अफीम विरासत थी, गांजा शुरूआत, फिर उसने खड़ा किया नार्को अंडरवर्ल्ड
तीसरी तक पढ़ा मैक्सिको का एक बच्चा अफीम के खेतों में काम करता था. यहां उसने ड्रग्स के सबक सीखे. फिर तेज़ दिमाग और ज़िद्दी इरादों की बदौलत कैसे ये बच्चा ड्रग्स तस्करी और अंडरवर्ल्ड में एल चापो के नाम से बदनाम हुआ? पूरी कहानी.
मैक्सिको के सीनालोआ राज्य के गांव ला टूना में जोक्विन गज़मैन लोएरा पैदा हुआ था लेकिन किस साल? किस दिन? आज तक किसी को नहीं पता. जोक्विन का बाप एमिलिओ अफीम की खेती करता था. छोटा सा खेत था और छोटा सा कारोबार. जोक्विन का स्कूल में मन नहीं लगा और परिवार की खराब माली हालत के चलते तीसरी क्लास के बाद स्कूल छोड़कर वह अपने बाप के साथ काम में लग गया.
READ : ऐसे भाग निकला था दुनिया का सबसे बड़ा डॉन
ये छोटा सा अफीम का खेत जोक्विन के लिए नार्कोटिक्स की दुनिया की पहली पाठशाला था, जहां उसने अपने बाप और भाइयों से ड्रग्स कारोबार के शुरूआती सबक सीखे. ये कारोबार ठीक चलने के बावजूद एमिलिओ इतना नहीं कमा पाता था, कि घरबार खुशहाल रह सके. जोक्विन को हमेशा यही महसूस होता था कि उसका बाप गलत फैसले लेता था. उसे अपने बाप के जजमेंट पर भरोसा नहीं रह गया था और कारोबार को लेकर जोक्विन की अक्सर एमिलिओ के साथ बहस हुआ करती थी.
बाप से अलग अपने कारोबार की शुरूआत'बित्ते भर का छोकरा, मुझे सिखाएगा धंधा कैसे करना है. जितना कहा जाए, उतना किया कर, समझा!' इस तरह की झिड़कियों से नाराज़ जोक्विन ने 15 साल की उम्र में अपने बाप से अलग होकर अपना कारोबार शुरू करने की ठान ली. जोक्विन ने अपने चार कज़िन्स को साथ लेकर गांजे की खेती शुरू की और कुछ ही देर में जोक्विन सही साबित हो गया. 'पूत के पांव पालने में ही दिखने' की कहावत सही साबित हो रही थी.
घरबार खुशहाल होता जा रहा था और जोक्विन गांजे के अपने खुद के धंधे से बहुत कुछ सीख रहा था. ये लगन और सीखने का माद्दा ही जोक्विन को कल का सबसे बड़ा डॉन बनाने वाली ताकत थी. 20 बरस की उम्र पार कर चुके जोक्विन को अब ये गांजे का खेत और कारोबार अपने टैलेंट से छोटा महसूस होने लगा था. उसकी भूख और सपने बड़े थे इसलिए उसने एक और फैसला लिया.
गुआडालजारा कार्टेल से जुड़ना थी उसका पहला मकसद'मैं पूरे मैक्सिको और पूरी दुनिया पर राज करने के लिए पैदा हुआ हूं इसलिए मुझे इस गांव से बाहर निकलना होगा...' ड्रग्स के कारोबार के ज़मीनी सबक और कुछ बारीकियां सीख चुका जोक्विन ला टूना को अलविदा कहकर चला गया. बड़े खेल का खिलाड़ी बनने के लिए उसे बड़े कारोबार से जुड़ना था. ला टूना छोड़ने के कुछ ही वक्त बाद गुआडालजारा कार्टेल उसकी मंज़िल बना.

