देश के अन्य हिस्सों की तरह गोवा में भी प्राथमिक स्कूलों में मिड डे मिल की स्थिति कोई बेहतर नहीं है। कम से कम एक मामले में तो जिस कमरे में खाना बनाया जाता है, वहां बिल्लियों और कुत्तों के बच्चे पाए गए। बिहार में हुई दुर्घटना के बाद पूरे देश में जिस तरह से स्कूलों में मिड डे मिल को लेकर चेतावनी का माहौल बना है उसके कारण गोवा सरकार भी बाध्य होकर स्कूलों में खाने की योजना की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए नए सिरे से प्रयास कर रही है।
जून में खाद्य और दवा प्राधिकरण की एक जांच में दक्षिण गोवा के कैनाकोना में एक स्कूल के 86 बच्चों ने बताया कि जिस कमरे में खाना बनता था वहां कुत्तों और बिल्लियों के बच्चे रहते थे। सरकार अस्थायी तौर पर मध्याह्न् भोजन योजना को बंद करने पर विचार कर रही थी लेकिन अब मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि खाने में ऐसी चीजें परोसी जाएंगी जिनसे संक्रमण का खतरा कम हो। अब मध्याह्न भोजन में गेहूं की रोटियों और फलों पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की निगरानी अब शिक्षा विभाग के विशेष खाद्य निरीक्षक करेंगे। पर्रिकर ने कहा कि खाद्य निरीक्षक इन खाद्य वस्तुओं का नियमित निरीक्षण करेंगे। पिछले दो महीनों के भीतर कई स्कूलों के बच्चे खराब मध्याह्न् भोजन के कारण बीमार पड़ चुके हैं। शनिवार को पणजी से 25 किलोमीटर दूर परनेम के कमलेश्वर स्कूल में कक्षा चार और पांच के बच्चों को मध्याह्न् भोजन खाने के बाद उल्टियां आने लगीं। बाद में इन सभी को अस्पताल पहुंचाया गया।
राज्य के कई स्थानों में बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाएं सामने आईं हैं। पर्रिकर ने विधानसभा में पिछले वर्ष खुद स्वीकार किया था कि मध्याह्न् भोजन में दिया जाने वाला खाना कुछ मामलों में तो जानवरों के खाने लायक भी नहीं होता है। मुख्यमंत्री अब चाहते हैं कि अभिभावक और अध्यापक बच्चों को दिए जाने खाने की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं।
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FIRST PUBLISHED : July 29, 2013, 14:27 IST