वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम की ओर से कहा गया था कि कंपनियों को बीएस-3 स्टॉक निकालने के लिए करीब एक साल का समय चाहिए
दिवाली और धनतेरस के ऑफर में भी इतनी गाड़ियां नहीं बिकतीं. न ही कस्टमर को इतने बड़े ऑफर मिलते हैं. फिर भी एक-एक शहर में हजारों की संख्या में गाड़ियां एक ही दिन में लोगों ने खरीद लीं.
वजह यह है कि एक अप्रैल से बीएस-3 वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लग गई है. इसका दोपहिया निर्माताओं ने जमकर फायदा उठाया. दिल्ली-एनसीआर में तो कई जगहों पर स्टॉक खत्म हो गया. फरीदाबाद में हीरो बाइक की एजेंसियों पर यही हाल रहा .
अकेले गुड़गांव में बृहस्पतिवार को करीब 18 से 20 हजार गाड़ियां बिक गईं. शुक्रवार को भी भीड़ लगी रही. फरीदाबाद में भी कई जगहों पर स्टॉक खत्म हो गया है. दोपहिया वाहनों के शोरूम संचालकों का कहना है कि उन्हें डर था कि पुराने स्टाक का क्या होगा, लेकिन लोगों ने देखते ही देखते बाइक खरीद लीं.
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जहां पर स्टॉक अभी है वहां खरीदने के लिए भीड़ लगी हुई है. इंश्योरेंस का ऑफर देकर भी उन्हें लुभाया गया. लोगों को 9000 से 22 हजार रुपये तक की छूट मिली.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-3 वाहनों पर रोक लगा दिया है. इस आदेश से 8 लाख नए वाहनों पर असर पड़ा है. जिसमें से करीब 6.71 लाख दोपहिया वाहन हैं.
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हालांकि वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम की ओर से कहा गया था कि कंपनियों को यह स्टॉक निकालने के लिए करीब एक साल का समय चाहिए. 2010 से मार्च 2017 तक 41 वाहन कंपनियों ने 13 करोड़ बीएस-तीन वाहन बनाए हैं.
आईएमएसएमई (इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्रो स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) ऑफ इंडिया के चेयरमैन राजीव चावला कहते हैं कुछ वाहन कंपनियों की गाड़ियां तो बिक गई हैं लेकिन कुछ का स्टॉक पड़ा हुआ है.
अब बीएस-4 वाली गाड़ियों को बनाने के लिए कंपनियों को वक्त भी चाहिए होगा. ऐसे में वेंडरों का काम भी प्रभावित होने की संभावना है.
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