रायपुर. मई का एक पखवाड़ा बीतने को है. गर्मी का प्रकोप बढ़ ही रहा है. छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों की राहत के बाद पारा फिर चढ़ रहा है. ऐसे में शासकीय कर्मचारियों को उन पुराने दिनों की याद आने लगी है, जब सुबह की शिफ्ट में ही दफ्तर लगा करता था. अविभाजित मध्यप्रदेश में 70 के दशक में गर्मी के दिनों में सरकारी दफ्तरों का समय बदल दिया जाता था. इन दिनों तापमान बढ़ते देख कर्मचारी वैसा ही समय करने की मांग कर रहे हैं.
1970-80 के दशक में सभी शासकीय विभाग, कार्यालय सुबह 7 बजे से 12 बजे तक लगते थे. तब भी गर्मी का प्रकोप काफी रहता था. तापमान 46 डिग्री तक चला जाता था. सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉ. आरके तिवारी कहते हैं कि जनता व सरकारी कर्मचारियों को राहत देना या नहीं देना सरकार के निर्णय पर निर्भर है. जब मैं शासकीय विभाग में पदस्थ था, तब गर्मी के दिनों में सुबह 7 बजे से 12 बजे तक शासकीय दफ्तर लगा करता था. हालांकि यह कुछ सालों तक ही चला.
बढ़ती गर्मी के कारण कर्मचारियों के साथ-साथ दफ्तरों में आने वाले आम लोग भी परेशान होते हैं. लोगों का कहना है कि गर्मी के दिनों में पीने की पानी तक व्यवस्था नहीं है. दूर-दराज से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दफ्तर का समय बदलेगा तो लोगों को सहूलियत होगी. वहीं, कर्मचारी नेता विजय झा का कहना है कि गर्मी से हर कोई परेशान है. तेज धूप से राहत किसी तरह से मिल नहीं रही है. इसलिए कर्मचारी भी चाहते है कि यदि शासकीय कार्यालय सुबह लगे तो सभी के लिए अच्छा होगा.
1970-80 दशक के औसतन तापमान पर नजर
-1970 – 46.9
-1973 -47.7
-1975 -45.6
-1978 -46.5
-1980- 46.2
-1988 – 47.9 डिग्री
पिछले छह सालों का तापमान
-2017 में 42
-2018 में 41.2
-2019 में 44.2
-2020 में 40.0
-2021 में 40.6
-2022 में 44.6 डिग्री
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा का कहना है कि गर्मी में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है. रायपुर में तापमान पहले भी काफी रहता था. अब गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ गई है. पहले पेड़-पौधों की संख्या ज्यादा थी इसलिए गर्मी ज्यादा नहीं लगती थी. अब इसका अभाव है. जिसके कारण लोगों को परेशानी हो रही है.
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