रायपुर. 15 सालों तक छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एकछत्र राज करने वाले डॉ. रमन सिंह (Dr. Raman Singh) न केवल राज्य में बीजेपी की राजनीति के ध्रुव तारा थे बल्कि केंद्रीय स्तर (Central level) पर भी उन्हे कद्दावर नेता के रूप में जाना जाता था. लेकिन सत्ता जाने के बाद एक तरफ जहां मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former CM Shivraj Singh) अभी भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से भरे हैं, राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पूछपरख बाकी है. वहीं डॉ. रमन सिंह का दामन खाली नजर आता है. तीन पारी तक छत्तीसगढ़ में एकछत्र राज्य करने वाले रमन सिंह को चाऊर वाले बाबा, बड़े पापा और ना जाने कितने नामों के साथ स्टार छवि बनाए रखी. लेकिन सत्ता जाने के बाद एक के बाद उनके बुलंदी सितारे नीचे आने लगे.
डॉ. रमन सिंह के हाथ से राजपाठ क्या गया, उनके लिए राज्य में राजनीति भी सिमटने लगी है. सत्ता जाने के तुरंत बाद कभी नान घोटाले (NAN Scam) में उनकी पत्नी वीणा सिंह पर लगे आरोप, अंतागढ़ टेपकाड़ (Antagarh Tape Scandle) तो कभी अपने दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता के डीकेएस अस्पताल के घोटालों को लेकर तो कभी चिटफंड घोटाले में अपने पूर्व सांसद पुत्र अभिषेक सिंह तो उस समय उनके बेहद करीब रहे शक्तिशाली ब्यूरोक्रेट्स को लेकर डॉ. रमन सिंह एक के बाद एक रोज आरोप प्रत्यारोप और सामने आते घोटालों से घिरने लगे. इसका असर उनके राजनीतिक कद पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है.
केंद्रीय संगठन ने नहीं दी है डॉ. रमन सिंह कोई खास जिम्मेदारी. (File Photo)
राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है कोई बड़ी जिम्मेदारी
डॉ. रमन सिंह की तरह ही मध्यप्रदेश में सत्ता की तीन पारियां खेलने वाले शिवराज सिंह चौहान को जहां केंद्रीय नेत्रृत्व ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया वहीं कई राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारियां भी दी. इसमें सदस्यता अभियान का राष्ट्रीय प्रभारी बनना जैसी उपलब्धियां भी शामिल है. यहीं नहीं शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के परिदृश्य में अभी भी प्रमुख चेहरा तो हैं ही, राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी पूछपरख बाकी है. पार्टी संगठन के कई बड़े कामों को लेकर देशभर में उनके प्रवास देखे जा सकते है.
क्या सिमत कर रह जाएगा डॉ. रमन सिंह का पॉलिटिकल करियर?
वहीं डॉ. रमन सिंह को भी केंद्रीय नेत्रृत्व ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो बना लिया, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर या संगठन के स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी. छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी डॉ. रमन सिंह धीरे-धीरे सिमटते जा रहे है. राज्य की कई महत्वपूर्ण बैठकों में उनकी उपस्थिति रहती तो है, लेकिन अब उस निर्णायक स्थिति में नहीं होती जैसी सत्ता जाने के पहले थी. बीजेपी के कई दिग्गज ऑफ कैमरा कहते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता भी अब डॉ. रमन सिंह के साथ वैसी आत्मीयता नहीं दिखाते. पार्टी सुत्रों की मानें तो अलबत्ता बीजेपी का एक धड़ा हमेशा बैठकों में उन्हें घेरने से नहीं चूकता. बीजेपी (BJP) प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि डॉ. रमन सिंह की राज्य में बेहद जरूरत है, इसलिए उन्हें राज्य की जिम्मेदारियों तक ज्यादा रखा गया है.
वहीं डॉ. रमन सिंह को भी केंद्रीय नेत्रृत्व ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो बना लिया, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर या संगठन के स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी. (File Photo)
कांग्रेस ने कही ये बात
वहीं जो कांग्रेस (Congress) इसके पहले की तीन पारियों तक मानती थी कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि छत्तीसगढ़ बीजेपी के बेहद लोकप्रिय चेहरे डॉ. रमन सिंह से कैसे पार पाया जाए. वह भी अब मानती है कि लगातार मामले सामने आने के बाद खुद डॉ. रमन सिंह से केंद्रीय नेत्रृत्व ने किनारा कर लिया है. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि उनके अपनों के खिलाफ जिस तरह से मामले सामने आए उसने उनके राजनीतिक कद को काफी नुकसान पहुंचाया है.