PM आवास के पैसों से खरीदे बाइक, कूलर और फ्रिज, प्रदेशभर में जांच की मांग

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्पकांक्षी योजना को अफसरों की लापरवाही की वजह से पलीता लगता नजर आ रहा है.
रायगढ़ में सामने आए इस मामले के बाद अब प्रदेश भर में पीएम आवास योजना के तहत बांटी गई राशि की जांच कराने की मांग की जा रही है.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: July 18, 2019, 12:37 PM IST
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्पकांक्षी योजना को अफसरों की लापरवाही की वजह से पलीता लगता नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है. प्रदेश के रायगढ़ जिले में हितग्राही इस योजना का बेजा इस्तेमाल करते पकड़े गए हैं. आवास के लिए मिली राशि से घर बनाना छोड़ बाइक, कूलर, फ्रिज और अन्य दूसरे सामान खरीदने का मामला पकड़ा गया है. इसमें हितग्राहियों के साथ ही अफसरों की लापरवाही भी सामने आई है.
रायगढ़ में सामने आए इस मामले के बाद अब प्रदेश भर में पीएम आवास योजना के तहत बांटी गई राशि की जांच कराने की मांग की जा रही है. कांग्रेस तो इस मामले को लेकर सीधे तौर पर बीजेपी पर हमलावार है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार के दौरान सरकारी योजनाओं का बेजा लाभ बीजेपी और आरएसएस के लोगों को दिया जाता था. इस तरह के और भी मामले प्रदेश भर में सामने आएंगे. इसलिए पूरे प्रदेश में इसकी जांच की जानी चाहिए.
अफसरों पर कार्रवाई की मांग
छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना है. इस योजना के बेजा इस्तेमाल के लिए हितग्राहियों से ज्यादा वहां के अफसर जिम्मेदार हैं. क्योंकि उन्होंने राशि आंबटन के बाद सही समय में मॉनिटरिंग नहीं की, नहीं तो राशि के बेजा इस्तेमाल से रोका जा सकता था. इसलिए हितग्राहियों की जगह जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही इस योजना के तहत बांटी गई राशि को लेकर प्रदेश भर में जांच करनी चाहिए.
क्या है मामला?
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022 तक देश में सभी को छत मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में लाभार्थी इस योजना का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार मकान बनाने के लिए गरीबों के खाते में पैसे डाल रही है, लेकिन वो उस पैसे को लेकर अन्य चीजों में खर्च कर रहे हैं. किसी ने उस पैसे से बाइक खरीद ली तो कोई टीवी, फ्रिज और कूलर खरीदकर ले आया. मकान के नाम पर कहीं पत्थरों का टीला है तो कहीं झोपड़ियां खड़ी हैं. परेशान जिला पंचायत ने ऐसे लोगों से राशि वसूलने के लिए एसडीएम को नोटिस जारी करने को कहा है. रायगढ़ जिले के सभी 9 जनपदों में ऐसे 792 लोग हैं, जिन्हें पहली किस्त की राशि 3 करोड़ 80 लाख रुपए जारी करने के बाद भी मकान नहीं बना है.
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रायगढ़ में सामने आए इस मामले के बाद अब प्रदेश भर में पीएम आवास योजना के तहत बांटी गई राशि की जांच कराने की मांग की जा रही है. कांग्रेस तो इस मामले को लेकर सीधे तौर पर बीजेपी पर हमलावार है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार के दौरान सरकारी योजनाओं का बेजा लाभ बीजेपी और आरएसएस के लोगों को दिया जाता था. इस तरह के और भी मामले प्रदेश भर में सामने आएंगे. इसलिए पूरे प्रदेश में इसकी जांच की जानी चाहिए.
अफसरों पर कार्रवाई की मांग
छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना है. इस योजना के बेजा इस्तेमाल के लिए हितग्राहियों से ज्यादा वहां के अफसर जिम्मेदार हैं. क्योंकि उन्होंने राशि आंबटन के बाद सही समय में मॉनिटरिंग नहीं की, नहीं तो राशि के बेजा इस्तेमाल से रोका जा सकता था. इसलिए हितग्राहियों की जगह जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही इस योजना के तहत बांटी गई राशि को लेकर प्रदेश भर में जांच करनी चाहिए.

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क्या है मामला?
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022 तक देश में सभी को छत मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में लाभार्थी इस योजना का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार मकान बनाने के लिए गरीबों के खाते में पैसे डाल रही है, लेकिन वो उस पैसे को लेकर अन्य चीजों में खर्च कर रहे हैं. किसी ने उस पैसे से बाइक खरीद ली तो कोई टीवी, फ्रिज और कूलर खरीदकर ले आया. मकान के नाम पर कहीं पत्थरों का टीला है तो कहीं झोपड़ियां खड़ी हैं. परेशान जिला पंचायत ने ऐसे लोगों से राशि वसूलने के लिए एसडीएम को नोटिस जारी करने को कहा है. रायगढ़ जिले के सभी 9 जनपदों में ऐसे 792 लोग हैं, जिन्हें पहली किस्त की राशि 3 करोड़ 80 लाख रुपए जारी करने के बाद भी मकान नहीं बना है.
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