सांकेतिक तस्वीर.
छत्तीसगढ़ म सत्रह महीना ले बंद स्कूल खुलिस..‘मोहल्ला क्लास’, ‘शिक्षा तुंहर दुआर’, ‘शिक्षा तुंहर अंगना’ ‘पोंगा-पढ़ई’ आन-लाईन, आफ-लाईन शिक्षण सरकार के तरह-तरह के अभियान चलिस. एमा कुछु अभियान बंद होगे, कुछु चलत हे. सरकारी अभियान म कोनो जगा अंजोर, कोनो जगा चुमुक ले अंधियार होथे. राजीव गाँधी शिक्षा अभियान के इंजन कोइला खाय, धुंगिया छोड़े, भाप पिए, सीटी बजाय, फेर धक़-धक करत छोटे, संकरू/या बड़े-चवडू पटरी म दउड़े. ठीक कोइला वाले छुक-छुक रेल इंजन कस. जे करा हाथ मार देय वुही करा ठाड़ हो जाय. शिक्षा-विभाग के अफसर मन के इही हाल हे. कोरोना-काल म घलो अपन पीठ आप थपथपायें. राजधानी वाले अपन फोटू सहित खबर छपवाइंन. ट्रायल फेल. असफल परचार जारी हे.
आन-लाईन, आफ लाईन शिक्षा
आन-लाईन ल लेके आफ-लाईन तक लइका मन के पढ़े-पढ़ाय बर गुरूजी मन कोशिश करिन. कोरोना के महानाश के चलते-चलत बालक, पालक अउ गुरूजी मन के जी अभू पोटपोट करत हे. स्कूल ल खोलना बड़ हिम्मत के बात होगे हे. मिडिल स्कूल के दु कक्षा खुलगे फेर के पचास फीसदी के जगा म तीस-पैतीस फीसदी लइका स्कूल आवत हें. दसवीं-बारहवीं के बीस फीसदी लइका स्कूल आवत हें. पालक मन कोरोना के डर के मारे लइका मन ल स्कूल भेजे बर घबरावत हें! केंद्र सरकार कुपोषण पीड़ित क्षेत्र के लइका मन ल अब मध्यान्ह भोजन के पहिली नास्ता देही.
वैक्सीन-प्रेरना
छत्तीसगढ़ म कोरोना-प्रकोप नहीं के बरोबर हे. तीसर लहर के डर कलेचुप खोपड़ी ले बाहिर निकलथे. थोरकुन म घूम फिर के फेर खपड़ी म आ बइठथे. फेर शोले फिल्म के डायलाग झिंझोरथे ‘जो डर गया, सो मर गया’. अइसना म मोदीजी के वैक्सीन काम आथे- “कोरोना कम हुआ है, अभी गया नहीं है.”चेलिक लइका मन ल गोठियावत सुने गे हे- ‘कोरोना कम हुआ है, अभी गया नहीं है’. जाहिर हे कि कोरोना कोनो जघा लुकाय होही. कोरोना वैक्सीन लगाय के प्रेरना मिलत हे. स्कूल के सब गुरूजी, मैडम जी मन ल कोरोना वैक्सीन लग गे हे. स्कूल म कोरोना के सब नियम लागू हे.
टीका के दुकाल-सुकाल
टीका के दुकाल-सुकाल दुनो चलत हे. पहला डोज लगे हे, त दूसरा डोज उरकगे हे. दुसरा डोज के टीका ह अइस हे त पहला डोज बर लुल्वासी होवत हे. कोविशिल्ड मिलथे त कोवैक्सीन के दुकाल होथे. चाहे जइसे होय अटक-अटक के होय के लटक-झटक कोरोना के तीसरा लहर के डर के मारे टीका सुंघियावत टीका केंद्र पहुंच जात हें. फेर अब टीका संकट नइ टिक सके.
रीढ़ के खोज
शिक्षा-विभाग के रीढ़ टेड़गा-बेड़गा हे. कोरोना के पहिली अउ कोरोना के बाद म ओखर गति अष्टावक्र कस यथावत हे. शिक्षा म बुनियाद के शिक्षा ल लेके उपर तक सब अगड़म-बगड़म हे. शिक्षा ल सरकारजी मन आवत-जावत खूब रऊँदे हें. कोनो जगा माडी भर, कोनो जगा गाड़ी भर त कोनो जगा नरी के आवत ले लद्दी (दलदल) हे. शिक्षा मिशन के काल म मिशन के थोरकुन हवा चले त झट झर-झर झर-झर नोट बरस जाय. कंगलूराम कस मनखे मंगलूराम होगें. अगड़म-बगड़म परयोग शिक्षा के चटनी पिस दिस. वो समे मरहा अधिकारी मन लाल-बाल खूब होइन. अंटियावत अइसे रेंगे के पहेलवान लगें. भीतरे-भीतरे अइसे डकार चले के भोपाल-ताल म लाहरा उठ जाय. गुरूजी मन ल पढ़ई ले छोड़ के बाकी सब बुता म जोते जाय. सरकारी बइला, सरकारी तुतारी. दउड़त राहों आरी-पारी. शिक्षा विभाग म जब-जब हरियर चारा वाले प्रोजेक्ट शुरू होथे तब तब अधिकारी सफेद हाथी कस दिखथें.
कौशल-भारत-कुशल भारत
.अब ओ दिन गे जब …मिशन माने रूपिया के पेड़ होय. जतका हलाबे ओतका रूपिया पाबे. अब स्कूल म छोटे कक्षा से स्कील-शिक्षा (कौशल-शिक्षा) दे जही. नव शिक्षण-सत्र 2021-22 तक देश के बारह हजार ले जादा स्कूल म कौशल-विकास पाठ्यकम लागू होवत हे.एमा डाटा साइंस अउ कोडिंग शामिल हे. सन 2025 तक स्कूल मन से जुड़े पचास फीसदी छात्र मन ल एमा कुशल बनाय जही. नवा पीढी हुनरमंद होही. कौशल-भारत-कुशल भारत ले पहिली के शिक्षा मिशन माने नोट –कमाओ मिशन कस ये मिशन नई चले.
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