मैक्सिको के ड्रग्स के कारोबार में मिगुअल गैलार्डो का ये कार्टेल उस वक्त के सबसे बड़े कार्टेल्स में शुमार था. जोक्विन अपना टैलेंट दिखाने गैलार्डो के पास पहुंचा और उससे काम मांगा. गैलार्डो टैलेंट की कद्र करता था इसलिए उसने एक मुश्किल काम जोक्विन को सौंपा.
'अगर तू ये ड्रग्स बॉर्डर पार पहुंचा सका, तो कार्टेल में तेरी जगह पक्की बच्चे.' और जोक्विन को किसी भी कीमत पर नाकाम होना मंज़ूर नहीं था. उसने अपनी अनोखी तरकीब से ड्रग्स बॉर्डर पार भेज दी. गैलार्डो की नज़र में जोक्विन 'काम का लड़का' बन गया और उसे कार्टेल में कारोबार के अहम बैकग्राउंड कामों का ज़िम्मा दिया गया जैसे कोलंबिया से मैक्सिको तक ड्रग्स लाने का शिपमेंट और लॉजिस्टिक्स का बंदोबस्त वगैरह.
फिर उसका नाम पड़ा 'चापो'
'मेरी बात याद रखना, ये बौना लड़का एक दिन बहुत ऊंचा उठेगा!' गैलार्डो ने जोक्विन के काम से खुश होकर जब ये भविष्यवाणी की, तब उसे नार्को अंडरवर्ल्ड में नया नाम मिला 'एल चापो' यानी एक बौना. साल 1985 में एक उथल पुथल मचने वाली थी, जिसका नतीजा कुछ ही देर में चापो की किस्मत का दरवाज़ा खोलने वाला था.
ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी के एक अमेरिकन एजेंट की हत्या करने के इल्ज़ाम में गैलार्डो को 1985 में गिरफ्तार कर लिया गया. गुआडालजारा कार्टेल के बॉस गैलार्डो की वापसी की उम्मीद छूटते ही कार्टेल अपने पतन की गर्त में जाने लगा. ऐसे में कार्टेल में बंटवारा तय हुआ और गैलार्डो के खास लोगों के बीच इलाके बंट गए. चापो के हिस्से में सीनालोआ और पैसिफिक कोस्ट का इलाका आया और यहां से चापो ने 1989 में अपने सीनालोआ कार्टेल की बुनियाद डाली.
सबसे खतरनाक गिरोह ऐसे बना सीनालोआ कार्टेल
देखते ही देखते चापो का कारोबार फैलने लगा और ये सीनालोआ कार्टेल दुनिया के सबसे खतरनाक अपराधी गिरोहों और नार्को अंडरवर्ल्ड का पर्याय बनने लगा. लेकिन क्या वजह थी, जो चापो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था? कुछ सीनालोआ कार्टेल की खुशकिस्मती थी और कुछ चापो का जजमेंट. इस कार्टेल के शुरू होने के कुछ सालों तक पुलिस के साथ कोई बड़ी मुठभेड़ न होना ही इसके धंधे की तरक्की की वजह बनता रहा.

इस मुठभेड़ से बचने के लिए कई नायाब तरकीबें अपनाई जा रही थीं. पहली थी सुरंग तकनीक. मैक्सिको और अमेरिका के बीच बॉर्डर इलाके में चापो ने एसी सुरंगें तक बनवाई थीं. ये एक ऐसी तरकीब थी जो इतिहास बन गई और बाद में चापो के जेल से भाग निकलने का रास्ता भी बनी. ये सुरंगें कई मिलियन डॉलरों की लागत से चापो के लिए स्किल्ड इंजीनियरों ने अपने जॉब छोड़कर बनाई थीं.
