छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे मीसा बंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि को बंद करने का फैसला लिया है. राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक शुक्रवार को सरकार ने अधिसूचना जारी कर लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 को रद्द करने का फैसला लिया है. मालूम हो कि साल 2008 में सूबे की तत्कालीन भाजपा सरकार ने आपातकाल के दौरान राजनीतिक या सामाजिक कारणों से मीसा, डीआईआर के तहत आने वाले व्यक्तियों को सहायता देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 बनाया था. तो वहीं इस फैसले के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि RSS और मीसा बंदियों को खुश करने बीजेपी सम्मान निधि देती थी.
पर रोक लगाए जाने के मसले पर सूबे की सत्ताधारी दल कांग्रेस के प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा है कि उन्होंने मीसा बंदियों पर खर्च की जाने वाली लाखों-करोड़ो रुपए की राशि के वितरण पर रोक लगाने और इस नियम को समाप्त करने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की थी. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की तत्कालीन डॉ. रमन सिंह सरकार ने भाजपा और आरएसएस के नेताओं को खुश करने के लिए मीसा बंदियों को राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया था, जिसे सम्मान निधि कहा जाता था.
कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि इन सम्मान निधियों में जो राशि खर्च की जाती थी उसे अब राज्य के बेरोजगार युवाओं तथा आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाली प्रतिभाओं पर खर्च किया जाना चाहिए, जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सके.
के इस निर्णय को गलत बताया है. नेता धरमलाल कौशिक का कहना है कि राज्य की कांग्रेस सरकार हमेशा की तरह जनविरोधी फैसला ले रही है. राज्य में करीब तीन सौ मीसाबंदी हैं जिन्हें सम्माननिधि दी जा रही थी. लेकिन अब राज्य सरकार ने आदेश निकालकर सम्माननिधि नहीं देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने मीसाबंदियों के लिए सम्माननिधि शुरू की थी जिसे अब वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है. यह अनुचित है तथा लोकतंत्र की हत्या है.
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FIRST PUBLISHED : January 24, 2020, 10:30 IST