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छत्‍तीसगढ़ी विशेष: हमर छेदीलाल बैरिस्टर

त्रिपुरी कांग्रेस म छेदीलाल बैरिस्टर ल जनरल आफीसर इन कमाण्ड बनाय  गीस.

त्रिपुरी कांग्रेस म छेदीलाल बैरिस्टर ल जनरल आफीसर इन कमाण्ड बनाय  गीस.

छत्‍तीसगढ़ के चंदूलाल चंद्राकर अऊ छेदीलाल बैरिस्टर चाहतिन त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन जतिन फेर आय मौका ल ठोकर मार के ...अधिक पढ़ें

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रहिमन विपदा तू भली जो थोरे दिन होय।
शत्रु मित्र सबकी गती, जानि परै सब कोय।।

मर छत्‍तीसगढ़ के सुरूज बरोबर सपूत ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर ल रहीम के ये दोहा मंतर बरेबर लागय. छेदीलाल बैरिस्टर हा छत्‍तीसगढ़ के पहला सपूत ये जौन हा इंगलिस्तान म जाके बैरिस्टर के पढ़ई करिस. ओतका पढ़े लिखे नेता गिनती के रिहिन. देश के आजदी बर लड़े खातिर घर दुवार ला तियाग दीन. अपन बैरिस्टरी के काम ला छोड़ के गांधी, नेहरू सरदार वल्लभभाई पटेल, राजेन्द्र बाबू, सुभाष चंद्र बोस संग मिलके लड़िन अऊ देश ला आजाद करइन. छत्‍तीसगढ़ के बैरागी सुभाव वाला छेदीलाल बैरिस्टर के तियाग देख के गांधी जी अऊ सरदार पटेल  चकित होगें.

त्रिपुरी कांग्रेस म छेदीलाल बैरिस्टर ल जनरल आफीसर इन कमाण्ड बनाय  गीस. गांधी जी के समर्थन पाके पुरूषोत्‍तम दास टण्डन कांग्रेस के अध्यक्ष पद बर खड़ा होगे. सुभाष बाबू ओला हरवा के बनगे अध्यक्ष. गांधी जी हा ये हार ल अपन हार मानिस. ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर हा सुभाष बाबू के जीत के बाद बावन हाथी के जुलूस निकालिस. देस भर के राजा जमीदार मन ओला मान दंय. दू हथिनी खुदे वोकरे घर अकलतरा म रिहिस. सब देखते रहिगें.

सुभाष बाबू तब बीमार रिहिस. सबो इन्तजाम ल देख के छेदीलाल जी ला गजब संहरइस. ऊहां ओंकारनाथ ठाकुर के बाद छत्‍तीसगढि़या कलाकार मन गइन बजइन अऊ छत्तीसगढ़ के डंका बाजगे. ओंकारनाथ ठाकुर छत्‍तीसगढ़ के कलाकार मन ला संहरइस.

सुभाष बोस हा छेदीलाल बैरिस्टर के हाथ ला घर के किहिस, मितान मोर बिमारी म घलो तँय अतेक बड़ कारज ला कर दिखाय जौन मँय घलो नई करे पातेंव. त्रिपुरी कांग्रेस, म तोर बेवस्था अऊ भाई तँय सदा मोला याद रिबे.

आज सुभाष बाबू नइये. ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर नइये. फेर ऊंकर नाव के डंका बाजत हे. अगलतरा म 1891 में जन्म लीन अऊ 18-9-1956 के बिलासपुर में दिल के बीमारी मा अकस्मात ऊंकर निधन होगे. छैंसठ बरस के छोटे से समय म छेदीलाल जी बहुत बड़े बड़े काम करके अमर होगे.

1914 म 23 साल के उमर मा बार एट ला के डिग्री पागें. गुरूकुल कांगड़ी म पढ़इन अऊ 1916 म बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय म इतिहास के प्रोफेसर बनिन.

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1920 म गुरू अंजोर दास अऊ गुरू अगमदास के अघुवइ म सतनामी समाज ला पं. रविशंकर शुक्ल के हाथ ले जनेऊ पहिरा के गांधी जी के सपना पूरा करिन.

पंडित मदन मोहन मालवीय के बनाय सेवा समिति के उप सभापति बनिन. गढ़वाल मे अकाल परिस त दू बोरा रूपिया छत्‍तीसगढ़ ले लेग के चाऊंर गहूँ बिसाके ऊहां बांटिन.

