छत्तीसगढ़ी में पढ़ें - स्त्री के सुंदरता अउ छत्तीसगढ के संस्कृति के चिन्हारी हे गाहना

छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, आचार-विचार, पहनावा, सबे में सादगी रचे–बसे हे
छ्त्तीसगढिया स्त्री मन अपन पहनावा, बोलचाल संस्कृति, संस्कार अउ व्यवहार ले अलग पहिचाने जा सकत हें. गाहना पहिने ले उनकर सुंदरता बाढ़ जथे. गाहना के रीत-रिवाज इहाँ अच्छा चलन म हे.
- News18Hindi
- Last Updated: November 26, 2020, 1:36 PM IST
कविता के सुंदरता अलंकार(आभूषण) ले बाढ़थे अउ स्त्री के सुंदरता गाहना ले. गाहना म स्त्रीत्व सुशोभित होथे. मन उछाहिल होथे . जेवर या गाहना व्यक्तित्व के आभा मंडल ल बढाथे सांटी (पायल) म लगे घुँघरू के मधुर आवाज ले वातावरण सुखद होथे. हर अंग के गाहना के अपन परभाव हे. प्रकृति ऊर्जावान बनाथे.
छत्तीसगढ़ी में पढ़ें - बुद्धि के कसरत करवाथे छत्तीसगढी जनउला
लोक संस्कृति अउ संस्कार म गाहना
छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, आचार-विचार, पहनावा, लोकाचार, लोक-जीवन के अपन खूबी हे . सादगी रचे–बसे हे. पुरूष के तुलना म स्त्री मन जादा मिहनती होथें . छ्त्तीसगढिया स्त्री मन अपन पहनावा, बोलचाल संस्कृति, संस्कार अउ व्यवहार ले अलग पहिचाने जा सकत हें . गाहना पहिने ले उनकर सुंदरता बाढ़ जथे. गाहना के रीत-रिवाज इहाँ अच्छा चलन म हे . पहिली कांच के सुंदर –सुंदर चूरी मिलय. कांच के चूरी के संगे–संग अब प्लास्टिक के चूरी ,मोती, रबर के चूरी के चलन बाढ़गे हे.स्त्री के सुरूवाती सिंगार
स्त्री मन अपन सुंदरता ल बढ़ाय बर शरीर म गोदना, सीप.कउड़ी मोती, जुड़ा म जंगली फूल, घी, माथा म टिकुली, बिंदी, बेनी म फुंदरा, फूरहरी, झाबा–बनुरिया के उपयोग करत आत हे. इही कड़ी म उन गाहना या जेवर के रूप म सोना,चांदी के जेवर पहिनिन . मानव जाति के विकास के संगे-संग प्रकृति रूपा स्त्री मन सोना, चांदी आदि मूल्यवान धातु से तरह तरह के जेवर पहिन के सिंगार करना शुरू करिन. सिंगार करे ले उनकर ख़ूबसूरती म चार चाँद लगिस . धीरे–धीरे जेवर पहिनना जरूरी होगे. गुनिजन मन सद्चरित्रता , सरलता ,सहजता ,लाज समेत ओखर देबी सरूप ल सबले बड़े सिंगार (अलंकार) मानत आत हें.
किसम–किसम के गाहना
छत्तीसगढ़ के स्त्री मन म मोहर, नागमोरी, सूता, पुतरी, ढार, अंइठी, सुर्रा, करधन, लच्छा, बिछिया, पैजन, तोंडा, खिनवा, झुमका, लटकन, नथ, फुल्ली, बारी ,सांटी, किलिप, दाना, चूरी तरकी, ककनी, रूपिया, हंसुली, माला, जुगजुगी आदि जेवर (गहना) पहिने के रिवाज हे. कतको गहना लुप्त घलो होवत हें. छ्तीसगढिया जेवर बनवइया कारीगर गिने चुने रहिगे हें . रुचि बदले से उनकर रोजगार के आकर्षण अउ आमदनी घटगे. जीवन-यापन कठिन होगे . अब के समे ह आधुनिक अउ कलात्मक जेवर के हे. नवा पीढी म सोना ,चांदी के जेवर के संगे संग हीरा, मोती के जेवर, रानी हार, झुमका, पाजेब के मांग हे. छ्त्तीसगढ़ के कतको परंपरागत जेवर नंदावत जात हे.
