छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: इन पांच कारणों से भाजपा लगा सकती है जीत का चौका
15 साल से शासन कर रही भाजपा, जीत का चौका लगाने को लेकर आश्वस्त है. प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह वोटिंग के बाद कई बार कह चुके हैं कि भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाने जा रही है.
छत्तीसगढ़ के लिए इस बार विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है. यहां पहले चरण की वोटिंग 12 नवंबर को ही हो गई थी जबकि दूसरे चरण के मतदान 20 नवंबर को हुए थे. अब हर किसी को 11 दिसंबर यानी नतीजे के दिन का इंतजार है. वोटिंग के बाद से ही प्रत्याशियों और लोगों ने जीत-हार के कयास लगाने शुरू कर दिए हैं.
सियासी गलियारों में सभी दल अपनी-अपनी जीत के पक्के दावे कर रहे हैं. भाजपा, कांग्रेस या फिर गठबंधन के नेता दावा कर रहे हैं कि प्रदेश में उनकी ही सरकार बनने वाली है. हालांकि स्थिति चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही स्पष्ट होगी.
(ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: इन पांच कारणों से कांग्रेस को मिल सकती है सत्ता)
प्रदेश में 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा जीत का चौका लगाने को लेकर आश्वस्त है. प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह वोटिंग के बाद कई बार कह चुके हैं कि भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाने जा रही है. इस चुनाव के दौरान कई ऐसी वजहें सामने आई हैं, जो भाजपा को चौथी बार सत्ता की कुर्सी पर बैठा सकती है. साथ ही कुछ ऐसे कारण भी हैं, जो भाजपा को इस बार सत्ता से दूर कर सकते हैं.ये भी पढ़ें: कांग्रेस में सीएम पद के इतने दावेदार, सरकार बनी तो किसके सिर होगा ताज?
इन कारणों से जीत का चौका लगा सकती है भाजपा
डॉ. रमन का चेहरा:- सीएम डॉ. रमन सिंह का प्रभावी चेहरा जनता के बीच लगातार चौथी बार काम कर सकता है. चुनाव के दौरान सीएम डॉ. रमन सिंह ने जहां भी प्रचार किया, वहां कहा कि इस बार आप प्रत्याशी नहीं बल्की मुझे और कमल फूल को देखकर वोट दीजिए.केन्द्रीय नेतृत्व का सीधा दखल:- चुनाव में कैडर बेस पार्टी होने का लाभ भाजपा को मिल सकता है. इसके अलावा केन्द्रीय नेतृत्व का सीधा दखल प्रचार में रहा है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने खुद रणनीति बनाई और दिए गए टारगेट की मॉनिटरिंग करते रहे.
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सरकारी योजनाएं:- 15 सालों के विकास के दावों को जनता में भुनाने का काम भाजपा ने किया. राज्य की पीडीएस, संचार क्रांति, केन्द्र की उज्ज्वला योजना और पीएम आवास योजना का खास असर देखने को मिला, जिसका लाभ चुनाव में भाजपा ने लेने की कोशिश की है.
अनुशासन और कार्रवाई का डर:- भाजपा कार्यकर्ताओं में अनुशासन और कार्रवाई के डर का लाभ पार्टी को चुनाव में मिल सकता है. यही कारण है कि टिकट वितरण से उपजे भारी अंसतोष के बाद भी कुछ सीटों को छोड़कर कहीं खुला विरोध नहीं हुआ है.
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अजीत जोगी और कांग्रेस:- अजीत जोगी के कांग्रेस छोड़ने का लाभ भाजपा को मिल सकता है. अजीत जोगी ने पूरे चुनाव में कांग्रेस का वोट काटने का काम किया. इसके अलावा भाजपा और जनता के बीच कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने की कोशिश की है. इसका लाभ पार्टी को मिल सकता है.
इन कारणों से सत्ता से दूर हो सकती है भाजपा
सरकार विरोधी लहर:- 15 साल से छत्तीसगढ़ में सत्ता पर काबिज भाजपा के खिलाफ इस बार सत्ता विरोधी लहर थी. इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है और भाजपा को जनता सत्ता से दूर कर सकती है.
भ्रष्टाचार और बेलगाम अफसरशाही:- छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए. इसके साथ ही प्रदेश में बेलगाम अफसरशाही ने भाजपा को जनता से दूर किया और इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
बड़े नेताओं का क्षेत्र में विरोध:- भाजपा के लगभग सभी नेताओं का उनके क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया. यही कारण है कि कई जगहों पर टिकट को लेकर कार्यकर्ताओं में खुला आक्रोश भी देखने को मिला.
किसान और बेरोजगारी:- प्रदेश में किसानों की संख्या 36 लाख से अधिक है. पिछले कुछ सालों से किसान लगातार भाजपा सरकार से नाराज चल रहे थे. इसके अलावा प्रदेश में लगातार बेरोजगारी बढ़ने से भी सरकार के खिलाफ आक्रोश था.
