रिपोर्ट- सौरभ तिवारी
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में आदिशक्ति कौमारी शक्तिपीठ के रूप में विराजमान हैं. वहीं मुख्य मंदिर के थोड़ा पहले उनके रक्षक भैरव नाथ का भी प्रवेश द्वार है. यह प्रवेश द्वार सिद्ध तंत्र पीठ श्री काल भैरव मंदिर के रूप में विख्यात है. मान्यताओं के अनुसार यहां मां सती का दाहिना स्कंध गिरा था. तब से ही काल भैरव रक्षक बनकर स्थापित हो गए.
माना जाता है की काल भैरव के दर्शन के बाद ही कौमारी शक्तिपीठ के दर्शन को पूर्ण माना जाता है. मंदिर परिसर बड़ा ही सुन्दर है, यह मुख्य मार्ग पर है और प्रांगण में एक कुंड भी है. जिसमें बड़ी संख्या में कमल खिलता है. जो भी व्यक्ति शक्तिपीठ मां महामाया के दर्शन के लिए आता है वह यहां पहले रुककर ही आगे बढ़ता है.
भैरव मूर्ति का इतिहास
भैरव मूर्ति पहले खुले चबूतरे पर विराजमान थी. बाद में मंदिर का निर्माण बाबा ज्ञानगिरी गोसाई ने करवाया. मंदिर में स्थापित मूर्ति करीब 10 फीट ऊंची है जो की रौद्र रूप में विराजमान है. माना जाता है की भैरव का यह रौद्र रूप दुष्टों के नाश और भक्तों की सुरक्षा के लिए है. बताया जाता है की यहां प्राचीन काल में सिद्ध योगी, तांत्रिक साधना करते थे.
सभी मुरादें होती है पूरी
शक्तिपीठ में दर्शन करने के बाद काल भैरव के दर्शन से शिव पार्वती की अपार कृपा की प्राप्ति होती है. सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही जादू-टोने, भूत प्रेत जैसे दोष भी दूर हो जाते हैं.
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