रायपुर. अगर आपका बच्चा या आप खुद ऑनलाइन काम या पढ़ाई करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि कोरोना काल ने हम सब का स्क्रीन टाइम बढ़ा दिया है. मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर का उपयोग पहले से ज़्यादा बढ़ गया है. बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम एक नई मुसीबत लेकर आया है. लोगों की आंखें खराब हो रही हैं लगातार स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण लोग दूर और पास के दृष्टि दोष के शिकार हो रहे हैं. बात अगर सिर्फ बच्चों की करें तो आंकड़े हैरान करने वाले हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार के अंधत्व निवारण अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा के मुताबिक साल 2021-22 में प्रदेश के 23 हजार 731 स्कूली बच्चों की आंखों की जांच कर उन्हें चश्मा दिया गया है. यह आकड़े तो सिर्फ और सिर्फ सरकारी अभियान के हैं. निजी डॉक्टर और निजी अस्पतालों के आकड़ों को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 50 हजार से ज़्यादा हो सकती है. क्योंकि शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर लोग प्राइवेट क्लिनिक या अस्पताल में आंख की जांच कराते हैं. रायपुर में स्कूली बच्चे के पालक दीपेन्द्र सिंह गौतम व एमएस सर्जन डॉ. प्रीति गुप्ता का मानना है कि ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों को स्क्रीन टाइम बढ़ाया है जो नई और बड़ी मुसीबत बन गया है.
कोरोना काल की वजह से अधिकांश काम ऑनलाइन होने लगा है जिससे स्क्रीन पर लंबे समय तक बने रहना हमारी आदत और मजबूरी बन चुकी है. स्कूलों से लेकर कोचिंग तक और घर से लेकर दफ्तर तक लोग घंटों ऑनलाइन ही पढ़ाई और काम कर रहे हैं. जिससे निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष के अलावा आंखों में ड्राइनेस, मसल फटीक, कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो रही है. जिससे बचने के लिए जानकार सलाह भी दे रहे हैं. जिसमें हर आधे घंटे के अंतराल में दूर के ऑब्जेक्ट को देखना और बेवजह स्क्रीन पर समय ना बिताना प्रमुख है.
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