पुतरी, ढार, सूता, अंइठी, नागमोरी
छत्तीसगढ के स्त्री मन गला म पुतरी पहिंनथें. दस-बारा ठन रूपिया के आकार वाले धातु के बने पुतरी बहुत सुन्दर ढंग ले गूँथ के बनाय जथे. कान म ढार पहिने जथे . एखर आकार बड़े होथे अउ पूरा कान ल ढांक लेथे. सुर्रा घलो कान म पहिने जथे . लाख के उपर सोना के पालिस करके एला बनाय जथे. एला पहनइया मन के सुंदरता बहुत बाढ़ जथे . कान म बाली ,झुमका सुंदरता बढाथे. गला म सोना या चांदी के मोहर पहिने के रिवाज हे . अंइठी चांदी के बनाय जथे. एला चूरी संग हाथ के कलइ म पहिने जथे . पटा चांदी के बने होथे अउ सादगी के निसानी होथे. एला जादातर विधवा स्त्री मन पहिनथें .
सात लर के करधन
करधन पांच ले सात लर तक के होथे. कनिहा म पहिने जथे . ये सुखी अउ समृद्ध जीवन के प्रतीक माने जथे. फुल्ली नाक के आभूषण आय . ये सोना के बने होथे . कीलनुमा होथे . बहुंटा बांह में पहिने जथे. बिछिया चांदी के होथे . एला गोड़ के अंगुली में पहिने जथे है .बिछिया मछरी के आकार के होथे. सांटी चांदी के बनथे जेला गोड़ म पहिने जथे . सांटी घूँघरूवाले घलो होथे.
नागमोरी चांदी के सांप कस मुड़े होथे जेन बांह के बाजू म पहिने जथे . पैजन चांदी के अउ गोड़ म पहिने जथे. एमा घुँघरू लगे रहिथे. देवरहा अंगुली म पहिने जथे अउ मुंदरी कस होथे . बूंदा कान के एक ठन गहना आय. खिनवा कान में पहिने जथे जोन कीप सरीख गहना आय .अब तो गिलट अउ डालडा के जेवर घलो मिलत हे. सोना–चांदी के भाव बाढे ले अच्छा पइसा वाले मन के घलो पछीना निकल जथे. बेटी बिहाव म सोना चांदी के गहना दे बिना दाई–ददा के मन नइ माड़े. ये कइसे जुग आगे के कतको झन मन बिन गहना मन मार के बेटी बिदा करे बर मजबूर होगे हें.
आर्थिक हिम्मत
गाँव –गंवई म परंम्परागत गाहना पहिने के संउख जादा दिखथे. शहरी जीवन म स्त्री मन गाहना जरूर पहिनथें फेर गरू गाहना पहिने ले परहेज घलो दिखथे. पहिली अपन आर्थिक हैसियत के अनुसार सास,बहू मन गाहना ले लदाय राहंय. अब रोजाना पहिने के हरू गाहना जादा पसंद करे जात हे. कुछ गरू गाहना बर-बिहाव अउ तिहार-बार म पहिने जथे . आजो गाहना-गूठा परिवार के समृद्धि के चिन्हारी हे. घर म गाहना रेहे ले परिवार के आर्थिक हिम्मत बाढ़थे .सोना-चांदी ले जब चाहो तब नकद रकम मिल जथे. जरूवत अनुसार गाहना धरे ले (रहन)जेवर के एवज म बियाजू पइसा मिल जथे. बेचे ले नकद रकम हाथ लगथे . एखर सेती हैसियत के अनुसार छोटे-बड़े सबे परिवार म गाहना के मान हे.
