हिदे फेर आगू पीछू होए ला धर लिस, मौका बेमौका कुछु होवय अपन आप ला अइसे देखाए के कोसिस करना ओखर आदत मा सुमार हे. बड़े के संगत मा खाए बिरो पान अइसे एकठन हाना हाबे. हाना के मरम ला तो घलो जानना चाही. लुट लुट करत रहिबे ते के दिन चलही. अपनो सेती कांही मिहनत,मजूरी काबर नइ खोजय. आए दिन बेकारी के रोना रोवइया मौका के ताक मा रइथें ए बात बने नइ लागय. चलतो बेरा कुबेरा संघरगे तेखर बात अलग होथे. आए दिन सट ले खुसर के मुड़ी कान ला देखना बने नोहे. काम मा उपस्थित होना घलो चार पईसा बनाए मा मदद करथे. कुशल कारीगिर के संग ला धर के अपन जिनगी मा नवा अंजोर लाए जा सकत हे. नसा पानी कहूं संग ला धरलिस त बिगाड़ होना स्वाभाविक हे. एकरे सेती संगति घलो जान के करना चाही.
पतियाए, धरे, सकेले सबो के सेती राहय अइसे समझ ला विकसित करना जरूरी हे. काम हा बोलथे अइसे केहे गेहे. बिसवास के जमाना कभू नइ जावय अपन मेरन जतका गुणवान मनखे के संग रही ततके आने वाला कल बर अच्छा जाने गेहे. नाम लेवत तोर गुन अवगुन के बखान करईया के कमी नइये. तें जानतेच नइ अच तोर पीठ पाछू काए चलत हे. मिहनत के मूल्यांकन रुपिया मा होथे. ओहिच बुता मा अलग अलग अंजाम देखे सुने ला मिलथे. अपन योग्यता सिद्ध करना हे, बस एक लगन होना चाही. कतका दिन के तपस्या हरय पढ़ई लिखई ट्रेनिंग काम मिलगे त अनुभव करईं एला सबो झन जानथें. कतको झन तियारे के बुता करथें. चार कदम चलिन मुंअखरा गोठियाइन अउ काम बनगे. बनउकी बनत देरी नइ लागय तोला बस धीरज लगाके अपन काम ला संवारना हे.
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FIRST PUBLISHED : January 06, 2021, 18:18 IST