श्रवण शुक्ल
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप हत्याकांड की दूसरी बरसी पर तमाम महिला संगठनों और महिला कार्यकर्ताओं की सरकार से शिकायत है कि वो महिलाओं से जुड़े मामलों पर गंभीर नहीं है। उनका कहना है कि सरकार ने कानून तो बना दिए, वो आधे-अधूरे लागू भी हो गए। लेकिन इन सबके बीच उनके साथ कोई खड़ा नहीं होता, तो पीड़ित हैं। सरकार उनकी ओर देखती तक नहीं है। सरकार ने निर्भया केस के बाद कई कदम उठाने की घोषणा की थी, लेकिन वो कहीं दिखते नहीं। निर्भया के नाम पर रेप क्राइसिस सेंटर खोले जाने की बात कही गई, लेकिन वो बात कहां दब गई किसी को कुछ नहीं पता।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह कहती हैं कि सरकार ने लोगों को सिर्फ बरगलाया है। हालांकि वो दिल्ली में किसी सरकार के न होने को भी दुर्भाग्यपूर्ण मानती हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने कुछ रेप क्राइसिस सेंटर्स तो खोले, लेकिन अब वो भी बंद हैं। सरकार ने कहा था कि वो पुलिसिंग में सुधार लाएगी। लेकिन वो सुधार कहां हैं ? बरखा की शिकायत है कि ये सरकार महिला संगठनों की सुनती नहीं है, और सबको उनके हाल पर छोड़ दिया है। ऐसे में समाज कितना सुरक्षित है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
सीपीआई(एमएल) की पोलित ब्यूरो की सदस्य और महिला कार्यकर्ता कविता कृष्णन का कहना है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दावे करती है। लेकिन वो दावों पर कभी खरा नहीं उतरती। सरकार ने कहा कि वो ऐसे सभी मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुलझाएगी। लेकिन क्या हुआ ? ये सब जानते हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, लेकिन वो अबतक सांस ले रहे हैं। क्योंकि हाईकोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। ऐसे में फास्ट ट्रैक कोर्ट का क्या लाभ ? ऐसे मामलों में सरकार को चाहिए कि वो उच्च स्तर पर भी फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाएं, जो सिर्फ फास्ट ट्रैक कोर्ट के मामलों की सुनवाई करे और जल्द फैसला ले।
कविता कृष्णन का सवाल है कि सरकार ने महिला सुरक्षा के नाम पर जो वादे किए, जो दावे किए। वो सब कहां हैं ? क्या सरकार ने अपना एक भी दावा पूरा किया ? अबतक कितनी बच्चियों को निर्भया फंड से मदद मिली ? क्या आज भी पुलिस ऐसे मामलों को तुरंत संज्ञान में लेती है ? कविता का साफ कहना है कि हालात में तबतक सुधार नहीं हो सकते। जबतक हमारे समाज की और हमारी सरकार की इच्छा शक्ति में परिवर्तन नहीं आएगा।
कविता कृष्णन का कहना है कि वो सरकार की ओर से जारी 1000 करोड़ के निर्भया फंड पर कुछ नहीं बोलेंगी। लेकिन सरकार ये बताए, कि क्या दिल्ली में वाकई सुधार हुआ है? अगर सुधार हुआ है तो कहां ? क्या अब लड़कियों को कहीं भी जाना हो तो खुलकर जा सकती हैं? क्या ऑटो वाले अब द्वारका जैसे इलाकों में जाते हैं ? क्या सरकार ने सभी सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए ? क्या सभी गाड़ियों में जीपीएस लग चुका है ? क्या सरकार के दावे के अनुसार महिलाओं के लिए बेहतर परिवहन की व्यवस्थाएं की गई हैं ? ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब देश की आधी आबादी ढ़ूंढ़ रही है। लेकिन जवाब मिलते नहीं।
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2014, 09:14 IST