छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव (Urban body elections) में पार्षद से लेकर महापौर (Mayor) पद के लिए सभी प्रत्याशियों के चेहरे बदल सकती है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में चेहरे बदलने से मिले फायदे के बाद दिल्ली (Delhi) निकाय चुनाव का फॉर्मूला (Formula) छत्तीसगढ़ में भी अपनाया जा सकता है. दरअसल, विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों पर दांव खेलकर बीजेपी (BJP) को मुंह की खानी पड़ी और 15 सालों से छत्तीसगढ़ में राज करने के बाद बीजेपी के हांथों से सत्ता निकल गई. लेकिन लोकसभा में पार्टी ने सभी सिंटिंग सांसदों (Seating MLA) की टिकट काट दी और नए चेहरों को मौका दिया. इसके नतीजे भी बीजेपी के पक्ष में रहे ऐसे में निकाय चुनाव में भी यही फॉर्मूला अपनाए जाने की उम्मीद जताई जा रही है. बता दें, छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान सभी प्रत्याशियों के चेहरे बदलने के बाद मिली जीत से उत्साहित बीजेपी अब यही फॉर्मूला आगामी नगरीय निकाय चुनाव में भी आजमा सकती है. इसे लेकर पार्टी में अंदरूनी स्तर पर चर्चा भी शुरू हो गई है.
मान रही है कि स्थानीय एंटीइनकमबेंसी (Antiincumbency) के लिए पुराने चेहरे ही जिम्मेदार है और इसलिए पार्टी ने अपने स्तर पर सर्वे भी करा लिया है. जहां-जहां सर्वे में मौजूदा पार्षदों और महापौर प्रत्याशियों के खिलाफ रिपोर्ट आई है वहां चेहरे बदलने पर बीजेपी जोर दे रहे है. इधर कांग्रेस (Congress) का अभी से प्रत्याशियों पर चर्चा को शेख चिल्ली के सपने बता रही है.
में एक नया फॉर्मूला अपना गया था. मोदी जी ने जो काम किया है उसका भी फायदा पार्टी को मिलेगा. निकाय चुनाव में जीत के लिए हर संभव प्लानिंग की जाएगी. आखिरी फैसला प्रांतिय नेतृत्व का होगा. वहीं पीसीसी संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि अभी नगरीय निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची बनने का काम शुरू हुआ है. कांग्रेस का पूरा फोकस नए मतदाताओं को जोड़ने में है. अभी से बीजेपी प्रत्याशियों की बात कर रही है.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2019, 17:03 IST