दो महीने से नहीं मिला वेतन, छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मी कर सकते है फिर आंदोलन

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23 सालों के लंबे इंतजार के बाद छत्तीसगढ़ की पिछली भाजपा सरकार ने शिक्षकर्मियों के संविलियन का आदेश जारी किया था.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: May 4, 2019, 12:59 PM IST
छत्तीसगढ़ में बनी नई कांग्रेस सरकार के खिलाफ सूबे के शिक्षकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. दरअसल, पंचायत और नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 60 हजार से अधिक शिक्षकों को दो महीनों से वेतन ही नहीं मिला है. वेतन नहीं मिलने से शिक्षाकर्मियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है. इस वजह से शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने राज्य सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम भी दे दिया है. शिक्षाकर्मी संघ का कहना है कि राज्य सरकार अगर इन 15 दिनों के अंदर वेतन को लेकर कोई ठोक कदम नहीं उठाएगी तो आने वाले समय में शिक्षाकर्मी आंदोलन का रुख अपना सकते है. शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे का कहना है कि दो महीने से प्रदेश के शिक्षाकों को वेतन नहीं मिला है. हमारी मांग है कि कांग्रेस ने जो वादें जनघोषणा पत्र में किए थे, उसे भी पूरे करें. शिक्षाकर्मियों को तत्काल वेतन सरकार उपलब्ध कराए. आगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुए तो निश्चित तौर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा. मालूम हो, दिसंबर में संविलियन की मांग को लेकर 15 दिनों से ज्यादा का आंदोलन किया था. अगर समय में इन्हे वेतन नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में शिक्षाकर्मी फिर एक बार बड़ा आंदोलन कर सकते है.
कब हुआ था संविलियन
छत्तीसगढ़ की पिछली डॉ. रमन सिंह की सरकार ने शिक्षाकर्मियों को स्कूल विभाग में संविलियन करने का फैसला लिया था. इस फैसले के मुताबिक पंचायतों और नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 1 लाख 50 हजार शिक्षाकर्मियों को स्कूल विभाग में संविलियन करने का निर्णय लिया गया था. इस फैसले के मुताबिक पहले चरण में 8 साल की सेवा पूरी करने वाले 1 जुलाई 2018 को 1 लाख 3 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया जाना था. दूसरे आदेश में लगभग 10 हजार शिक्षकों का संविलियन किया जाना था. फैसला लिया गया था कि हर साल एक जनवरी और एक जुलाई को संविलिनय का आदेश जारी किया जाएगा. बताया जाता है कि इस फैसले से सरकार पर लगभग 1 हजार 346 रुपए का वित्तीय भार आने की बात कही गई थी.
शिक्षाकर्मियों के वेतन संबंधी इस मामले पर अब सियासत हो रही है. भाजपा सत्तारुढ़ पार्टी कांग्रेस पर हमला बोल रही है, तो वहीं कांग्रेस भी बीजेपी पर कई आरोप लगा रही है. बीजेपी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी का कहना है कि छत्तीसगढ़ की स्थिति काफी बुरी हो गई है. राज्य गठन के बाद ऐसी स्थिति मैन नहीं देखी. तीन महीने से बुजुर्गों को पेंशन नहीं मिल रहा है. दो महीने से शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है. ये कांग्रेस सरकार की विफलता ही है जो सूबे में ऐसी स्थिति बन रही है. तो वहीं कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि शिक्षाकर्मियों के लिए भाजपा ने जो घोषणा की थी उसके लिए वित्तीय प्रावधान था ही नहीं. वित्तीय प्रवाधना कांग्रेस की सरकार ने किया है. भाजपा को बर्दाशत नहीं हो रहा है कि किसानों और शिक्षाकर्मियों के मद्द के लिए प्रवाधना बनाया जा रहा है, इसलिए बीजेपी ऐसे आरोप लगा रही है.

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कब हुआ था संविलियन
छत्तीसगढ़ की पिछली डॉ. रमन सिंह की सरकार ने शिक्षाकर्मियों को स्कूल विभाग में संविलियन करने का फैसला लिया था. इस फैसले के मुताबिक पंचायतों और नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 1 लाख 50 हजार शिक्षाकर्मियों को स्कूल विभाग में संविलियन करने का निर्णय लिया गया था. इस फैसले के मुताबिक पहले चरण में 8 साल की सेवा पूरी करने वाले 1 जुलाई 2018 को 1 लाख 3 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया जाना था. दूसरे आदेश में लगभग 10 हजार शिक्षकों का संविलियन किया जाना था. फैसला लिया गया था कि हर साल एक जनवरी और एक जुलाई को संविलिनय का आदेश जारी किया जाएगा. बताया जाता है कि इस फैसले से सरकार पर लगभग 1 हजार 346 रुपए का वित्तीय भार आने की बात कही गई थी.

डॉ. रमन सिंह (फाइल फोटो)

शिक्षाकर्मी (फाइल फोटो).
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