1926 में जब गांधी जी बिलासपुर अइन त सभा के स्वागताध्यक्ष बनिन. पहली बिहई के एक लइका गुजरे के बाद बालबच्चा नई होइस त 1927 म सुशीला देवी के संग दुसरइया बिहाव होइस. सुशीला देवी हा उत्‍तर प्रदेश के बड़े जमींदार घर ले छत्‍तीसगढ़ अइस बहू बनके.

ओकर दू लइका अंवतरिस. रत्नावली सिंह अऊ विजय सिंह. छेदीलाल बैरिस्टर हा स्थानीय निकाय के चुनई म खड़ा होइस. तभे बाबू अवतरिस. विजय के बिसवास रिहिस. नाव धरिस विजय. नाव का धरइस ठाकुर छेदीलाल के विजय होगे. पहिलावंत बेटी हा दू साल के रिहिन. नाव धरिन रत्नावली. रत्नावली पढ़ लिख के प्रोफेसर बनिस.

अपन बाप छेदीलाल बैरीस्टर ऊपर किताब लिखे हे रत्नावली हा. नाव हे हमर छेदीलाल बैरिस्टर. बहुते सुन्दर जानकारी वाला किताब ये येहा. छत्‍तीसगढ़ सरकार हा 2002 म येला छापिस. ये किताब हा पढ़ने पढ़न माथे. रोचक अऊ जानकारी भरे किताब ये येहा.

1930 म छेदीलाल जी के उकील वाला सनद ला सरकार हा नंगा लीस. स्वतंत्रता आन्दोलन म भाग लेके आगू बढ़ने वाला छत्‍तीसगढ़ के सपूत के प्रेक्टीस म बाधा परगे. छेदीलाल बैरिस्टर के नाव चारो मुड़ा रिहिस. फेर अंगरेज मन के आगू झुकिस नहीं. देस सेवा म जी परान लगा के भिड़गे. छोड़ दीस उकीली

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1931-1951 तक महाकोशल कांगरेस के अध्यक्ष रिहिस. 1933 म डिस्ट्रीक कौशिल के चेयर मेन बनिस.

1934-35 म बंगाल नागपुर लेबर यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बनिस. पूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरी ये यूनियन के अध्यक्ष रिहिस. वी.वी. गिरी जी देस के आजादी के बाद बिलासपुर अइस त छेदीलाल जी के बंगला म ठहरिन.

रेल मजदूर यूनियन के हड़ताल होगे रहाय. वी.वी. गिरी बिलासपुर अइन. अंगरेजमन हड़ताल ला खतम करेबर गांव के मजदूर मन ला मालगाड़ी भर के  लेगत राहय. वी.वी. गिरी फिकर करत राहय. छेदीलाल जी हा नाटक अऊ लीला करवावय. अपन मंडली के दू तीन झन कलाकार मन ला लेके मालगाड़ी के तीर तीर रेंगत गीस. बड़ संसो करे असन किहिस - ‘का करबे जी. पुलिया भोसक गे हे. मनखे के बली लीही तब बनही. ये बिचारा मन ल पूजे बर लेगत हें. बली दे बर लेगत हें. गांव के मनखे जानय नहीं. जात हे मरे बर. जादा पइसा मिलही किथे. जिहीं तब तो बपुरा मन पैसा ला काहीं काम म लिही. बली बन जाही त का होही. ‘

ये बात ल सुनके मालगाड़ी म भराय सबो मजदूर भदर भदर कूद दीन. अंगरेज के पिछलग्गू मजदूर मन के ठेकादार समझे नइ पइस. गमे नइ पइस के का होगे. हड़ताल सफल होगे. तब वी.वी.गिरी पूछिस के तँय कइसे सबला भगवा देस. बात ला जान के वी.वी. गिरी हांसिस. अइसन दिमाग वाला नेता रिहिन छेदीलाल बैरीस्टर.

गांधी जी वोला पद देबर गजब मनइस फेर छेदीलाल बैरिस्टर साफ मना कर दिस. त गांधी जी किहिस तँय हर योग्य हस. बनना चाही. फेर तोला कहूं पद के मोह नइये त मोर आसीरवाद हे अइसने सेवा करना बड़े बात ये.

