मुंबई। बंबई हाईकोर्ट ने 25 साल के एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा कि एक शिक्षित महिला अपने साथी के साथ शारीरिक संबंधों के परिणामों को समझ पाने में पर्याप्त रूप से परिपक्व है और ऐसे मामले बलात्कार के दायरे में नहीं आएंगे। न्यायमूर्ति मृदुला भटकर ने सोलापुर के एक युवक की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा। इस युवक ने दावा किया है कि मुंबई की 24 वर्षीय युवती के साथ उसका प्रेम संबंध था। लेकिन जब उनका ‘ब्रेक अप’ हुआ तब युवती ने उसके खिलाफ पिछले साल अक्तूबर में उपनगरीय गोरेगांव पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज करा दी, जिसमें उस पर बलात्कार, दगाबाजी और आपराधिक धमकी के आरोप लगाए गए हैं।
युवती के वकील अनीकेत निकम के मुताबिक दोनों मार्च 2015 में मिले थे और एक दूसरे से उनका प्रेम हो गया। लड़के ने शादी के झूठे वादे कर लड़की को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। जब मई 2015 में लड़की गर्भवती हो गई तब लड़के ने उसे गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया और बाद में उसके साथ संबंध तोड़ लिया।
हालांकि, अदालत का अलग विचार है और इसने कहा कि ऐसे मामलों में मेरा मानना है कि यह आपसी सहमति से है और इसलिए जमानत मंजूर की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति भटकर ने कहा कि मैं जानता हूं कि समाज में कुछ खास पाबंदियां हैं। लेकिन यदि आप पश्चिमी संस्कृति पर विचार करते हैं तो यह आपसी सहमति से है। यह बलात्कार नहीं है। जब महिला शिक्षित और परिपक्व है तब वह मना कर सकती है। जब आप हां कहती हैं तब यह पारस्परिक हो जाता है। अदालत ने युवक की जमानत 25,000 रुपए के मुचलके पर मंजूर करते हुए उसे लड़की से संपर्क नहीं करने या उसे या उसके परिवार के सदस्यों को किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं करने का निर्देश दिया।
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Tags: Bombay high court, Rape
FIRST PUBLISHED : March 11, 2016, 16:01 IST