Lockdown के चलते भूपेश बघेल सरकार 17 के बजाए 30 रुपये किलो महुआ फूल खरीदेगी

महुआ फूल चुनती हुई आदिवासी स्त्रियां
आदिवासियों से अब राज्य सरकार द्वारा महुआ फूल को 17 रुपये प्रतिकिलो के बजाए 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदा जाएगा. छत्तीसगढ़ में 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लगभग 650 करोड़ रुपए संग्रहण के पश्चात दिया जाएगा.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: April 21, 2020, 7:00 AM IST
रायपुर. कोरोना संकट (Corona Crises) के दौरान लॉक डाउन (Lockdown) में वनोपज का संग्रहण करने वाले आदिवासियों (Tribals) को राहत दी है. आदिवासियों से अब राज्य सरकार द्वारा महुआ फूल को 18 रुपये प्रतिकिलो के बजाए 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदा जाएगा. छत्तीसगढ़ में 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लगभग 650 करोड़ रुपए संग्रहण के पश्चात दिया जाएगा. प्रदेश सरकार के इस निर्णय से कोरोना के इस संकट काल में वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को लाभ होगा.
महुआ आदिवासियों के लिए जीवकोपार्जन का महत्वपूर्ण स्रोत
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों से परिपूर्ण है. वनांचल क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए महुआ जीवकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. इसके संग्रहण के बाद इसे सूखा कर समर्थन मूल्य पर बेच कर आदिवासी अपनी आजीविका चलाते हैं. भोर होते ही टोकरी लेकर जंगल की ओर जाते वनवासियों का दृश्य वनांचल क्षेत्रों में आम है. भरी दुपहरी तक महुआ फूलों का संग्रहण करना और फिर उसे धूप में सुखाना, ये आदिवासियों की नियमित दिनचर्या में शामिल है.
राज्य सरकार पहले 18 रुपये किलो खरीदती थी महुआराज्य सरकार पहले महुआ फूलों की खरीदी 17 रुपये प्रतिकिलो ग्राम के दर से करती थी. इस साल सरकार पैसे बढ़ाकर आदिवासियों को राहत दे रही है. सरकार के इस अहम फैसले से आदिवासियों को उनकी मेहनत का अधिक मूल्य मिल सकेगा. वहीं, वनवासियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की भी तैयारी कर ली है. प्रदेश में 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लगभग 650 करोड़ रुपए संग्रहण के पश्चात भुगतान किया जएगा.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते साल आदिवासियों से 17 रुपए प्रति किलो की दर से महुआ और 45 रुपए की प्रति किलो की दर से आंवला खरीदा था.
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महुआ आदिवासियों के लिए जीवकोपार्जन का महत्वपूर्ण स्रोत
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों से परिपूर्ण है. वनांचल क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए महुआ जीवकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. इसके संग्रहण के बाद इसे सूखा कर समर्थन मूल्य पर बेच कर आदिवासी अपनी आजीविका चलाते हैं. भोर होते ही टोकरी लेकर जंगल की ओर जाते वनवासियों का दृश्य वनांचल क्षेत्रों में आम है. भरी दुपहरी तक महुआ फूलों का संग्रहण करना और फिर उसे धूप में सुखाना, ये आदिवासियों की नियमित दिनचर्या में शामिल है.
राज्य सरकार पहले 18 रुपये किलो खरीदती थी महुआराज्य सरकार पहले महुआ फूलों की खरीदी 17 रुपये प्रतिकिलो ग्राम के दर से करती थी. इस साल सरकार पैसे बढ़ाकर आदिवासियों को राहत दे रही है. सरकार के इस अहम फैसले से आदिवासियों को उनकी मेहनत का अधिक मूल्य मिल सकेगा. वहीं, वनवासियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की भी तैयारी कर ली है. प्रदेश में 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को लगभग 650 करोड़ रुपए संग्रहण के पश्चात भुगतान किया जएगा.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते साल आदिवासियों से 17 रुपए प्रति किलो की दर से महुआ और 45 रुपए की प्रति किलो की दर से आंवला खरीदा था.
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