केरल में कोर्ट ने बेटी का रेप करने वाले शख्स को 3 आजीवन कारावास की सजा सुनाई. (News18)
मलप्पुरम. केरल की एक अदालत ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ बार-बार रेप करने और उसे गर्भवती करने के मामले में सोमवार को एक शख्स को तीन आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. बाप और बेटी के रिश्ते को कलंकित करने वाले इस शख्स को अब अपनी बाकी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे ही काटनी होगी. इस मामले के अभियोजक (एसपीपी) ए सोमसुंदरन ने कहा कि मंजेरी फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश राजेश के (Rajesh K) ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) एक्ट के तहत बलात्कार, गंभीर यौन उत्पीड़न और यौन हमले के साथ-साथ पीड़िता को डराने-धमकाने के लिए आरोपी को दोषी ठहराया.
एसपीपी ए सोमसुंदरन ने कहा कि दोषी शख्स को पोक्सो एक्ट के तहत अपराधों के लिए तीन आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और अदालत ने निर्देश दिया कि वह अपनी बाकी जिंदगी कैद में ही रहेगा. अदालत ने अपनी बेटी का रेप करने वाले शख्स पर 6.6 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. एसपीपी ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि लड़की के साथ उसके बाप ने रेप की पहली घटना को मार्च 2021 में अंजाम दिया था, जब घर में कोई नहीं था. उस समय COVID-19 महामारी के कारण 15 साल की लड़की की ऑनलाइन कक्षाएं चल रहीं थीं और वह पढ़ाई कर रही थी, तभी उसके पिता ने उसे अपने बेडरूम में खींच लिया और उसके साथ रेप किया.
एसपीपी ए सोमसुंदरन ने कहा कि जब पीड़िता ने इसका विरोध किया तो उसके बाप ने उसकी मां को जान से मारने की धमकी दी. इसके बाद दोषी शख्स ने अक्टूबर 2021 तक अपनी बेटी के साथ कई बार रेप किया. ये शख्स पहले एक मदरसे में शिक्षक था. नवंबर 2021 में जब कक्षाएं फिर से शुरू हुईं, तो पीड़िता स्कूल जाने लगी और उस दौरान पेट में कुछ दर्द हुआ. जिसके लिए उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन कुछ पता नहीं चला. जब उसने जनवरी 2022 में फिर से दर्द की शिकायत की, तो उसे एक सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. जहां पता चला कि लड़की गर्भवती थी. उसके बाद लड़की ने इस पूरे मामले का खुलासा किया.
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इसके बाद पुलिस को मामले की जानकारी दी गई. आरोपी पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि पीड़ित लड़की का गर्भपात करके भ्रूण के डीएनए नमूने रख लिए गए. बाद में लड़की और उसके पिता के डीएनए से नमूने का मिलान किया गया. पीड़िता और उसकी मां के बयानों के साथ डीएनए सबूत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए जरूरी थे. मामले की सुनवाई तेजी से की गई, जिससे कि आरोपी जेल से बाहर नहीं आ पाए और पीड़ित या गवाहों को प्रभावित न कर सके.
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