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कोलकाता के टैगोर पार्क के एक रिहायशी कॉम्प्लेक्स में साफ सफाई जैसे काम करता था 19 साल का शंभू जिसे वहां के लोग छोटू नाम से बुलाते थे. केंद्र सरकार के एक विभाग में बतौर वैज्ञानिक काम करने वाली 52 वर्षीय शीला चौधरी अकेली एक फ्लैट में रहती थी. छोटू को इस कॉम्प्लेक्स में काम करते हुए कुछ ही महीने हुए थे. पहले शीला के घर कामकाज करने आने वाली एक मेड ने छोटू को इस कॉलोनी में काम दिलवाया था.
शंभू उर्फ छोटू शॉर्टकट से बहुत सारी दौलत कमाने के सपने देखा करता था. जिस मेड ने उसे यहां काम दिलवाया था उसका 17 साल का बेटा राकेश कुछ ही समय में छोटू का दोस्त हो गया था. दोनों साथ में गप्पें मारते थे और छोटू उसे पैसे कमाने की तरह तरह की योजनाओं के बारे में बताता. छोटू यह भी बताता कि इस कॉम्प्लेक्स में किसके घर में कहां कितना माल है.
शीला के पति चूंकि दो साल पहले गुज़र चुके थे इसलिए वह अपने काम के सिलसिले में अपनी बहन के घर रहा करती थी. वीकेंड पर अपने इस फ्लैट पर आती थी. कुछ महीने पहले छोटू ने 27 हज़ार रुपये शीला से उधार लिये थे. कुछ दिनों से जब भी शीला अपने इस फ्लैट पर आती और छोटू को देखती तो हर बार उससे उधार के पैसे वापस करने का दबाव बनाती. हर बार छोटू कोई बहाना बनाता और जल्द चुकाने की बात कहता.
छोटू को बार बार यह ताने सुनकर मन ही मन गुस्सा आता था. वह कई बार सोच भी चुका था कि शीला अकेली ही रहती है और उसके पास काफी दौलत भी है. एक दिन उधार को लेकर शीला के दबाव के कारण छोटू ने तय कर ही लिया कि अब आखिरी कदम उठाने का समय आ गया है. छोटू अब सही मौके की तलाश में था और बातों—बातों में राकेश को खूब सारी दौलत का लालच दिखाकर अपने साथ जोड़ भी चुका था.
और जल्द ही छोटू को सही मौका मिल भी गया. 9 जून यानी शनिवार को रूटीन की तरह शीला बहन के यहां से अपने इस फ्लैट पर पहुंची. दोपहर करीब साढ़े 12 बजे शीला ने छोटू से बाज़ार से पुई शाक यानी धनिया और कुछ कैचप लाने के लिए कहा. छोटू बाज़ार जाने के लिए निकला तो सीढ़ियों पर उसे राकेश मिला. छोटू ने राकेश से पूछा कि आज मौका है, क्या वह तैयार है? तो राकेश ने हामी भरी. फिर छोटू ने राकेश से कहा कि वह बाज़ार से आए तब तक शीला के फ्लैट पर नज़र रखे.
राकेश वहीं आसपास कुछ काम करने के बहाने से बराबर नज़र रखे हुए था. थोड़ी देर में छोटू धनिया और कैचप लेकर लौटा और उसने राकेश से सब ठीक होने की तस्दीक की और आगे का प्लैन समझाया. इसके बाद छोटू ने राकेश से आसपास छुप जाने के लिए कहा. राकेश के छुपते ही छोटू ने डोरबेल बजाई तो शीला ने दरवाज़ा खोलकर सामान लिया और छोटू से अंदर आकर आम पना पीने को कहा. छोटू अंदर चला गया. छोटू के लिए आम पना लाने जब शीला किचन में गई तो छोटू ने चुपके से दरवाज़ा खोलकर राकेश को इशारे से अंदर बुलाकर उससे बेडरूम में छुपने को कहा.
छोटू को आम पना देकर शीला जब बेडरूम में गई तो बिस्तर के नीचे छुपे राकेश ने शीला के दोनों पैर पकड़कर खींचे तो शीला ज़मीन पर गिर पड़ी. छोटू एक भारी तवा उठाकर बेडरूम में पहुंचा और उसने शीला के सिर पर नौ बार तवे से हमले किए. इस दौरान राकेश ने शीला के पैरों को पकड़े रखा. इन हमलों के बाद शीला का दम लगभग निकल चुका था. फिर दोनों शीला को घसीटकर किचन में लाए और उसको तब तक दबाए रखा जब तक उसकी सांसें बंद नहीं हो गईं.
इसके बाद दोनों ने शीला की अलमारी खोली. ज़ेवरों के करीब आठ बॉक्स अलमारी से निकाले और देखा तो सभी लगभग खाली थे. एकाध ही गहना हाथ लगा. फिर पूरी अलमारी खखोली तो कुल मिलाकर 8000 रुपये निकले. जो मिला सब समेटकर दोनों आसपास देखभाल कर फ्लैट से ऐसे छू हो गये कि किसी को कुछ पता नहीं चला.
तो अब पूरी कहानी ये थी कि जिस खूब सारी दौलत के चक्कर में छोटू और राकेश ने इस कत्ल को अंजाम दिया था, वो तो उन्हें मिली नहीं. 8 हज़ार रुपयों में से तकरीबन दो हज़ार 700 रुपये छोटू ने राकेश को दिये और दोनों ने अपनी किस्मत को कोसा भी कि सोचा क्या था और हुआ क्या. दोनों ने यह भी नहीं सोचा था कि इस कत्ल के 24 घंटों के भीतर ही पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और उनका कच्चा चिट्ठा सामने आ जाएगा.
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Tags: Kolkata, Murder, West bengal