एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सलाहकार काम करने वाली 29 साल की सीमा रोज़ ही आॅफिस और घर के बीच टैक्सी से आती-जाती थी. कई लोगों की तरह उसका भी यही रूटीन था. इसी साल 9 मार्च को उसे टैक्सी का एक सफर इतना भारी पड़ेगा यह उसके खयाल में भी नहीं था. मुश्किल वक्त में अक्लमंदी और हौसले से किसी तरह बचने में कामयाब हुई सीमा.
9 मार्च 2018 की देर शाम आॅफिस से फुरसत पाने के बाद रोज़ की तरह ही सीमा ने अपने मोबाइल फोन से एक उबर कैब की बुकिंग की. हरियाणा के कुंडली इलाके में सीमा का आॅफिस था और रोहिणी के सेक्टर 3 में घर. तो कुंडली से रोहिणी जाने के लिए बुक की गई कैब जब सीमा की बताई लोकेशन पर पहुंची तो कैब में बैठने से पहले सीमा का ध्यान गया, नंबर प्लेट पर. कमर्शियल वाहनों की नंबर प्लेट पीले रंग की होती है लेकिन इस टैक्सी में सफेद रंग की थी.
कैब में बैठते ही उसने ड्राइवर से पूछा कि यह नंबर प्लेट पीले रंग की क्यों नहीं है तो उसने बात को हंसकर टाल दिया. फिर गाड़ी स्टार्ट होते ही सीमा ने देखा कि खिड़कियों पर टिंटेड ग्लास हैं. उसने यह भी पूछा तब भी ड्राइवर ने कोई बहाना बना दिया. अब सीमा को शक हुआ तो उसने बुकिंग डिटेल्स चेक कीं. कैब सर्विस की ओर से जिस ड्राइवर का नाम और फोटो सीमा के फोन पर भेजा गया था, यह ड्राइवर वह नहीं था.
सीमा ने जैसे ही इस बारे में पूछा तो उसने कह दिया कि उसके किसी रिश्तेदार के नाम से रजिस्टर है टैक्सी इसलिए ऐसा है. जैसे ही ड्राइवर संजीव ने यह बात कही तो उसके मुंह की दुर्गंध ने सीमा को बता दिया कि वह शराब पिए हुए है. अब सीमा को एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी. इतने में ही, उस ड्राइवर ने नरेला के पास से गाड़ी का रूट बदल दिया और वीरान इलाके की तरफ जाने लगा.
यह रूट वह नहीं था जिससे रोज़ाना सीमा आती-जाती थी. सीमा ने ऐतराज़ जताते हुए संजीव से गाड़ी रोकने के लिए कहा तो उसने हंसकर सीमा को छूने की कोशिश की. सीमा ने किसी तरह खुद को बचाया और नाराज़गी ज़ाहिर की तो संजीव ने किसी तरह की शर्मिंदगी ज़ाहिर नहीं की. आगे एक ट्रैफिक सिगनल पर टैक्सी के तकरीबन रुक जाने पर सीमा ने टैक्सी से उतरने की कोशिश की तो संजीव ने सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम के ज़रिये दरवाज़े लॉक कर दिए और कैब को रफ्तार दे दी.
सीमा के उतरने की कोशिश देखकर संजीव ने अब उसे धमकाते हुए चुपचाप बैठे रहने को कहा. सीमा को पता था कि उसके लिए यह टैक्सी राइड और यह ड्राइवर बड़ा खतरा बनने जा रहा है इसलिए उसने लगातार टैक्सी रुकवाने की कोशिश की. संजीव ने उसकी एक न सुनी और टैक्सी चलाते हुए गलत ढंग से सीमा को छूता रहा और उसके साथ छेड़छाड़ करता रहा.
थोड़ी ही दूर जीटीके डिपो के पास एक सीएनजी स्टेशन पर ट्रैफिक ज़्यादा होने के कारण संजीव को कैब के ब्रेक लगाने पड़े. इसी मौके का फायदा उठाकर सीमा ने दरवाज़ा खोला और तुरंत टैक्सी से बाहर कूद गई. सीमा के बाहर कूदने पर वहां कुछ लोग मदद के लिए और भीड़ से घबराकर संजीव वहां से कैब लेकर फौरन फरार हो गया.
बाद में सीमा ने पूरी कहानी सुनाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज की. पुलिस ने गन्नौर, हरियाणा के संजीव उर्फ संजू के खिलाफ महिला यात्री को अगवा करने और यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कर संजू को गिरफ्तार कर लिया. पीड़ित महिला यात्री की वास्तविक पहचान का खुलासा नहीं किया गया है.
कैब सर्विस पर उठे सवाल
इस केस के रिपोर्ट होने के बाद उबर कैब सर्विस ने माफी मांगते हुए कहा कि कंपनी पुलिस जांच में सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार है. लेकिन, इस केस के बाद कैब सर्विस कई सवालों के दायरे में आई. - रजिस्टर्ड कैब की नंबर प्लेट सफेद रंग की क्यों थी? - जिस ड्राइवर के नाम पर कैब रजिस्टर्ड, उसने कैब किसी और को दे रखी थी और कंपनी को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी? थी तो यह स्वीकृति किस आधार पर दी गई? - कैब की खिड़कियों पर टिंटेड ग्लास क्यों थे? - कैब द्वारा निर्धारित रूट बदलने पर कैब सर्विस के सर्विलांस में कहां चूक हुई?
लगभग ऐसा ही ताज़ा मामला
पिछले दिनों बेंगलूरु में एक ओला कैब में ड्राइवर द्वारा एक युवती के उत्पीड़न किए जाने और जबरन उसकी अश्लील तस्वीरें खींचने का मामला सामने आया है. इस मामले में भी कुछ इसी तरह के सवाल उठाए गए कि कैब अगर निर्धारित रूट को छोड़कर किसी सुनसान रूट पर निकल जाती है तो सर्विलांस के ज़रिये उसे ट्रेस क्यों नहीं किया जाता? इस मामले में बेंगलूरु के एसीपी का कहना था -
पूरे सिस्टम में कहीं न कहीं कोई चूक है जिसकी वजह से इस तरह के अपराध संभव हो जाते हैं. राइड के बीच में रूट बदल जाता है तो इसके लिए टैक्सी संचालन करने वाली सर्विस के पास एलर्ट की व्यवस्था होना चाहिए. इसके साथ ही, कैब कंपनियों को अपने ड्राइवरों की अचानक चेकिंग करते रहना चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं का दोहराव न हो.
गौरतलब है कि देश के कई शहरों में ऐसी कैब सेवाएं हैं और कई अधिकारी व जानकार मानते हैं कि तकनीकी स्तर पर सिस्टम पूरी तरह दुरुस्त नहीं है. पिछले कुछ समय में दर्ज किए गए अनेक गंभीर मामलों में इसे बड़ा कारण माना गया है. इसके बावजूद इसके प्रति कठोर या निर्णायक कदम अब तक नहीं उठाया जा सका है.