श्रवण शुक्ल, नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले से।
नई दिल्ली। प्रगति मैदान में साहित्य प्रेमियों के साथ ही साहित्यकारों की भी खासी उपस्थिति रहती है। तमाम पुस्तकों को लोकार्पण से लेकर साहित्यिक परिचर्चा में साहित्यकारों का जमावड़ा रहता है। ऐसे ही साहित्यिक परिचर्चा के दौरान तेजेंद्र शर्मा जी से मुलाकात हुई। तेजेंद्र शर्मा इंग्लैंड में रहते हैं और वहीं रहकर हिंदी साहित्य सृजन में सक्रिय हैं। तमाम पुरस्कारों से नवाजे जा चुके तेजेंद्र जी से विदेशों में हिंदी और हिंदी साहित्य को लेकर लंबी चर्चा हुई।
हिंदी साहित्य पर चर्चा करते हुए तेजेंद्र शर्मा कहते हैं कि देश के बाहर सिर्फ पहली पीढ़ी के लोग ही हिंदी साहित्य में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी हिंदी साहित्य से लगातार दूर होती जा रही है। सरकार भी इस दिशा में कोई प्रयत्न करती नहीं दिखती। तेजेंद्र शर्मा इंग्लैंड के कथा यूके संगठन के महासचिव हैं। उनका कहना है कि विदेशों में हिंदी साहित्य को सिर्फ संगठनों और एकाध व्यक्तियों को छोड़ दें, तो सरकार इस दिशा में कोई प्रयत्न करती नहीं दिखती।
तेजेंद्र शर्मा इस बात पर भी चिंता जताते हैं कि आज तक साहित्य आम जन तक पहुंच नहीं पा रहा। साहित्य सिर्फ पुस्तकालयों में कैद होकर रह गया है। उसे आमजन तक पहुंचाना होगा। इसमें भी सरकारी सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को भी आम जन के लिए साहित्य लिखना होगा।
इस दौरान तेजेन्द्र शर्मा ने विचारधारा आधारित साहित्य की आलोचना की। उन्होंने कहा कि विचारधारा आधारित साहित्य कूप-मंडूकता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। ऐसे साहित्य में सीमाएं तो होती ही है, नवीनताओं का अभाव भी होता है। ऐसे साहित्य एकरसता तो लाते ही हैं, कभी कभी पॉलिटिकल स्टेटमेंट तक बन जाते हैं। ऐसे साहित्य और साहित्यकारों से उन्होंने दूर रहने की सलाह दी।
तेजेन्द्र शर्मा हिंदी साहित्य के हस्ताक्षर माने जाते हैं। तेजेन्द्र शर्मा के साहित्य पर आधारित 4 अलग अलग लेखकों में लेख भी लिखे हैं तो कीच संकलित किए गए हैं। साहित्य में योगदान के लिए कई सम्मानों से नवाजे जा चुके तेजेन्द्र शर्मा इस साल पहली बार पुस्तक मेले में पहुंचे। उन्होंने पुस्तक मेले को लेकर लोगों के उत्साह को अच्छा बताया।
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Tags: England, Pragati maidan
FIRST PUBLISHED : February 21, 2015, 02:06 IST