दूसरी तरकीब थी घूस. चापो का धंधा जैसे जैसे बढ़ रहा था, वैसे वैसे वह अच्छी खासी रकम सरकारी अफसरों को घूस के तौर पर खिला रहा था. ये तरकीब चापो के गैंग और पुलिस की बड़ी मुठभेड़ों को टालने में कारगर साबित हुई. और तीसरी तरकीब थी ड्रग्स छुपाने के तरीके. ड्रग्स छुपाने के नये नये और नायाब तरीके ईजाद किए गए. फायर एस्टिंग्विशर यानी अग्निशमन यंत्रों में कोकीन छुपाकर तस्करी की जा रही थी. उन कैन्स में कोकीन छुपाई जा रही थी जिन पर 'काली मिर्च' के लेबल लगे होते थे.
चापो का कद, रसूख़ और दौलत
नार्को अंडरवर्ल्ड में दुश्मनी और खतरे कम नहीं होते. ड्रग्स की तस्करी के साथ ही गैंग वॉर साथ साथ चलती रही. 2009 में टाइम पत्रिका के एक लेख में दर्ज था कि चापो के कार्टेल यानी गैंग ने पूरे मैक्सिको में कथित तौर पर एक हज़ार से ज़्यादा कत्ल किए और करवाए. चापो की ताकत और रसूख का अंदाज़ा देने के लिए यह आंकड़ा काफी था. एक और आंकड़ा ये था कि फोर्ब्स ने बिलियनेयर्स की लिस्ट में चापो का नाम शामिल किया था.
अनोखी तरकीबों, नृशंस हत्याओं और भारी रिश्वत देने जैसे पैंतरों के ज़रिये चापो का कारोबार सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैला. ये भी कहा जाता है कि दुनिया के हर कोने में जो ड्रग्स इस्तेमाल की जा रही है, किसी न किसी तरह उसका एक हिस्सा चापो के खाते तक पहुंचता है. दुनिया के नार्को अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह बनने का सफर अफीम और गांजे के एक छोटे से खेत से शुरू हुआ था. एक बच्चा इस तरह कद्दावर और ख़ूंख़ार बौना बना.
(क्रमश: इस सीरीज़ में रोज़ पढ़ें एल चापो और अमेरिकन व मैक्सिन नार्को टेररिज़्म और ड्रग्स माफिया से जुड़ी एक कहानी.)
एक क्लिक और खबरें खुद चलकर आएगी आपके पास, सब्सक्राइब करें न्यूज़18 हिंदी WhatsApp अपडेट्स
अपराध की और कहानियों के लिए क्लिक करें
खुदकुशी से पहले के वो ख़त : चर्चित कवि के सेक्स और धोखे के दस्तावेज़
सवाल चर्चा में है कि वो सीरियल लवर था या सीरियल किलर?
प्यार का 'चतुर्भुज' : एक ब्रेक-अप के बाद दो मर्डर
PHOTO GALLERY : तीन कत्ल, जिनकी मास्टरमाइंड थी एक हसीना!
READ : ऐसे भाग निकला था दुनिया का सबसे बड़ा डॉन
ये छोटा सा अफीम का खेत जोक्विन के लिए नार्कोटिक्स की दुनिया की पहली पाठशाला था, जहां उसने अपने बाप और भाइयों से ड्रग्स कारोबार के शुरूआती सबक सीखे. ये कारोबार ठीक चलने के बावजूद एमिलिओ इतना नहीं कमा पाता था, कि घरबार खुशहाल रह सके. जोक्विन को हमेशा यही महसूस होता था कि उसका बाप गलत फैसले लेता था. उसे अपने बाप के जजमेंट पर भरोसा नहीं रह गया था और कारोबार को लेकर जोक्विन की अक्सर एमिलिओ के साथ बहस हुआ करती थी.
बाप से अलग अपने कारोबार की शुरूआत'बित्ते भर का छोकरा, मुझे सिखाएगा धंधा कैसे करना है. जितना कहा जाए, उतना किया कर, समझा!' इस तरह की झिड़कियों से नाराज़ जोक्विन ने 15 साल की उम्र में अपने बाप से अलग होकर अपना कारोबार शुरू करने की ठान ली. जोक्विन ने अपने चार कज़िन्स को साथ लेकर गांजे की खेती शुरू की और कुछ ही देर में जोक्विन सही साबित हो गया. 'पूत के पांव पालने में ही दिखने' की कहावत सही साबित हो रही थी.