टिकट वितरण:- शुरुआती दौर में चर्चा हो रही थी भाजपा करीब 55 फीसदी सीटिंग एमएलए का टिकट काटेगी, क्योंकि क्षेत्र में उनका विरोध है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट वितरण के बाद कई सीटों पर खुलकर विरोध हुआ. कुछ सीटों पर भाजपा के नामी चेहरे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए. इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.
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-BJP के इस नेता के सिर हर बार सजा जीत का सेहरा, इस बार मिली है कड़ी चुनौती
सियासी गलियारों में सभी दल अपनी-अपनी जीत के पक्के दावे कर रहे हैं. भाजपा, कांग्रेस या फिर गठबंधन के नेता दावा कर रहे हैं कि प्रदेश में उनकी ही सरकार बनने वाली है. हालांकि स्थिति चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही स्पष्ट होगी.
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प्रदेश में 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा जीत का चौका लगाने को लेकर आश्वस्त है. प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह वोटिंग के बाद कई बार कह चुके हैं कि भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाने जा रही है. इस चुनाव के दौरान कई ऐसी वजहें सामने आई हैं, जो भाजपा को चौथी बार सत्ता की कुर्सी पर बैठा सकती है. साथ ही कुछ ऐसे कारण भी हैं, जो भाजपा को इस बार सत्ता से दूर कर सकते हैं.ये भी पढ़ें: कांग्रेस में सीएम पद के इतने दावेदार, सरकार बनी तो किसके सिर होगा ताज?
इन कारणों से जीत का चौका लगा सकती है भाजपा
डॉ. रमन का चेहरा:- सीएम डॉ. रमन सिंह का प्रभावी चेहरा जनता के बीच लगातार चौथी बार काम कर सकता है. चुनाव के दौरान सीएम डॉ. रमन सिंह ने जहां भी प्रचार किया, वहां कहा कि इस बार आप प्रत्याशी नहीं बल्की मुझे और कमल फूल को देखकर वोट दीजिए.
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सरकारी योजनाएं:- 15 सालों के विकास के दावों को जनता में भुनाने का काम भाजपा ने किया. राज्य की पीडीएस, संचार क्रांति, केन्द्र की उज्ज्वला योजना और पीएम आवास योजना का खास असर देखने को मिला, जिसका लाभ चुनाव में भाजपा ने लेने की कोशिश की है.
अनुशासन और कार्रवाई का डर:- भाजपा कार्यकर्ताओं में अनुशासन और कार्रवाई के डर का लाभ पार्टी को चुनाव में मिल सकता है. यही कारण है कि टिकट वितरण से उपजे भारी अंसतोष के बाद भी कुछ सीटों को छोड़कर कहीं खुला विरोध नहीं हुआ है.
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अजीत जोगी और कांग्रेस:- अजीत जोगी के कांग्रेस छोड़ने का लाभ भाजपा को मिल सकता है. अजीत जोगी ने पूरे चुनाव में कांग्रेस का वोट काटने का काम किया. इसके अलावा भाजपा और जनता के बीच कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने की कोशिश की है. इसका लाभ पार्टी को मिल सकता है.
इन कारणों से सत्ता से दूर हो सकती है भाजपा
सरकार विरोधी लहर:- 15 साल से छत्तीसगढ़ में सत्ता पर काबिज भाजपा के खिलाफ इस बार सत्ता विरोधी लहर थी. इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है और भाजपा को जनता सत्ता से दूर कर सकती है.
भ्रष्टाचार और बेलगाम अफसरशाही:- छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए. इसके साथ ही प्रदेश में बेलगाम अफसरशाही ने भाजपा को जनता से दूर किया और इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
बड़े नेताओं का क्षेत्र में विरोध:- भाजपा के लगभग सभी नेताओं का उनके क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया. यही कारण है कि कई जगहों पर टिकट को लेकर कार्यकर्ताओं में खुला आक्रोश भी देखने को मिला.
किसान और बेरोजगारी:- प्रदेश में किसानों की संख्या 36 लाख से अधिक है. पिछले कुछ सालों से किसान लगातार भाजपा सरकार से नाराज चल रहे थे. इसके अलावा प्रदेश में लगातार बेरोजगारी बढ़ने से भी सरकार के खिलाफ आक्रोश था.
टिकट वितरण:- शुरुआती दौर में चर्चा हो रही थी भाजपा करीब 55 फीसदी सीटिंग एमएलए का टिकट काटेगी, क्योंकि क्षेत्र में उनका विरोध है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट वितरण के बाद कई सीटों पर खुलकर विरोध हुआ. कुछ सीटों पर भाजपा के नामी चेहरे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए. इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.
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