छत्तीसगढ़ विधानसभा (News18 Hindi)
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ. धर्मांतरण और बीजेपी नेताओं की हत्या को लेकर लाए गए बीजेपी के स्थगन प्रस्ताव को लेकर बार-बार हंगाम हुआ और सदन की कार्रवाई भी बार-बार रोकनी पड़ी लेकिन जब हंगामा शांत नहीं हुआ फिर हंगामें के बीच ही सदन की कार्रवाई चलती रही. हंगामें की वजह से सीएम भूपेश बघेल को भी ‘अनुपूरक बजट’ का भाषण हंगामें के बीच ही पढ़ना पड़ा.
विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि बस्तर में धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाने वालों की हत्या की जा रही है. उन्होने बस्तर में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या को भी धर्मांतरण से जोड़ दिया. और इस पर स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की. वहीं पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश में आपात काल की स्थिति है, टारगेट किलिंग की जा रही है. इसके बाद कांग्रेस के मंत्री और विधायक भी बिफर गए और सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली.
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नक्सली शांत है, तो इन्हें बर्दाश्त नहीं
सदन में गर्भगृह में विपक्ष लगातार नारेबाजी कर रहा था जिसके बाद सदन में सीएम भूपेश बघेल ने कहा – अनुपूरक बजट जिस दिन आता है स्थगन नहीं लगता, इन्हें पता नहीं जो मुद्दा ये उठा रहे हैं, ये टिकने वाला नहीं है. ये घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग हैं. मुख्यमंत्री ने बीजेपी की नारेबाजी और प्रदर्शन पर कहा – नक्सली शांत है, तो इन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है. जनता जान रही है, झीरम घाटी का असली दोषी कौन हैं. बीजेपी विधायक स्व. भीमा मांडवी की मौत की निंदा करते है. हम उनकी हत्या की जांच करा रहे थे बीजेपी NIA के पास चले गई.
विपक्ष ने सदन की परंपरा और प्रक्रिया का पालन किया है
वहीं मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा विपक्ष का दुर्भाग्य है छत्तीसगढ़ के मुद्दे पर चर्चा करने नहीं चाहते है. केवल आरोप लगाना चाहते हैं नारेबाजी कर सदन का समय जाया कर रहे हैं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा, सदन की एक परंपरा और प्रक्रिया है, जिसका पालन विपक्ष ने किया है. विपक्ष की एक ही मांग थी, स्थगन के लिए लगाया था.
‘बजट सत्र’ से आम लोगों की लगी उम्मीदें
बहरहाल, इस बजट सत्र से आम लोगों को काफी उम्मीदें है कि उनके मूलभूत जरुरतों व समस्याओं को लेकर सदन में गंभीर चर्चा हो, लेकिन जिस तरह से सदन में सार्थक चर्चा होने के बजाय हंगामों का दौर चल रहा है, इससे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. अब देखना होगा आरोप – प्रत्यारोपों के बीच आने वाले दिनों में सदन जनता की उम्मीदों पर कौन खरा उतरता है और क्या वाकई माननीय जनता के मुद्दों को उठाते दिखाई देते हैं.
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