देवारी तिहार होथे जादा खरीदी
छत्तीसगढ़ म जादातर गाहना बिहाव म टिके बर खरीदे जथे. जब किसान अपन फसल ल बेचथे तब जरूवत होय ले सोना चांदी के जेवर लेथें जेन एन समे म काम आथे. तिहार बार म ख़ास कर देवारी तिहार म सोना चांदी के खरीदी जादा होथे. सोना चादी के भाव सातवाँ आसमान म पहुंच गे हे. बड़हर म बर सोना चांदी ,हीरा ,मोती खरीदना हर मउसम म आसान हे.
छत्तीसगढ़ी में पढ़ें - बुद्धि के कसरत करवाथे छत्तीसगढी जनउला
लोक संस्कृति अउ संस्कार म गाहना
छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, आचार-विचार, पहनावा, लोकाचार, लोक-जीवन के अपन खूबी हे . सादगी रचे–बसे हे. पुरूष के तुलना म स्त्री मन जादा मिहनती होथें . छ्त्तीसगढिया स्त्री मन अपन पहनावा, बोलचाल संस्कृति, संस्कार अउ व्यवहार ले अलग पहिचाने जा सकत हें . गाहना पहिने ले उनकर सुंदरता बाढ़ जथे. गाहना के रीत-रिवाज इहाँ अच्छा चलन म हे . पहिली कांच के सुंदर –सुंदर चूरी मिलय. कांच के चूरी के संगे–संग अब प्लास्टिक के चूरी ,मोती, रबर के चूरी के चलन बाढ़गे हे.स्त्री के सुरूवाती सिंगार
स्त्री मन अपन सुंदरता ल बढ़ाय बर शरीर म गोदना, सीप.कउड़ी मोती, जुड़ा म जंगली फूल, घी, माथा म टिकुली, बिंदी, बेनी म फुंदरा, फूरहरी, झाबा–बनुरिया के उपयोग करत आत हे. इही कड़ी म उन गाहना या जेवर के रूप म सोना,चांदी के जेवर पहिनिन . मानव जाति के विकास के संगे-संग प्रकृति रूपा स्त्री मन सोना, चांदी आदि मूल्यवान धातु से तरह तरह के जेवर पहिन के सिंगार करना शुरू करिन. सिंगार करे ले उनकर ख़ूबसूरती म चार चाँद लगिस . धीरे–धीरे जेवर पहिनना जरूरी होगे. गुनिजन मन सद्चरित्रता , सरलता ,सहजता ,लाज समेत ओखर देबी सरूप ल सबले बड़े सिंगार (अलंकार) मानत आत हें.
किसम–किसम के गाहना
छत्तीसगढ़ के स्त्री मन म मोहर, नागमोरी, सूता, पुतरी, ढार, अंइठी, सुर्रा, करधन, लच्छा, बिछिया, पैजन, तोंडा, खिनवा, झुमका, लटकन, नथ, फुल्ली, बारी ,सांटी, किलिप, दाना, चूरी तरकी, ककनी, रूपिया, हंसुली, माला, जुगजुगी आदि जेवर (गहना) पहिने के रिवाज हे. कतको गहना लुप्त घलो होवत हें. छ्तीसगढिया जेवर बनवइया कारीगर गिने चुने रहिगे हें . रुचि बदले से उनकर रोजगार के आकर्षण अउ आमदनी घटगे. जीवन-यापन कठिन होगे . अब के समे ह आधुनिक अउ कलात्मक जेवर के हे. नवा पीढी म सोना ,चांदी के जेवर के संगे संग हीरा, मोती के जेवर, रानी हार, झुमका, पाजेब के मांग हे. छ्त्तीसगढ़ के कतको परंपरागत जेवर नंदावत जात हे.
