) घोषित रामानुजनर जनपद के गांवों में सरकार की नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
इसी क्रम में शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर ग्रामीण युवा पिछले 14 दिनों से जनपद कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए है. लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
'जहां सोच, वहीं शौचालय', यह स्लोगन प्रचार प्रसार से लेकर अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने गांव के ग्रामीणों के जहन में डाल दिया है, लेकिन ग्रामीणों की समस्या अब भी बरकरार है.
ग्रामीणों का कहना है कि ओडीएफ घोषित रामानुजनगर जनपद के मकरबंधा, पीवुरी समेत कई गांवों में शौचालय निर्माण के नाम पर अधिकारी और जनप्रतिनिधियों द्वारा पैसों का आहरण कर लिया गया, लेकिन शौचालय नहीं बने.
ग्रामीणों का कहना है कि जो थोड़े शौचालय बने भी हैं वह भी आधे-अधूरे हैं. गुणवत्ताहीन सामग्री से तैयार ये शौचालय जिले में एक दिन की बारीश में ही ढह जाएंगे.
ऐसे में ग्रामीण मजबूरन झाड़ियों का दरवाजा बना कर शौचालय का उपयोग कर रहे हैं. वहीं कुछ गांवों में ग्रामीम खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर स्थानीय ग्रामीण युवाओं ने अब हल्ला बोल दिया हैं.
बीते 8 जुन से ही जनपद कार्यालय के सामने ग्रामीण धरने पर बैठे हुए हैं. लेकिन जिले के किसी भी आला अधिकारी के पास धरने पर बैठे युवाओं की मांगों का निराकरण करने का समय नहीं है.
वहीं रामानुजनगर जनपद के सीईओ बी. पी. चुरेंद्र करीब 22 हजार शौचालय का निर्माण पूरा होने की बात कर रहे हैं. सीईओ ने बताया कि ग्रामीणों को काफी प्रोत्साहित कर शौचालय निर्माण पूरा करवाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
लेकिन अधिकारी महोदय को अपने जनपद से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित गांव के अधूरे पड़े शौचालय के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वहीं मीडिया से जानकारी मिलने के बाद मामले को देखने की कही है.
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FIRST PUBLISHED : June 22, 2017, 12:58 IST