घरबार खुशहाल होता जा रहा था और जोक्विन गांजे के अपने खुद के धंधे से बहुत कुछ सीख रहा था. ये लगन और सीखने का माद्दा ही जोक्विन को कल का सबसे बड़ा डॉन बनाने वाली ताकत थी. 20 बरस की उम्र पार कर चुके जोक्विन को अब ये गांजे का खेत और कारोबार अपने टैलेंट से छोटा महसूस होने लगा था. उसकी भूख और सपने बड़े थे इसलिए उसने एक और फैसला लिया.
गुआडालजारा कार्टेल से जुड़ना थी उसका पहला मकसद
Loading...

मैक्सिको के ड्रग्स के कारोबार में मिगुअल गैलार्डो का ये कार्टेल उस वक्त के सबसे बड़े कार्टेल्स में शुमार था. जोक्विन अपना टैलेंट दिखाने गैलार्डो के पास पहुंचा और उससे काम मांगा. गैलार्डो टैलेंट की कद्र करता था इसलिए उसने एक मुश्किल काम जोक्विन को सौंपा.
'अगर तू ये ड्रग्स बॉर्डर पार पहुंचा सका, तो कार्टेल में तेरी जगह पक्की बच्चे.' और जोक्विन को किसी भी कीमत पर नाकाम होना मंज़ूर नहीं था. उसने अपनी अनोखी तरकीब से ड्रग्स बॉर्डर पार भेज दी. गैलार्डो की नज़र में जोक्विन 'काम का लड़का' बन गया और उसे कार्टेल में कारोबार के अहम बैकग्राउंड कामों का ज़िम्मा दिया गया जैसे कोलंबिया से मैक्सिको तक ड्रग्स लाने का शिपमेंट और लॉजिस्टिक्स का बंदोबस्त वगैरह.
फिर उसका नाम पड़ा 'चापो'
'मेरी बात याद रखना, ये बौना लड़का एक दिन बहुत ऊंचा उठेगा!' गैलार्डो ने जोक्विन के काम से खुश होकर जब ये भविष्यवाणी की, तब उसे नार्को अंडरवर्ल्ड में नया नाम मिला 'एल चापो' यानी एक बौना. साल 1985 में एक उथल पुथल मचने वाली थी, जिसका नतीजा कुछ ही देर में चापो की किस्मत का दरवाज़ा खोलने वाला था.
ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी के एक अमेरिकन एजेंट की हत्या करने के इल्ज़ाम में गैलार्डो को 1985 में गिरफ्तार कर लिया गया. गुआडालजारा कार्टेल के बॉस गैलार्डो की वापसी की उम्मीद छूटते ही कार्टेल अपने पतन की गर्त में जाने लगा. ऐसे में कार्टेल में बंटवारा तय हुआ और गैलार्डो के खास लोगों के बीच इलाके बंट गए. चापो के हिस्से में सीनालोआ और पैसिफिक कोस्ट का इलाका आया और यहां से चापो ने 1989 में अपने सीनालोआ कार्टेल की बुनियाद डाली.
सबसे खतरनाक गिरोह ऐसे बना सीनालोआ कार्टेल
देखते ही देखते चापो का कारोबार फैलने लगा और ये सीनालोआ कार्टेल दुनिया के सबसे खतरनाक अपराधी गिरोहों और नार्को अंडरवर्ल्ड का पर्याय बनने लगा. लेकिन क्या वजह थी, जो चापो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था? कुछ सीनालोआ कार्टेल की खुशकिस्मती थी और कुछ चापो का जजमेंट. इस कार्टेल के शुरू होने के कुछ सालों तक पुलिस के साथ कोई बड़ी मुठभेड़ न होना ही इसके धंधे की तरक्की की वजह बनता रहा.