पुतरी, ढार, सूता, अंइठी, नागमोरी
छत्तीसगढ के स्त्री मन गला म पुतरी पहिंनथें. दस-बारा ठन रूपिया के आकार वाले धातु के बने पुतरी बहुत सुन्दर ढंग ले गूँथ के बनाय जथे. कान म ढार पहिने जथे . एखर आकार बड़े होथे अउ पूरा कान ल ढांक लेथे. सुर्रा घलो कान म पहिने जथे . लाख के उपर सोना के पालिस करके एला बनाय जथे. एला पहनइया मन के सुंदरता बहुत बाढ़ जथे . कान म बाली ,झुमका सुंदरता बढाथे. गला म सोना या चांदी के मोहर पहिने के रिवाज हे . अंइठी चांदी के बनाय जथे. एला चूरी संग हाथ के कलइ म पहिने जथे . पटा चांदी के बने होथे अउ सादगी के निसानी होथे. एला जादातर विधवा स्त्री मन पहिनथें .
सात लर के करधन
करधन पांच ले सात लर तक के होथे. कनिहा म पहिने जथे . ये सुखी अउ समृद्ध जीवन के प्रतीक माने जथे. फुल्ली नाक के आभूषण आय . ये सोना के बने होथे . कीलनुमा होथे . बहुंटा बांह में पहिने जथे. बिछिया चांदी के होथे . एला गोड़ के अंगुली में पहिने जथे है .बिछिया मछरी के आकार के होथे. सांटी चांदी के बनथे जेला गोड़ म पहिने जथे . सांटी घूँघरूवाले घलो होथे.
नागमोरी चांदी के सांप कस मुड़े होथे जेन बांह के बाजू म पहिने जथे . पैजन चांदी के अउ गोड़ म पहिने जथे. एमा घुँघरू लगे रहिथे. देवरहा अंगुली म पहिने जथे अउ मुंदरी कस होथे . बूंदा कान के एक ठन गहना आय. खिनवा कान में पहिने जथे जोन कीप सरीख गहना आय .अब तो गिलट अउ डालडा के जेवर घलो मिलत हे. सोना–चांदी के भाव बाढे ले अच्छा पइसा वाले मन के घलो पछीना निकल जथे. बेटी बिहाव म सोना चांदी के गहना दे बिना दाई–ददा के मन नइ माड़े. ये कइसे जुग आगे के कतको झन मन बिन गहना मन मार के बेटी बिदा करे बर मजबूर होगे हें.
आर्थिक हिम्मत
गाँव –गंवई म परंम्परागत गाहना पहिने के संउख जादा दिखथे. शहरी जीवन म स्त्री मन गाहना जरूर पहिनथें फेर गरू गाहना पहिने ले परहेज घलो दिखथे. पहिली अपन आर्थिक हैसियत के अनुसार सास,बहू मन गाहना ले लदाय राहंय. अब रोजाना पहिने के हरू गाहना जादा पसंद करे जात हे. कुछ गरू गाहना बर-बिहाव अउ तिहार-बार म पहिने जथे . आजो गाहना-गूठा परिवार के समृद्धि के चिन्हारी हे. घर म गाहना रेहे ले परिवार के आर्थिक हिम्मत बाढ़थे .सोना-चांदी ले जब चाहो तब नकद रकम मिल जथे. जरूवत अनुसार गाहना धरे ले (रहन)जेवर के एवज म बियाजू पइसा मिल जथे. बेचे ले नकद रकम हाथ लगथे . एखर सेती हैसियत के अनुसार छोटे-बड़े सबे परिवार म गाहना के मान हे.
देवारी तिहार होथे जादा खरीदी
छत्तीसगढ़ म जादातर गाहना बिहाव म टिके बर खरीदे जथे. जब किसान अपन फसल ल बेचथे तब जरूवत होय ले सोना चांदी के जेवर लेथें जेन एन समे म काम आथे. तिहार बार म ख़ास कर देवारी तिहार म सोना चांदी के खरीदी जादा होथे. सोना चादी के भाव सातवाँ आसमान म पहुंच गे हे. बड़हर म बर सोना चांदी ,हीरा ,मोती खरीदना हर मउसम म आसान हे.