छत्तीसगढ़ के भिलाई के कैम्प 2 स्थित जे.पी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छत्तीसगढ़ प्रदेश का पहला हाईटेक स्कूल बन गया है. जहां कैम्पस से लेकर क्लासरूम को हाईटेक बनाया गया है.
इतना ही नहीं घर बैठे पालकों को अपने बच्चे की स्कूल में उपस्थिति तक की जानकारी मिल जाती है. पूरे स्कूल को फ्री वाई फाई से कनेक्ट किया गया है, जिसे देखकर शिक्षा विभाग ने अब जिले के कई स्कूलों को इसी तरह से स्मार्ट स्कूल बनाने की तैयारी में जुट गई है.
दुर्ग जिले में शिक्षा का स्तर भले ही जीरो की स्थिति में है पर स्कूल की स्थिति प्रदेश में अव्वल नंबर पर है. माध्यमिक शिक्षा मंडल ने हाल ही में जो 10- 12 वीं के रिजल्ट जारी किए हैं, उसमें दुर्ग जिला विशेष कमाल नहीं कर पाया है पर कुछ मामलों में दुर्ग शिक्षा विभाग अव्वल बनने के लिए तरह तरह के प्रयोग कर रहा है.
भिलाई का जेपी शासकीय स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाया गया है, जिसके तहत पूरे स्कुल को हाईटेक बनाया गया है.बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत रहे इसके लिए स्कूल में रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम लगाया गया है जो ऑनलाइन है.
इसकी जानकारी पेरेंट्स को मोबाइल में मैसेज के माध्यम से बच्चों की उपस्थिति की जानकारी लग जाती है. इसके लिए बच्चों को चिप वाला आईकार्ड दिया गया है जो स्कूल के सेंसर को कवर करता है.
विद्यार्थी जैसे ही रेंज में आएगा या रेंज से बाहर होगा पालकों और स्कूल प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल जाएगी कि उसका बच्चा स्कूल में नहीं है. इतना ही नहीं स्मार्ट क्लास रूम भी बनाया गया है जहां फिजिक्स ,केमेस्ट्री और मैथ्स जैसे विषयों को भी प्रोजेक्टर के जरिए क्लास में बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चे उस वस्तू स्थिति से लाइव प्रसारण के जरिए रूबरू होते हैं और अब हालात ये हैं कि यहां दूसरे स्कूलों से भी बच्चे पढ़ाई के लिए लाइन लगाए हुए हैं. जिन्हें सीट नहीं मिल पा रही है.
इधर इस सिस्टम के लगने से बच्चे भी काफी उत्साहित है. उन्हें अब हमेशा अहसास होते रहता है कि पालक घर बैठे उन पर निगरानी रख रहे हैं, जिससे
वो स्कूल में ही रहते हैं.
साथ ही ऑटोमेटिकली अटेंडेंश लगने से भी इनका क्लास रूम में लगने वाले अटेंडेस से छुटकारा मिला है और इसका लाभ ये अतिरिक्त पढ़ाई कर उठा रहे हैं. प्रोजेक्टर व वाईफाई के जरिये ये बच्चे अब बेहतर ज्ञान लेने की बात कह रहे हैं, जिसमें किसी भी चीज के बारे में सीधे प्रोजेक्टर के जरिए उसे देखकर समझ जा रहे हैं. अब बच्चे भी स्कूल से छुट्टी लेना पसंद नहीं करने लगे हैं.