडे के सहारे ना रहे तो चलना भी मुश्किल होता है. पहले वह भी सामान्य थी, लेकिन धीरे से शरीर में बदलाव शुरू होना हुआ. अब स्थिति यह हो गई है कि शरीर में सैकड़ों सुई चुभने जैसे दर्द होता है और शरीर की हड्डियां के भीतर से असहनीय दर्द होता है.चेतराम ने बताया कि उनके गांव में पहले अन्य गांव की तरह ही सामान्य स्थिति थी. उनके बाप दादा कभी इस तरह की बीमारी से ग्रसित नहीं थे. बीते 20-25 सालों में ही इस तरह की समस्या आई है. लोग कुबड़े हो रहे हैं और बच्चों के दांत काले पड़ रहे हैं. पास के ही गांव में रहने वाले जागेश ने बताया कि उन गांव से कोई भी रिश्ता रखना नहीं चाहता है. जब से लोग पता चला है कि वहां के पानी में फ्लोराइड है और लोग कुबडे और बच्चों के दांत पीले पड़ रहे हैं, तब से वहां से दूरी बना लिए हैं.
स्कूल आने वाले बच्चों को भी दिक्कत
शासकीय प्राथमिक शाला सराईटोला के प्रधान पाठक अमर राठिया ने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के दांत काले और पीले हो गए हैं.. साफ करवाने से भी दांत साफ नहीं हो रहा है.. इस गांव के ज्यादातर व्यस्क व्यक्ति कुबड़पन के शिकार हैं गांव के कोटवार धर्म चौहान ने बताया कि फ्लोराइड हटाने के लिए प्लांट लगा था, लेकिन वह भी कई साल से बंद है. लोगों को पता है कि पानी खराब है, लेकिन बिना पानी के रह नहीं सकते हैं, इसीलिए मजबूरन पी रहे हैं और बीमार हो रहे हैं.
जानकारी है, लेकिन मदद को कोई तैयार नहीं
ऐसा नहीं है कि राजनीतिक दल इससे बेखबर हैं, जब नेता सत्ता में होते हैं तब इस ओर कोई ध्यान नहीं देता. जब नेता विपक्ष में हो गए तो आज उनकी याद आने लगी. क्षेत्र के पूर्व भाजपा विधायक सत्यानंद राठिया अब इनके दुखों पर अपना दर्द व्यक्त कर रहे हैं औऱ विपक्ष में आते ही उन्हें ग्रामीणों की चिंता सताने लगी है. ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है. जिले के अधिकारी भी ग्रामीणों के इस समस्या से रूबरू है, लेकिन अधिकारी आज भी कागजी दावे ही कर रहे हैं. कागजों में फ्लोराइड निपटारे के लिए फिल्टर प्लांट लगा दिया गया था, लेकिन प्लांट की सुध लेने के लिए कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं गया. नतीजा यह निकला कि प्लांट बरसों पहले खराब हो चुका है. अधिकारी अब स्टीमेट बनाकर वर्क आर्डर जारी कर मशीन ठीक कराने की बात कह रहे हैं.
इस बीमारी का इलाज नहीं हैःडॉक्टर
लोगों की समस्या को लेकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत अग्रवाल कहते हैं कि सराई टोलाऔर मुडागांव से इलाज कराने कई लोग आ चुके हैं, तब से वो क्षेत्र की इस समस्या को जानते हैं. फ्लोराइड की समस्या से लोगो की दांत और हड्डियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं. शुरुआती लक्षण दांत का पीलापन दांत के काले हो जाना और बुरादे की तरह टूटना होता है.. लगातार फ्लोराइड युक्त पानी पीने से यह समस्या और गंभीर हो जाती है और धीरे-धीरे शरीर का लचीलापन खत्म हो जाता है. इस वजह से शरीर में गठान होने लगती है और कमर झुक कर कुबड़ा हो जाता है.. दुर्भाग्य की बात यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है. शुरुआती लक्षण के बाद कुछ परहेज करके इससे निजात पाया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से ग्रामीणों के अंदर फ्लोराइड घुल चुका है, उनका इलाज संभव नहीं है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Chhattisagrh news, Clean water, Death by drinking water