DKS में फिजूलखर्ची का आलम: स्ट्रेचर से होने वाले काम के लिए खरीदे 85 लाख रुपये के एंबुलेंस

दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अनियमितता का एक और मामला सामने आया है.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में 140 करोड़ रुपये की लागत से बने दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अनियमितता का एक और मामला सामने आया है.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: September 12, 2019, 9:15 AM IST
रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में 140 करोड़ रुपये की लागत से बने दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अनियमितता का एक और मामला सामने आया है. यहां बुजुर्गों, निशक्त जनों व गंभीर मरीजों के लिए करीब 85 लाख रुपए की लागत के दो इलेक्ट्रीक वाहन खरीदे गए थे. ये इलेक्ट्रॉनिक इनर एंबुलेंस (Electronic inner Ambulance) केवल उद्घाटन के दिन कुछ दूरी तर चलाए गए थे. इसके 11 महीने बाद वो महज प्रदर्शनी बन कर रह गए हैं. यह केवल इनर एंबुलेंस के साथ नहीं है. बल्कि डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ऐसी कई मशीनें और एबुलेंस है, जिसे लेकर प्रबंधन यह तय ही नहीं कर पा रहा है कि इसका उपयोग कहां किया जाए.
राजधानी रायपुर (Raipur) के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (DKS Super Specialty Hospital) परिसर में खड़ी बेहद साधारण दिखने वाली इनर एंबुलेंस की कीमत 85 लाख रुपये है, लेकिन 11 महीनों में केवल दो कदम चलकर अब यह कंडम हो रही है. ऐसे ही कई वाहन अस्पताल में जंग खा रहे हैं. वाहनों की खरीदी अस्पताल प्रबंधन के अनुमोदन पर सीजीएमएससी ने की थी. इन इनर एंबुलेंस 85 लाख रुपये में यह कहकर खरीदी की गई थी कि इससे बुजुर्गों को एक्सरे, एमआरआई या अन्य जांच के लिए ले जाने में आसानी होगी. हालांकि यह काम स्ट्रेचर या व्हील चेयर से भी आसानी से हो जाता है.

अधिक बताई कीमतइन एंबुलेंस स्टीम कंपनी की है. कंपनी का दावा था कि दोनों वाहन हिमाचल प्रदेश से लाए गए हैं. बाद में अस्पताल सूत्रों से पता चला कि यह दोनों एंबुलेंस लगभग पांच लाख की कीमत की ही हैं. इतना ही नहीं इनकी सप्लाई रायपुर से ही थी. अब इसके ब्रेक फेल हो गए हैं और इसमें जंग लग रही है. यह तो फिजूलखर्ची और मनमानेपन का एक उदाहरण है. यही हाल अस्पताल के कई और एंबुलेंस को लेकर भी है. कांग्रेस सरकार में मंत्री कवासी लखमा ने आरोप लगाया कि चूंकि अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह के दामाद हैं. ये खरीदी तब हुई, जब रमन सिंह सीएम थे. ऐसे में उनके दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता ने खूब मनमानी की और उन्हें कोई रोकने वाला भी नहीं था. फिजूलखर्ची कर ऐसे संसाधन भी जुटाए जिसका अस्पताल में कोई उपयोग नहीं था. खरीदी के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा हुआ.

बीजेपी ने दिए ये तर्क
डीकेएस अस्पताल में फिजूलखर्ची पर बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि कांग्रेस क्या जाने कि बीजेपी में किस तरह विकास हुए हैं. उनका कहना है कि सरकार स्वतंत्र हैं यदि गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई करने के लिए. वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि इसमें खरीद का मामला है. इसमें अन्य जगह मशीने काम आए तो बेहतर होगा. हमने समीक्षा की थी जहां चार करोड़ रुपए 1 महीने में खर्च हो रहे थे आज वहां दो करोड़ ही खर्च हो रहे हैं. वहां केवल 24 करोड़ प्रबंधन में खर्च किए गए हैं. प्रबंधन ने हमें बताया था कि हमें यहां तीन या चार से ज्यादा एंबुलेंस की जरूरत थी, लेकिन यहां 9 एंबुलेंस खरीदे गए थे एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह कार्य किए गए थे.
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राजधानी रायपुर (Raipur) के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (DKS Super Specialty Hospital) परिसर में खड़ी बेहद साधारण दिखने वाली इनर एंबुलेंस की कीमत 85 लाख रुपये है, लेकिन 11 महीनों में केवल दो कदम चलकर अब यह कंडम हो रही है. ऐसे ही कई वाहन अस्पताल में जंग खा रहे हैं. वाहनों की खरीदी अस्पताल प्रबंधन के अनुमोदन पर सीजीएमएससी ने की थी. इन इनर एंबुलेंस 85 लाख रुपये में यह कहकर खरीदी की गई थी कि इससे बुजुर्गों को एक्सरे, एमआरआई या अन्य जांच के लिए ले जाने में आसानी होगी. हालांकि यह काम स्ट्रेचर या व्हील चेयर से भी आसानी से हो जाता है.

85 लाख रुपये की एंबुलेंस.

डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता.
बीजेपी ने दिए ये तर्क
डीकेएस अस्पताल में फिजूलखर्ची पर बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि कांग्रेस क्या जाने कि बीजेपी में किस तरह विकास हुए हैं. उनका कहना है कि सरकार स्वतंत्र हैं यदि गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई करने के लिए. वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि इसमें खरीद का मामला है. इसमें अन्य जगह मशीने काम आए तो बेहतर होगा. हमने समीक्षा की थी जहां चार करोड़ रुपए 1 महीने में खर्च हो रहे थे आज वहां दो करोड़ ही खर्च हो रहे हैं. वहां केवल 24 करोड़ प्रबंधन में खर्च किए गए हैं. प्रबंधन ने हमें बताया था कि हमें यहां तीन या चार से ज्यादा एंबुलेंस की जरूरत थी, लेकिन यहां 9 एंबुलेंस खरीदे गए थे एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह कार्य किए गए थे.
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