सांकेतिक चित्र
उसे बर्थडे पर ऐसा तोहफा मिलेगा कि उसकी ज़िंदगी मौत से बदतर हो जाएगी, 15 साल की हो रही निशा इस बात से बेखबर थी. उस शाम के बाद अगले करीब डेढ़ दो सालों तक निशा एक जहन्नुम में ज़िंदा लाश की तरह रही और उसकी इस हालत का ज़िम्मेदार कोई और नहीं बल्कि उसकी अपनी मां थी. जिस मां से प्यार की उम्मीद थी, उसी ने अपनी बेटी के जिस्म को बार बार बेचा.
कहानी करीब पांच साल पहले साल 2013 में शुरू हुई थी जब लता अपनी बेटी निशा के साथ फिजी से न्यूज़ीलैंड शिफ्ट हुई. लता का एक साथी था अवनीश जो उसकी हर काम में मदद करता था. जिस्मफरोशी के धंधे में रही लता की उम्र ढल रही थी और अब उसे अपने कुछ शुभचिंतकों का ही सहारा नज़र आ रहा था इसलिए अवनीश के कहने पर लता कम वक्त के वीज़ा पर न्यूज़ीलैंड शिफ्ट हो गई थी. उसके शुभचिंतकों ने वादा किया था कि कुछ न कुछ इंतज़ाम हो जाएगा.
जैसे तैसे एक सवा साल का वक्त कट गया था और फिर लता और निशा का वीज़ा एक्सपायर हो गया. अब सबसे पहले निशा का स्कूल छूटा क्योंकि गैर कानूनी ढंग या बगैर वीज़ा के स्कूल में दाखिला मुश्किल था. 14 साल से ज़्यादा की उम्र की निशा ये हालात देखकर लता से कहती कि इस तरह परेशानी में रहना क्यों है? वापस क्यों नहीं जा सकते? लता उसके ऐसे सवालों पर खीझ उठती थी - 'इतनी बड़ी हो गई लेकिन उल्टी सीधी बात करती है, ये नहीं कि कुछ कमाना शुरू करे और हमारी मदद करे..'
कुछ जो जमा रकम थी उससे कुछ दिन खर्च चल गया लेकिन फिर वही, बगैर वीज़ा के कोई भी काम मिलना मुश्किल था इसलिए लता खुद को मजबूर महसूस कर रही थी. जब भी आईना देखती तो लता को यही खयाल आता कि अब बाज़ार में उसकी कीमत लग पाना मुश्किल है. एक रात अवनीश के साथ बैठी लता अपनी मुश्किलों के बारे में बात कर रही थी, तब दोनों को खयाल आया कि लता नहीं तो न सही लेकिन निशा तो अब इस लायक है कि उसकी अच्छी कीमत मिल सकती है.
अगले ही दिन लता ने निशा से इस बारे में बात की तो निशा ने रोते हुए मां से कहा कि वह ऐसा न करे. लता ने उसे प्यार से समझाया, गरीबी और भूखों मरने का वास्ता दिया लेकिन निशा नहीं मानी. अब निशा ने उसे डांटकर खामोश कर दिया और कहा कि उसे वही करना पड़ेगा, जो लता चाहेगी. रोती सुबकती हुई निशा को लता ने पीटकर चुप करवा दिया. इसके बाद लता ने अवनीश को फोन लगाकर बात आगे बढ़ाने को कहा.
आगे निशा से इस बारे में कोई बात नहीं हुई और कई दिन बीत गए तो निशा तकरीबन उस बात को भूल भी गई. निशा का पंद्रहवां जन्मदिन आने वाला था और वह अपने बर्थडे के लिए कुछ खास सोच रही थी. लता से अपनी ख्वाहिशें भी ज़ाहिर कर रही थी. हां हां कहकर लता उसकी बात अनसुनी कर रही थी और उसके मन में अलग ही खिचड़ी पक रही थी. पिछले कुछ दिनों में लता और अवनीश ने मिलकर एक अखबार और एक वेबसाइट पर इश्तेहार देकर निशा के ग्राहक तलाशने की कवायद शुरू कर दी थी.
ग्राहक : लड़की की कुछ तस्वीरें दिखाइए तो मैं सौदा कर सकता हूं.
लता : ज़रूर. आप अपना नंबर दे दीजिए, कुछ देर में तस्वीरें मैसेज कर दी जाएंगी.
ग्राहक : वैसे, लड़की बालिग तो है ना... वो क्या है कि यहां कभी कभी टेंशन हो जाता है इन बातों को लेकर इसलिए..
लता : आप फिक्र मत कीजिए.. आप हमारी सर्विस से बिल्कुल भी मायूस नहीं होंगे.
लता ने निशा की उम्र को लेकर इश्तेहार में भी झूठ बोला था और उसका पहला सौदा ठीक उसी दिन हुआ जब निशा का बर्थडे था. निशा को नये और अच्छे कपड़े लाकर लता ने दिए तो निशा ने सोचा कि ये उसका बर्थडे प्रेज़ेंट है. वो खुश थी. फिर लता ने उसको घुमाने ले जाने की बात कही और एक अच्छे होटल में पार्टी की भी. निशा अब बेहद खुश हो गई थी. निशा को अपने हाथों से सजाकर लता होटल में लेकर गई. वहां कुछ खाने पीने के बाद उसे एक कमरे में लता लेकर गई.
कुछ देर में उस कमरे में एक आदमी पहुंचा और उसने निशा को चॉकलेट्स और बलून्स गिफ्ट किए. निशा ने मुस्कुराकर उसे थैंक्यू कहा. उस आदमी ने निशा के चेहरे पर हाथ फेरकर उसे हैपी बर्थडे बोला. निशा को कुछ शक भी हो रहा था और कुछ समझ में आ भी नहीं रहा था. कुछ देर बाद लता उस कमरे से जाने लगी तो निशा को शक के साथ डर भी महसूस हुआ.
निशा : मां, कहां जा रही हो? मैं भी चलूंगी.
लता : नहीं, मैं थोड़ी देर में आती हूं, तुम यहीं रुको और देखना, सर जैसा बोलें, वैसा ही करना. सर को परेशान नहीं करना.
निशा : नहीं मां, प्लीज़ मुझे नहीं रुकना यहां.
लता : शट अप. बड़ी हो गई हो, बात मानना सीखो. जो कहा है वो ठीक से करना वर्ना अच्छा नहीं होगा.
लता कमरे से चली गई और कुछ देर बाद निशा उस ग्राहक की मनमानी से जूझते हुए आखिरकार शिकार हो ही गई. उस रात लता के साथ जब निशा घर लौटी तो रास्ते भर दोनों चुप थे. निशा की आंखों में आंसू सूख चुके थे. घर पहुंचकर निशा को समझाते हुए लता ने कहा कि अब उनके अच्छे दिन आएंगे. निशा की पहली कमाई से लता ने उसे एक गिफ्ट भी दिया लेकिन निशा ने मां को नाराज़ आंखों से देखते हुए खुद को कमरे में बंद कर लिया.
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Tags: Auckland, Child sexual abuse, Newzealand, Sexual Abuse, Sexual violence
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