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निर्भया की वो 6 चिट्ठियां...और आखिरी ख्वाहिश

निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने 2013-14 में निर्भया फंड की शुरूआत की

निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने 2013-14 में निर्भया फंड की शुरूआत की

पढ़िए निर्भया ने क्या कुछ लिखा, उस दिल दहलाने वाले मंजर से गुजरते हुए... और आखिरी खत में क्या थी उसकी आखिरी ख्वाइश...

    16 दिसंबर, 2012 की वो भयावह घटना जिसने निर्भया समेत पूरे समाज को हिलाकर रख दिया था . 16 दिसंबर की उस रात को निर्भया के साथ जो हुआ उसने पूरे देश को झंकझोर दिया था. निर्भया कांड को साढ़े चार साल बीत चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट साढ़े चार साल बाद आज इस केस पर अपना फैसला सुनाने वाला है. निर्भया गैंगरेप में चार दोषियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला देगा.

    निर्भया इस दुनिया से तो चली गई लेकिन उस दौरान निर्भया ने जो दर्द झेले, उसका हिसाब किसी के पास नहीं है. वो गई तो, लेकिन जाने से पहले वो कई बार हिम्मत जुटा कर अपनी बात सबके पास पहुंचाती रही. पढ़िए निर्भया  का आख़िरी खत, खत में निर्भया न क्या कुछ लिखा था और आखिरी खत में क्या थी उसकी आखिरी ख्वाइश...

    पहली चिट्ठी

    निर्भया ने 19 दिसंबर 2012 को पहली चिट्ठी लिखी। निर्भया ने कहा, मां.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है। इतना दर्द की सहा नहीं जा रहा है। मेरी बचपन में डॉक्टर बनने की तमन्ना थी, ताकि मैं लोगों के दर्द दूर कर सकूं। लेकिन मुझे नहीं पता था कि ऐसा दर्द मुझे झेलना पड़ेगा। डॉक्टरों की दवाइयां मेरा दर्द कम नहीं कर पा रही हैं।

    दूसरी चिट्ठी

    निर्भया ने दो दिनों बाद 21 दिसंबर 2012 को बेहोशी से जागने के बाद दूसरी चिट्ठी लिखी। मां, मुझे सांस लेने में प्रोब्लम हो रही है। डॉक्टरों से कह दो कि मुझे नींद की दवाई न दें। मैं सोती हूं, तो कई लोग मेरे शरीर को नोचने लगते हैं। मैं बेबस होती हूं। सोते हुए मैं क्या समझ पाती हूं, मुझे नहीं पता। लेकिन बहुत दर्द होता
    है। एक काम और करो मां.. यहां पास के सारे शीशे तोड़ दो। खिड़की के भी। मैं अपना चेहरा नहीं देखना चाहती।

    तीसरी चिट्ठी

    निर्भया ने अगले ही दिन यानी 22 दिसंबर 2012 को तीसरी चिट्ठी लिखी। निर्भया ने नहाने की ख्वाइश जताई और कहा कि मां, मुझे नहाना है। मुझे उस जानवरों के शरीर की बदबू आ रही है। जिसकी वजह से मुझे अपने ही शरीर से नफरत हो गई है। मैंने कई बार बाथरूम जाने की कोशिश की। लेकिन उठ नहीं पा रही है। मम्मी.. प्लीज मुझे छोड़कर मत जाना। मुझे अकेले में डर लगता है।

    चौथी चिट्ठी

    निर्भया ने चौथी चिट्ठी 23 दिसंबर 2012 को लिखी। जिसमें निर्भया ने अपनी मां से पिता के बारे में पूछा। निर्भया ने पूछा कि मां, पापा कहां हैं ? वो मुझसे मिलने क्यों नहीं आ रहे ? वो पापा कैसे हैं मां ? उनसे बोलना कि वो दुखी न हो।

    पांचवी चिट्ठी

    निर्भया धीरे-धीरे अपनी हिम्मत छोड़ रही थी। वो अब जीने की ताकत गवां रही थी। वो टूट चुकी थी। तभी तो उसने 25 दिसंबर 2012 को लिखी चिट्ठी में दरिंदों को सजा देने की मांग की। निर्भया ने लिखा कि ‘इन जानवरों को छोड़ना मत।’ किसी को भी माफ मत करना। उसने अपने दोस्त की भी हालत पूछी।

    आखिरी चिट्ठी

    निर्भया ने आखिरी चिट्ठी 26 दिसंबर 2012 को लिखी। जब वो पूरी तरह से बेहाल हो चुकी थी। लगातार मौत से संघर्ष कर रही निर्भया ने लिखा। मां.. अब मैं बहुत थक गई हूं। मुझे अब सोने दो। मां, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मुझे दर्द हो रहा है। डॉक्टर से कहकर दवाई दे दो मुझे। मां, मुझे माफ कर देना। मैं थक गई हूं। अब और दर्द नहीं झेल सकती।

    और इसी खत के बाद निर्भया कोमा में चली गई। एक ऐसे अज्ञातवास में, जहां से कोई वापस नहीं आता। निर्भया ने ये चिट्ठियां भले ही अपनी मां के लिए लिखी हों, लेकिन ये चिट्ठियां उसके संघर्ष को बयान करती है। जिन्हें पढ़कर सिर्फ इतना ही कहने को दिल करता है। सलाम-निर्भया!

    Tags: Delhi

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