कांग्रेस के इस गढ़ में पूर्व IAS की चुनौती, क्या भाजपा भेद पाएगी ये किला

प्रतीकात्मक फोटो
खरसिया विधानसभा सीट एक सामान्य सीट है. वर्तमान में नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल यहां से विधायक है. भाजपा ने पूर्व आईएएस अफसर और रायपुर के कलेक्टर रहे ओपी चौधरी को टिकट देकर खसरिया सीट पर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: November 27, 2018, 1:04 PM IST
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के वोटिंग की प्रक्रिया खत्म हो गई है. कई दिग्गजों की साख और राजनीतिक पार्टियों के दांव पेच का फैसला जल्द सामने आ जाएगा. सूबे में ऐसी कई सीट है जो राज्य के राजनीति पर सीधा प्रभाव डालती है. ऐसा ही दिलचस्प और हाईप्रोफाइट सीट है रायगढ़ का खरसिया विधानसभा.
गौरतलब है कि खरसिया विधानसभा सीट एक सामान्य सीट है. वर्तमान में नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल यहां से विधायक है. कांग्रेस ने हमेशा से ही खरसिया को अपना गढ़ माना है. कांग्रेस के इस गढ़ को जीतने के लिए भाजपा ने अपना 'ब्रह्मास्त्र' मैदान में उतारा है. भाजपा ने पूर्व आईएएस अफसर और रायपुर के कलेक्टर रहे ओपी चौधरी को टिकट देकर खसरिया सीट पर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है.
खरसिया से कौन-कौन है मैदान में-
उमेश पटेल- कांग्रेसओपी चौधरी- बीजेपी
अमर अग्रवाल- आम आदमी पार्टी
खरसिया में मतदाता
कुल मतदाता- 2 लाख 518
पुरुष मतदाता- 1 लाख 907
महिला मतदाता- 99 हजार 587
थर्ड जेंडर मतदाता- 24
पिछले चुनाव पर एक नजर-
2013 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत कांग्रेस की हुई थी. खसरिया से कांग्रेस के उमेश पटेल ने अपनी जीत दर्ज की थी. उमेश पटेल ने बीजेपी के जवाहर लाल नाइक को हराया था. उमेश पटेल को 95470 वोट मिले थे. जबकि जवाहर लाल नाइक को 56582 वोट मिले थे. उमेश पटेल ने 38,888 वोटों से जीत अपने नाम की थी.
जनता के मुद्दे-
खरसिया विधानसभा क्षेत्र में आम जनता का सबसा बड़ा चुनावी मुद्दा है स्वास्थ्य का. काफी समय से इस क्षेत्र में अच्छे अस्पताल और डॉक्टरों की कमी बनी हुई है. युवाओं की बेरोजगारी, सड़क और आउट सोर्सिंग भी इस क्षेत्र के मुद्दे है. जिसे लेकर कभी न कभी इस इलाके में लोगों ने आंदोलन किया है.
खरसिया का चुनावी समीकरण-
खरसिया सीट पर जीत हासिल करना किसी भी पार्टी के लिए आसान होता नहीं दिख रहा है. सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ने ही युवा प्रत्याशियों को टिकट दिया है. खरसिया में एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल हैं तो दूसरी तरफ एक पूर्व आईएएस अफसर और यूथ आइकन ओपी चौधरी हैं. तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी अमर अग्रवाल जैसे युवा चेहरे को मैदान में उतारा है.
कांग्रेस का राजनीतिक वर्चस्व पर भरोसा
बात अगर खरसिया विधानसभा सीट की करें तो इस सीट पर हमेशा से पटेल समाज का प्रत्याशी ही विधायक बना है. खरसिया पर कांग्रेस के नंदकुमार पटेल 5 बार विधायक रह चुके हैं. तो वहीं उनके बाद छोटे बेटे उमेश पर जनता ने अपना भरोसा जताया. 2013 के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से उमेश को जनता ने जीत दिलाई थी. उमेश के 5 साल के कार्यकाल से जनता पर अच्छा असर भी देखा जा सकता है. गौरतलब हो कि नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल की ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ रही है. इसके अलावा उमेश की माता नीला देवी नंदकुमार पटेल और भाभी भावना दिनेश पटेल द्वारा महिला मतदाताओं का समर्थन हासिल करना कांग्रेस की जीत आसान कर सकता है.
इस यूथ आइकन पर भाजपा ने खेला दांव
खरसिया सीट पर बीजेपी ने ओपी चौधरी को मैदान में उतारा है. ओपी चौधरी मूल रूप से खरसिया के ही निवासी है. वे भी अघरिया (पटेल) समाज से हैं. खरसिया से लगे जांजगीर जिले में जब वे कलेक्टर थे तब कई नई योजनाओं का क्रियान्वन किया और लोकप्रिय भी हुए थे. युवाओं के लिए ओपी चौधरी ने कई काम किए. जिससे वे इनके बीत काफी फेमस भी है. अपने समाज के युवाओं के बीच भी ओपी काफी लोकप्रिय हैं. भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी ने क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
आम आदिमी पार्टी ने मैदान में उतारा युवा चेहरा
आम आदमी पार्टी के युवा प्रत्याशी अमर अग्रवाल आदिवासी अंचल बरगढ़ खोला, खरसिया नगरीय क्षेत्र सहित सूपा मंडल एवं रायगढ़ पश्चिम क्षेत्र में अपनी जोर आजमाइश कर रहे है. इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है इन्हें मिलने वाले वोट और वोटों का अंतर दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने में कितना अहम है. आम आदमी पार्टी के युवा प्रत्याशी अमर अग्रवाल भी अपने पूरे दम खम से अपनी जीत का दावा कर रहे है.
