किसानों का वोट तय करेगा छत्तीसगढ़ में किसकी बनेगी सरकार!
किसानों का वोट तय करेगा छत्तीसगढ़ में किसकी बनेगी सरकार!
सांकेितक तस्वीर.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 37 लाख 46 हजार किसान हैं. इनमें 76 फीसदी लघु व सीमांत श्रेणी में आते हैं. हालांकि मर्कफेड में पंजीकृत किसानों की संख्या करीब 14 लाख 50 हजार ही हैं.
छत्तीसगढ़ मेंविधानसभा चुनावकीमतगणना मंगलवार सुबह 8 बजे से शुरू हो रही है. अब नेता और जनता दोनों को ही नतीजों का इंतजार है. इस बीच जीत-हार के दावे भी किए जा रहे हैं और समीकरण भी लग रहे हैं. ऐसे में हर उस वर्ग पर सबकी निगाहें टिकी हैं, जो किसी भी राजनीतिक दल की जीत व हार में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. प्रदेश में ऐसा ही वर्ग किसान है.
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव 2018 में 1 करोड़ 85 लाख 80 हजार 960 कुल मतदाता थे. इनमें से 76.38 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर नई सरकार चुन ली है. जनता के फैसले का ऐलान 11 दिसंबर को हो जाएगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में करीब 37 लाख 46 हजार किसान हैं. इनमें 76 फीसदी लघु व सीमांत श्रेणी में आते हैं. हालांकि मार्कफेड में पंजीकृत किसानों की संख्या करीब 14 लाख 50 हजार ही है. छत्तीसगढ़ में चुनावी दंगल में किसान निर्णायक भूमिका में हैं. सरकार चुनने में किसानों का वोट मास्टर स्ट्रोक साबित होगा.
यही कारण है कि इस चुनाव में किसानों ने किसके पक्ष में वोटिंग की है, इसे नतीजे आने से पहले ही भांपने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए सियासी पार्टियां अपना अलग-अलग गुणा-भाग लगने में जुट गई हैं. मसलन प्रदेश में सोसायटी केन्द्रों में धान खरीदी की प्रक्रिया 1 नवंबर से ही शुरू हो चुकी है. इसके बाद भी ज्यादातर किसान धान बेचने नहीं निकले रहे हैं. कारण नई सरकार बनने का इंतजार करना बताया जा रहा है.
धान बिक्री केन्द्रों में विक्रय की स्थिति और कारणों को जानें, इससे पहले जान लेते हैं कि इस चुनाव में राजनीतिक दलों ने किसानों के लिए क्या प्रमुख वादे किए हैं. बात अगर भाजपा की करें तो अपने चुनावी संकल्प पत्र में भाजपा ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के लघु व सीमांत कृषि मजदूरों को एक हजार रुपये पेंशन, 2 लाख नए पंप कनेक्शन, समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा किया है.
15 सालों से सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस ने इस बार किसानों के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला है. कांग्रेस ने सरकार बनने पर दस दिन के भीतर कर्ज माफी की घोषणा की है. इसके साथ ही धान पर समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की है. साथ ही धान खरीदी की अधिकतम सीमा को समाप्त करने का वादा भी घोषणा पत्र में किया गया है.
प्रदेश के मुखिया सीएम डॉ. रमन सिंह मीडिया से चर्चा में कह चुके हैं कि कांग्रेस के घोषणा पत्र का कोई असर नहीं होगा. कर्नाटक में किसानों को छलने के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस द्वारा किसानों को छलने की कोशिश की जा रही है. दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने भी मतदान के बाद कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट कर दी. भूपेश ने एक प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि सरकार बनने पर दस दिन के भीतर किसानों के 31 अक्टूबर 2018 तक की स्थिति में जो भी कर्ज होंगे माफ किए जाएंगे. किसान अपना धान बेच सकते हैं. धान बेच चुके किसानों को कर्ज की राशि वापस की जाएगी.
छत्तीसगढ़ के किसान नेता रूपन चन्द्राकर कहते हैं कि उनके परिवार में अलग-अलग लोगों के नाम से सोसायटी में रजिस्ट्रेशन है. वे खुद अपना धान बेचने सोसायटी में नहीं जा रहे हैं. क्योंकि समर्थन मूल्य और कर्ज माफी के वादे के कारण वे नई सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं. रूपन कहते हैं कि सोसायटी से कर्ज लेने वाले 75 फीसदी से अधिक किसान नई सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं.
रायपुर के मार्कफेड जिला प्रबंधक एनके देवांगन का कहना है कि पिछले सालों की अपेक्षा धान खरीदी कम हुई है. इस साल अब तक 7 लाख 58 हजार 528 मिट्रिक टन धान की खरीदी की गई है. एक नवंबर से धान की खरीदी की प्रक्रिया सोसायटी में शुरू की गई है. पिछले साल इतने दिनों में 17 लाख मिट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी हो चुकी थी.
ऐसे में कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या इस बार किसान घोषणा पत्र से प्रभावित होकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया है और यदि किया है तो किस दल के घोषणा पत्र ने किसानों को प्रभावित किया है. धान बेचने के लिए ज्यादातर किसानों का नई सरकार के लिए इंतजार करना एक नई चर्चा को बल दे रहा है कि किसान इस बार कर्ज माफी के लिए नई सरकार का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि किसानों ने किसके पक्ष में वोटिंग की है और किसकी सरकार बनती है, ये तो 11 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन ये तय माना जा रहा है कि इस बार नई सरकार बनाने में किसान मास्टर स्ट्रोक साबित होंगे.