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जुड़-ताप जउन ल सरदी-गरमी कहिथन, ओकर जीवन मं बहुत परभाव परथे. हवा, पानी बिगर तो कोनो परानी, जीव-जन्तु एक सेकंड नइ रहि सकय. परान-पखेरु उड़ब मं कोनो देरी नइ होवय. शुद्ध परयावरन, परान वायु होथे. इकर तलाश मं हर कोई रहिथे. जब ले उद्योग, धंधा, कलकारखाना खुलत गिसे, तब ले जल अउ वायु दूनो अधमरा होवत गिन हे. ओमन अधमरा तो होइसे ओकर संग मं सबो परानी, जीवन-जन्तु अउ मनखे के हालत ओकरे मन असन होय ले धर लिस. अउ तभे ले नाना परकार के रोग-राई अउ बड़े-बड़े बीमारी अजगर मन सही सब ल धर खाय लगिस, सचरे ले धर लिस छत्तीसगढ़ ल कोन काहय, ओकर समेत भारत अउ देश-विदेश के मन घला परभावित होय ले धर लिन. एकर सबले बड़े उदाहरन कोरोना बीमारी हे जउन पूरा संसार भर ला हलाहल कर के रख दे रिहिसे.
आन (दूसर) जघा ले, तभो ले छत्तीसगढ़ थोकन फरियर (शुद्ध) हे्. अइसन नइ होतिस तब विदेशी परयटक मन के संख्या दिन दूनी रात चउगुनी नइ बढ़त जातिस. मनके मन ल कोन काहय घुमन्तू (प्रवासी) पक्षी मन घला पहिली पसंद छत्तीसगढ़ हे. सात समुन्दर ले पार करके ये प्रवासी पक्षी मन अपन मनपसंद सरोवर, नदिया, झील, तालाब मं साल मं जहां मौसम, परयावरन ओकर मन के अनुकूल होथे आ जथे सैर-सपाटा बर अउ जतका दिन रेहे के मन होथे मस्ती करथे, रंगरेली मनाथे, चोंच लड़ाथे.
छत्तीसगढ़ मं ओ प्रवासी पक्षी मन के पसंद के मूनस्पाट हे महासमुंद, बलौदाबाजार, कवर्धा, बेमेतरा अउ जगदलपुर. जउन मौसम ओकर मन के अनुकूल होथे, कोन जनी ओमन ल कइसे पता चल जथे, का ओकर मन करा सूचना तंत्र हे, सात समुंदर पार करके एरोप्लेन असन उड़ाके पहुंच जथे छत्तीसगढ़. अभी देवारी के पहिली महासमुंद जिला के कोडार बांध मं ओर विदेशी पक्षी मन के झुंड के झुंड पहुंचे के खबर मिले रिहिसे. वइसने बलौदाबाजार, बेमेतरा, कवर्धा अउ धमतरी जिला मं घला ओकर मन के धमके के खबर मिले रिहिसे.
अभी-अभी जगदलपुर के संगवारी से गोठ बात होवत रिहिस तब बतइस के शहर के सबले बड़े तरिया जेकर नांव दलपत सागर हे, उहां विदेशी पहुना पक्षी मन के कलरव गूंजत हे. ये मन यूरोप के आय, जउन आठ-दस हजार किलोमीटर दूरी तय करके दलपत सागर मं डेरा डारे हे. देखब मं ये पक्षी मन तीन परकार के हे. जानकार मन के मुताबिक पहली पक्षी रेड, क्रेस्टेड पोचार्ड, दूसर- यूरेशियन विगन अउ तीसर गढ़वाल नाम के पक्षी हे. यूरेशियन विगन पक्षी के प्रजाति के नांव पेनेलोक बताय जाथे.
गढ़वाल प्रजाति के पक्षी के बारे में केहे जाथे के ओहर जीवन मं एक घौं अपन जोड़ा बनाथे अउ जीवनभर साथ निभाथे या शुद्ध दाम्पत्य जीवन गुजारथे, ताज्जुब के बात हे के आज के जुग मं मनके मन अइसन संयम नइ कर सकय, जउन ले ये विदेशी पहुना पक्षी निभाथे ये तो बहुत आदर्श जीवन अउ प्रेरणा, सबक अउ सीख ले के बात हे.
अभी जगदलुपर के दलपत सागर मं सैकड़ों विदेशी पहुना पक्षी के संगे-संग स्थानीय प्रजाति के कतको पक्षी के करलव करत, गुंजायमान करत देखे जा सकत हे. एमा यूरेशियन कूट, लेजर विसलिंग डक अउ परपल हेरान परमुख हे. ये पहुना पक्षी मन ल देखे खातिर कतको परयटक दलपत सागर कोती किंजरे ल जावत हे. अलग-अलग रूप-रंग, कद-काठी के ये आवाज घला सबके मन ल मोह लेवत हे.
कतेक सुग्घर जगह हे, पावन धाम हे छत्तीसगढ़. तभे तो जउन इहां आथे रिझ जथे, मन मोहा जथे सबके. तब अइसना जघा मं विदेशी पक्षी मन के आना कोनो आश्चर्य के बात नइहे. अतिथि देवो भव:, इही तो छत्तीसगढ़ के अमरित अउ आदर्श वाक्य हे. मेहमानवाजी करना इही ला इहां के धरती सिखाय हे. धन्य हे अइसन पावन धरा-धाम ल शत्-शत् नमन ओला.
( डिसक्लेमर – ये लेखक के निजी विचार हैं.)
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Tags: Bird, Chhattisgarh Articles
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