रायगढ़ का खरसिया विधानसभा सीट इस बार पॉलिटीकल एंगल से काफी इंटस्टिंग सीट माना जा रहा है. इस हाई प्रोफाइस सीट पर एक और राजनीतिक वर्चस्व है तो दूसरी और युवा चेहरा. अब जनता ने किस पर भरोसा जताया है और जीत किसकी होती है ये फैसला जल्द आने वाला है.
गौरतलब है कि खरसिया विधानसभा सीट एक सामान्य सीट है. वर्तमान में नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल यहां से विधायक है. कांग्रेस ने हमेशा से ही खरसिया को अपना गढ़ माना है. कांग्रेस के इस गढ़ को जीतने के लिए भाजपा ने अपना 'ब्रह्मास्त्र' मैदान में उतारा है. भाजपा ने पूर्व आईएएस अफसर और रायपुर के कलेक्टर रहे ओपी चौधरी को टिकट देकर खसरिया सीट पर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है.
खरसिया से कौन-कौन है मैदान में-
उमेश पटेल- कांग्रेसओपी चौधरी- बीजेपी
अमर अग्रवाल- आम आदमी पार्टी
खरसिया में मतदाता
कुल मतदाता- 2 लाख 518
पुरुष मतदाता- 1 लाख 907
महिला मतदाता- 99 हजार 587
थर्ड जेंडर मतदाता- 24
पिछले चुनाव पर एक नजर-
2013 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत कांग्रेस की हुई थी. खसरिया से कांग्रेस के उमेश पटेल ने अपनी जीत दर्ज की थी. उमेश पटेल ने बीजेपी के जवाहर लाल नाइक को हराया था. उमेश पटेल को 95470 वोट मिले थे. जबकि जवाहर लाल नाइक को 56582 वोट मिले थे. उमेश पटेल ने 38,888 वोटों से जीत अपने नाम की थी.
जनता के मुद्दे-
खरसिया विधानसभा क्षेत्र में आम जनता का सबसा बड़ा चुनावी मुद्दा है स्वास्थ्य का. काफी समय से इस क्षेत्र में अच्छे अस्पताल और डॉक्टरों की कमी बनी हुई है. युवाओं की बेरोजगारी, सड़क और आउट सोर्सिंग भी इस क्षेत्र के मुद्दे है. जिसे लेकर कभी न कभी इस इलाके में लोगों ने आंदोलन किया है.
खरसिया का चुनावी समीकरण-
खरसिया सीट पर जीत हासिल करना किसी भी पार्टी के लिए आसान होता नहीं दिख रहा है. सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ने ही युवा प्रत्याशियों को टिकट दिया है. खरसिया में एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल हैं तो दूसरी तरफ एक पूर्व आईएएस अफसर और यूथ आइकन ओपी चौधरी हैं. तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी अमर अग्रवाल जैसे युवा चेहरे को मैदान में उतारा है.
कांग्रेस का राजनीतिक वर्चस्व पर भरोसा
बात अगर खरसिया विधानसभा सीट की करें तो इस सीट पर हमेशा से पटेल समाज का प्रत्याशी ही विधायक बना है. खरसिया पर कांग्रेस के नंदकुमार पटेल 5 बार विधायक रह चुके हैं. तो वहीं उनके बाद छोटे बेटे उमेश पर जनता ने अपना भरोसा जताया. 2013 के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से उमेश को जनता ने जीत दिलाई थी. उमेश के 5 साल के कार्यकाल से जनता पर अच्छा असर भी देखा जा सकता है. गौरतलब हो कि नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल की ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ रही है. इसके अलावा उमेश की माता नीला देवी नंदकुमार पटेल और भाभी भावना दिनेश पटेल द्वारा महिला मतदाताओं का समर्थन हासिल करना कांग्रेस की जीत आसान कर सकता है.
इस यूथ आइकन पर भाजपा ने खेला दांव
खरसिया सीट पर बीजेपी ने ओपी चौधरी को मैदान में उतारा है. ओपी चौधरी मूल रूप से खरसिया के ही निवासी है. वे भी अघरिया (पटेल) समाज से हैं. खरसिया से लगे जांजगीर जिले में जब वे कलेक्टर थे तब कई नई योजनाओं का क्रियान्वन किया और लोकप्रिय भी हुए थे. युवाओं के लिए ओपी चौधरी ने कई काम किए. जिससे वे इनके बीत काफी फेमस भी है. अपने समाज के युवाओं के बीच भी ओपी काफी लोकप्रिय हैं. भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी ने क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
आम आदिमी पार्टी ने मैदान में उतारा युवा चेहरा
आम आदमी पार्टी के युवा प्रत्याशी अमर अग्रवाल आदिवासी अंचल बरगढ़ खोला, खरसिया नगरीय क्षेत्र सहित सूपा मंडल एवं रायगढ़ पश्चिम क्षेत्र में अपनी जोर आजमाइश कर रहे है. इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है इन्हें मिलने वाले वोट और वोटों का अंतर दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने में कितना अहम है. आम आदमी पार्टी के युवा प्रत्याशी अमर अग्रवाल भी अपने पूरे दम खम से अपनी जीत का दावा कर रहे है.
रायगढ़ का खरसिया विधानसभा सीट इस बार पॉलिटीकल एंगल से काफी इंटस्टिंग सीट माना जा रहा है. इस हाई प्रोफाइस सीट पर एक और राजनीतिक वर्चस्व है तो दूसरी और युवा चेहरा. अब जनता ने किस पर भरोसा जताया है और जीत किसकी होती है ये फैसला जल्द आने वाला है.