नक्सलियों के चंगुल से रिहा होने के बाद CRPF कांस्टेबल राकेश्वर सिंह ने दिए इन 12 सवालों के जवाब, जानें क्या कहा...

CRPF Jawan Rakeshwar Singh Released: 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास नक्सलियों के कब्जे में थे, जिन्हें कल रिहा करवा लिया गया.
CRPF Jawan Rakeshwar Singh Released: बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर तीन अप्रैल को नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किये गए हमले के बाद हुई मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मियों शहीद हो गए थे, जबकि 31 अन्य घायल हो गए थे. इसके बाद ही 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास नक्सलियों के कब्जे में थे, जिन्हें कल रिहा करवा लिया गया.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: April 9, 2021, 8:50 AM IST
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच हाल में हुई मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए एक ‘कोबरा’ कमांडो को गुरुवार को मुक्त कर दिया गया. एक अधिकारी ने बताया कि 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास की मुक्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा दो प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत के लिये नामित किए जाने के बाद मुक्त कर दिया गया. राज्य सरकार द्वारा नामित दो सदस्यीय दल में एक सदस्य जनजातीय समुदाय से थे.
बीजापुर में 3 अप्रैल को नक्सलियों और सुरक्षा जवानों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए जवान राकेश्वर सिंह मनहास रिहा हो गए. रिहाई के बाद राकेश्वर सिंह ने न्यूज 18 को बताया कि पांच दिन नक्सलियों के कब्जे में कैसे बीते...
सवाल 1- इन पांच दिनों में नक्सलियों ने आपके साथ कैसा व्यवहार किया?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नक्सलियों ने भी खाना दिया. उन्होंने कहा था कि तुम्हें छोड़ देंगे और आज उन्होंने छोड़ दिया.सवाल 2- आप कैसे इनके चंगुल में फंसे?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: मुठभेड़ वाले दिन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ये तीन तारीख की बात है, जिस दिन एनकाउंटर हुआ था. चार तारीख को मैं जंगल में भटकते हुए इनके चंगुल में फंसा था.
सवाल 3- क्या आप नक्सलियों को बेहोशी की हालत में मिले थे?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नहीं मैं उस समय बेहोश नहीं था. तीन तारीख को एनकाउंटर के बाद मैं बेहोश था. चार तारीख को मैं इनकी गिरफ्त में हो गया था.
सवाल 4-कितने इलाके और कितने गांव में घुमाया गया आपको?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: मुझे नहीं पता, मेरी आंख में पट्टी बंधी हुई थी.
सवाल 5- फिर उनसे पूछा गया कि क्या आपके हाथ भी बंधे रहते थे?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां
सवाल 6- क्या आपको वक्त पर खाना मिलता था?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां वक्त पर खाना मिलत था.
सवाल 7- क्या माओवादी संगठनों की तरफ से आपको टार्चर किया गया?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: बिल्कुल नहीं
सवाल 8- क्या नक्सलियों ने नौकरी छोड़ने की कोई शर्त रखी थी?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.
सवाल 9- क्या नक्सलियों ने किसी तरह की कोई शर्त रखी थी?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नहीं, नहीं
सवाल 10- नक्सलियों ने किस तरह का इंटेरोगेशन किया और पुलिस महकमे के बारे में किस तरह की जानकारी निकलवानी चाही?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: कोई जानकारी नहीं मांगी गई.
सवाल 11- नक्सलियों ने जिस दिन पकड़ा था क्या उसी दिन बोल दिया गया था कि आपको छोड़ा जाएगा?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां, नक्सलियों की तरफ से यह कहा गया था.
सवाल 12- क्या नक्सलियों के कब्जे में रहने के दौरान आपको लग रहा था कि आपकी हत्या हो सकती है?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां, मुझे लग रहा था.
अर्धसैनिक बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू के रहने वाले जवान को बीजापुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के तारेम शिविर लाया जा रहा है. बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर तीन अप्रैल को नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किये गए हमले के बाद हुई मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मियों शहीद हो गए थे, जबकि 31 अन्य घायल हो गए थे.
बीजापुर में 3 अप्रैल को नक्सलियों और सुरक्षा जवानों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए जवान राकेश्वर सिंह मनहास रिहा हो गए. रिहाई के बाद राकेश्वर सिंह ने न्यूज 18 को बताया कि पांच दिन नक्सलियों के कब्जे में कैसे बीते...
सवाल 1- इन पांच दिनों में नक्सलियों ने आपके साथ कैसा व्यवहार किया?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नक्सलियों ने भी खाना दिया. उन्होंने कहा था कि तुम्हें छोड़ देंगे और आज उन्होंने छोड़ दिया.सवाल 2- आप कैसे इनके चंगुल में फंसे?
सवाल 3- क्या आप नक्सलियों को बेहोशी की हालत में मिले थे?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नहीं मैं उस समय बेहोश नहीं था. तीन तारीख को एनकाउंटर के बाद मैं बेहोश था. चार तारीख को मैं इनकी गिरफ्त में हो गया था.
सवाल 4-कितने इलाके और कितने गांव में घुमाया गया आपको?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: मुझे नहीं पता, मेरी आंख में पट्टी बंधी हुई थी.
सवाल 5- फिर उनसे पूछा गया कि क्या आपके हाथ भी बंधे रहते थे?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां
सवाल 6- क्या आपको वक्त पर खाना मिलता था?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां वक्त पर खाना मिलत था.
सवाल 7- क्या माओवादी संगठनों की तरफ से आपको टार्चर किया गया?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: बिल्कुल नहीं
सवाल 8- क्या नक्सलियों ने नौकरी छोड़ने की कोई शर्त रखी थी?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.
सवाल 9- क्या नक्सलियों ने किसी तरह की कोई शर्त रखी थी?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: नहीं, नहीं
सवाल 10- नक्सलियों ने किस तरह का इंटेरोगेशन किया और पुलिस महकमे के बारे में किस तरह की जानकारी निकलवानी चाही?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: कोई जानकारी नहीं मांगी गई.
सवाल 11- नक्सलियों ने जिस दिन पकड़ा था क्या उसी दिन बोल दिया गया था कि आपको छोड़ा जाएगा?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां, नक्सलियों की तरफ से यह कहा गया था.
सवाल 12- क्या नक्सलियों के कब्जे में रहने के दौरान आपको लग रहा था कि आपकी हत्या हो सकती है?
तारकेश्वर सिंह का जवाब: हां, मुझे लग रहा था.

अर्धसैनिक बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू के रहने वाले जवान को बीजापुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के तारेम शिविर लाया जा रहा है. बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर तीन अप्रैल को नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किये गए हमले के बाद हुई मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मियों शहीद हो गए थे, जबकि 31 अन्य घायल हो गए थे.