छेदीलाल जी किहिस - बापू तोर आसीरवाद ले बड़े कोनो चीज नइये. मोला सब मिलगे. औइसने आजादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल छेदीलाल बैरीस्टर ला मुख्यमंत्री बने बर जोजियइस छेदीलाल नई मानिस ? किहिस मोर घर के खर्चा मुख्यमंत्री के तनखा म नई चलय. मैं बड़े वकील अंव. बहुत अच्छा वकालत हे. मैं घूंस नइ खांव अऊ आप घलो नइ चाहव के मंय घूंस म घर चलावंव. त मोला माफी दव. पद ला दूसर मन ल दे दव.

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पटेल हा दुसरइया दिन आके बताय बर किहिस. अपन जगा कोनो बने दूसर मनखे के नाव बताय बर किहिस. दूसरे दिन जब बैरिस्टर साहब ह पटेल घर जाय बर मोटर म बइठिस त पंडित रविशंकर शुक्ला ओकर संग जाय बर संघर गे.

पटेल जान डरिस के इही हा जवाब ये. अऊ रविशंकर शुक्ल मुख्यमंत्री बनगे. पंडित रविशंकर शुक्ला हा छेदीलाल ला कई घांव मुख्यमंत्री बर अपन नाव चलाय बर केहे रिहिस हे. ओकर बात ल राखे बर संग म लेगिस अऊ मुख्यमंत्री के पद म पहुंचइस. अइसे तियागी नेता रिहिन छेदीलाल बैरिस्टर.

अतेक बड़ नेता के बेटा बेटी मन अपने मेहनत म जीता जिनगी चलइन. रत्नावली प्रोफेसर बनिस अऊ विजय हा जलसेना म अधिकारी बनिस कोमोडोर जइसे बड़े पद म पहुंच के रिटायर होइस. छेदीलाल बैरिस्टर डॉ. खूबचंद बघेल, चंदूलाल चंद्राकर जइसन नेता रिहिन जिकर परिवर के मन निसैनी बनाके उपर डाहर नइ चढ़िन. नहीं ते नेता मन घर भर ला नेता बनाके मजा उड़ाथें ये बात ला हम सब जानथन सुनथन।

छत्‍तीसगढ़ के चंदूलाल चंद्राकर अऊ छेदीलाल बैरिस्टर चाहतिन त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन जतिन फेर आय मौका ल ठोकर मार के जन जन के सेवा करिन. येकरे सेती ऊंकर नाव चारो मुड़ा बगरे हे.

छेदीलाल बैरिस्टर हा बड़े वकील रिहिस फेर गरीबहा, मुरहा पोटरा के हक बर बिन पइसा के कई घाव पैरवी करिन अऊ ओला जितवइन. 1937 में गांधी जी हा वर्धा म बला के मध्य प्रांत अऊ बरार के पहली मुख्यमंत्री बने बर जोजियइस. फेर छेदीलाल बैरिस्टर नइ मानिस.

आज नान नान पंच सरपंच के पद पर मारी मारा होय लगथे. धन्न हे हमर छत्‍तीसगढ़ के अइसन सपूत जौन पद पइसा के मोह छोड़ के अपन सही रद्दा ला कभू नई छोड़िन. 1942 म विधान परिषद के सदस्य बनिन.

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1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन म बम्बई म गिरफ्तार होइन. 1946-52 म संविधान सभा के सदस्य बनिन. गांव घर के लइका मन ल पढ़ाय बर अपन कोती ले जीवन भर उदिम करिन. साहित्यकार मन के गजब सनमान करने वाला छेदीलाल बैरिस्टर महादेवी वर्मा निराला, मैथिली शरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी के बहुत निकट रिहिन. महादेवी वर्मा बिलासपुर अइस. बैरिस्टर जीहा सरस्वती अऊ कर्मवीर के संपादन म सहयोग करिन.

अपन नानपन के संगवारी अर्जुन ल जिनगी भरसंग म राखिन. अर्जुन हा घर के नौकर नहीं घर परिवार के मनखे बनके सेवा करिस.

छेदीलाल बैरिस्टर एक अच्छा  कलाकार, संगीत प्रेमी साहित्य रसिक अऊ खिलाड़ी रिहिस. गांधी जी के रद्दा म चलके गांव ला सरग बनाय के कोसिस करिस. छत्‍तीसगढ़ के मान बढ़इस. देश दुनिया म छत्‍तीसगढ़ के डंका बजइस.

Tags: Articles in Chhattisgarh language, Chhattisgarh Special, Chhedilal Barrister, Chief Minister, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश

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