रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नवा रायपुर में 27 गांवों के किसान बीते 3 जनवरी से सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं. हैरानी की बात यह हैं कि आंदोलन स्थल से चंद मीटर की दूरी पर मंत्रालय, सचिवालय सहित सभी निगम मंडल के प्रमुख कार्यालय सचांलित हो रहे हैं. बावजूद इसके किसानों के आंदोलन समाप्ति की ओर आज तक कारगर कदम नहीं उठाया गया, जिससे किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और आंदोलन की गति भी तेज हो रही है. इसी क्रम में गणतंत्र दिवस यानी कि 26 जनवरी के दिन किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकालकर सरकार का विरोध किया.
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के किसान इन दिनों सरकार से नाराज चल रहे हैं. दरअसल जिन किसानों के दम पर कांग्रेस साल 2018 में सत्ता के शीर्ष तक पहुंची थी वही किसान अब सरकार के खिलाफ सरकार के ही आंगन में नारेबाजी कर रहे हैं. अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर नवा रायपुर के 27 गांवों के किसान एनआरडीए कार्यालय परिसर में है बीते 3 जनवरी से डटे हुए हैं. दिन हो या रात, ठंड हो या बरसात सभी किसान टेंट लगाकर लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.
इन मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन
1- आपसी सहमति एवं भुअर्जन से भूमियों के अनुपात में पात्रतानुसार नि:शुल्क भूखण्ड आबंटन हो.
2 – बसाहट से सटे भूमियों का भुअर्जन से मुक्त तथा सम्पूर्ण बसाहट का पट्टा दिया जाए.
3- वार्षिकी राशि का पूर्णतया आबंटन किया जावे. आडिट आब्जेक्शन अगर है तो कानूनी कार्रवाई से वसूली हो.
4- प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क (18 साल से ऊपर) को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड अविलंब दिया जाए.
5- प्रभावित क्षेत्र के शिक्षित बेरोजगारों को योग्यता अनुसार रोजगार का प्रावधान.
6- स्थानीय लोगों को पात्रता अनुसार गुमटी, चबूतरा, दुकान व्यवसाय आदि को लागत मूल्य में दिया जाए. 7- भुअर्जन में मुआवजा नहीं लिए है सिर्फ ऐसे भूमियों पर चार गुणा मुआवजा लागू किया जाए.
8- साल 2005 से भूमि क्रय विक्रय पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाये.
लंबे समय से की जा रही मांग
ऐसा नहीं है कि किसानों की यह मांग कोई आज की हो साल 2005 में जमीन अधिग्रहण के बाद लगातार 5 सालों तक याने कि 2010 तक किसानों को नियमानुसार उनकी मांग पूरी करने का आश्वासन दिया जाता रहा. मगर 5 सालों बाद भी मांग पूरी नहीं होने से नाराज किसानों ने 2010 में आंदोलन की शुरुआत की. 2010 से शुरू हुआ किसान आंदोलन आज 2022 तक अलग-अलग स्वरूपों में जारी है. साल 2018 विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में बतौर और विपक्ष काम कर रही कांग्रेस के नेताओं ने जो आज मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक बने हुए हैं. किसानों के आंदोलन में ना केवल शामिल हुए थे. बल्कि सरकार आने पर मांग पूरी करने का भी आश्वासन दिया था. मगर 2018 में सत्ता के परिवर्तन होने के बाद भी आज दिनांक तक मांग ना पूरी होने से नवा रायपुर के किसानों में भारी आक्रोश है.
सरकार ने बनाई तीन मंत्रियों की कमेटी
जिन किसानों के दम पर कांग्रेस सत्ता में आने का दम भरती हो अगर वही किसान कांग्रेस सरकार से नाराज हैं तो यह फिर सत्ता और संगठन दोनों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. यही वजह है कि सत्ताधारी दल के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला इस समस्या को रमन सरकार की देन बताते हुए इतिश्री करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि किसानों की ट्रैक्टर रैली के बाद राज्य सरकार की ओर से तीन मंत्रियों की कमेटी बनाई गई है, जो किसानों की मांगों को लेकर अपना सुझाव देगी.
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Tags: Farmer Protest, Raipur news