मुंबई पुलिस ने राजस्थान के एक शातिर ठग गैंग के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. (Shutterstock)
मुंबई. मुंबई पुलिस ने देश में चल रहे हिंदुस्तान के नए जामताड़ा गैंग का भंडाफोड़ किया है. राजस्थान के भरतपुर जिले के तीन गांव के लोग इस गैंग में शामिल थे. यह गैंग साइबर ठगी को अंजाम देता था और लोगों को ठगने के लिए गैंग के सदस्यों को बाकायदा ट्रेनिंग सेंटर खोलकर ट्रेनिंग दी गई थी. इस गैंग के 4 सदस्यों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से पुलिस ने 9 मोबाइल फोन, विभिन्न बैंकों के 32 डेबिट कार्ड, 835 मोबाइल सिम कार्ड बरामद किए हैं. पुलिस की माने तो आने वाले दिनों में और भी सदस्यों को गिरफ्तार किया जाएगा. इस गैंग के खिलाफ देश भर में 300 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं.
मुंबई साइबर पुलिस के हत्थे चढ़े चारों आरोपी राजस्थान के भरतपुर जिले के निवासी हैं. भरतपुर के भी दूर दराज इलाके के गांव से इनका ताल्लुक है, लेकिन ठगी का टैलंट ऐसा की बड़े-बड़े शहरों के पढ़े लिखे व्यक्ति भी इनके झांसे में आ जाते थे. अपने इसी हुनर के बदौलत इन्होने देश भर में तहलका मचाया हुआ है. यह ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन कई राज्यों के साइबर ब्रांच और आईटी एक्सपर्ट को परेशान करके रखा था. इन तक पहुंचने के लिए मुंबई पुलिस को भी एड़ी चोटी का जोर लगना पड़ गया. ऑनलाइन मार्केटप्लेस एप OLX के जरिये यह लोग सायबर फ्रॉड को अंजाम देते थे.
कॉर्पोर्ट कंपनी की तरह काम करता था गैंग
गैंग के काम करने का तरीका किसी कॉर्पोरेट कंपनी से कम नहीं था. लोगों को ठगने के लिए इनको ट्रेनिंग सेंटर खोलकर ट्रेनिंग दी गई थी. गैंग के सदस्य कुल चार ग्रुप में बंटे थे. पहला ग्रुप OLX वेबसाइट पर अपने शिकार की तलाश करता था. यह ग्रुप ओएलएक्स पर ऐसे लोगों की पहचान करता था जो अपने सामानों को बेचने के लिए नए-नए जुड़ते थे. उनकी पूरी जानकारी निकालकर यह ग्रुप में दूसरे ग्रुप को देता था.
इसके बाद दूसरा ग्रुप शिकार से सम्पर्क करता था. इस ग्रुप के सदस्य लोगों से बातचीत करते और यह जाहिर करते कि उन्हें उनके सामान को खरीदने में दिलचस्पी है. सामान बेचने वाले से चिकनी चुपड़ी बातें करके उनको अपने जाल में फंसाते थे. एडवांस के तौर पर उन्हें कुछ पैसे देने की भी लालच देते थे और जब कोई शख्स तैयार हो जाता था तो वह एक QR-Code भेजते थे और सामने बेचने वाले शख्स से बोलते थे कि आप इसे अपने यूपीआई अकाउंट से स्कैन करिए आपको एडवांस का अमाउंट मिल जाएगी, लेकिन जब वह शख्स स्कैन करता था तो खुद उसके अकाउंट से ही पैसे कट जाते थे.
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तीसरा ग्रुप देश भर के अलग-अलग राज्यों में फैला रहता. इस ग्रुप के सदस्य जिस समय अकाउंट में पैसे आते तुरंत ATM से पैसे निकाल लेते. अलग-अलग राज्य और शहरों से पैसे निकालने पर पुलिस चकमा खाती की क्राइम किस जगह हुआ है. चौथा ग्रुप पेपर वर्क करता था. गांव के भोले भाले लोगों के नाम पर अकाउंट खोलता और उनके ATM कार्ड से लेकर ऑनलाइन बैंकिंग उनके नाम पर करता ताकि पकड़े जाने पर उनका नाम सामने आए.
गैंग के खिलाफ 300 से ज्यादा शिकायत
जांच में पता चला है कि 19 स्टेट में इस गिरोह ने इस तरह का फ्रॉड किया है और 300 से ज्यादा शिकायतें इनके खिलाफ देश भर में दर्ज की गई हैं. फ्रॉड के पैसों का इस्तेमाल इन लोगों ने बंगले बनाने और प्रॉपर्टी खरीदने में किया है. शाम को 6-7 बजे यह गिरोह एक्टिव होता था और तड़के सुबह-सुबह पूरे फ्रॉड को अंजाम दे दिया जाता था. इनकी धोखाधड़ी का पता तब चला जब एक पीड़ित ने साइबर पुलिस से संपर्क कर इसकी जानकारी दी. उसकी ओर से दावा किया गया कि उसने 17 लाख रुपये गंवा दिए हैं. पीड़ित ने पिछले साल अगस्त में शिकायत दर्ज कराई थी. साइबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक राजस्थान के भरतपुर में इनका मुख्य अड्डा है. उसी गांव के कई लोग मिलकर इस पूरे गैंग को चलाते हैं. जांच में यह भी पता चला है की गैंग के सदस्य सेक्सटॉर्शन का भी काम करते थे. पुलिस अभी इस गैंग के और भी कई सदस्यों की तलाश कर रही है.
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