इस मुठभेड़ से बचने के लिए कई नायाब तरकीबें अपनाई जा रही थीं. पहली थी सुरंग तकनीक. मैक्सिको और अमेरिका के बीच बॉर्डर इलाके में चापो ने एसी सुरंगें तक बनवाई थीं. ये एक ऐसी तरकीब थी जो इतिहास बन गई और बाद में चापो के जेल से भाग निकलने का रास्ता भी बनी. ये सुरंगें कई मिलियन डॉलरों की लागत से चापो के लिए स्किल्ड इंजीनियरों ने अपने जॉब छोड़कर बनाई थीं.
दूसरी तरकीब थी घूस. चापो का धंधा जैसे जैसे बढ़ रहा था, वैसे वैसे वह अच्छी खासी रकम सरकारी अफसरों को घूस के तौर पर खिला रहा था. ये तरकीब चापो के गैंग और पुलिस की बड़ी मुठभेड़ों को टालने में कारगर साबित हुई. और तीसरी तरकीब थी ड्रग्स छुपाने के तरीके. ड्रग्स छुपाने के नये नये और नायाब तरीके ईजाद किए गए. फायर एस्टिंग्विशर यानी अग्निशमन यंत्रों में कोकीन छुपाकर तस्करी की जा रही थी. उन कैन्स में कोकीन छुपाई जा रही थी जिन पर 'काली मिर्च' के लेबल लगे होते थे.
चापो का कद, रसूख़ और दौलत
नार्को अंडरवर्ल्ड में दुश्मनी और खतरे कम नहीं होते. ड्रग्स की तस्करी के साथ ही गैंग वॉर साथ साथ चलती रही. 2009 में टाइम पत्रिका के एक लेख में दर्ज था कि चापो के कार्टेल यानी गैंग ने पूरे मैक्सिको में कथित तौर पर एक हज़ार से ज़्यादा कत्ल किए और करवाए. चापो की ताकत और रसूख का अंदाज़ा देने के लिए यह आंकड़ा काफी था. एक और आंकड़ा ये था कि फोर्ब्स ने बिलियनेयर्स की लिस्ट में चापो का नाम शामिल किया था.
लेकिन बाद में, चापो की घोषित व अघोषित संपत्ति के बारे में सही जानकारी न होने के कारण फोर्ब्स ने चापो का नाम लिस्ट से हटाया. चापो की संपत्ति के बारे में जो आंकड़े आते रहे, उनमें माना जाता रहा कि उसकी घोषित संपत्ति भले ही एक से चार बिलियन तक नज़र आती हो लेकिन अस्ल में यह नंबर 14 से 20 बिलियन डॉलर तक हो सकता था. दूसरी तरफ दुनिया के एक और मोस्ट वॉंटेड डॉन दाऊद इब्राहीम की संपत्ति 7 बिलियन डॉलर तक आंकी गई.
अनोखी तरकीबों, नृशंस हत्याओं और भारी रिश्वत देने जैसे पैंतरों के ज़रिये चापो का कारोबार सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैला. ये भी कहा जाता है कि दुनिया के हर कोने में जो ड्रग्स इस्तेमाल की जा रही है, किसी न किसी तरह उसका एक हिस्सा चापो के खाते तक पहुंचता है. दुनिया के नार्को अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह बनने का सफर अफीम और गांजे के एक छोटे से खेत से शुरू हुआ था. एक बच्चा इस तरह कद्दावर और ख़ूंख़ार बौना बना.
(क्रमश: इस सीरीज़ में रोज़ पढ़ें एल चापो और अमेरिकन व मैक्सिन नार्को टेररिज़्म और ड्रग्स माफिया से जुड़ी एक कहानी.)
एक क्लिक और खबरें खुद चलकर आएगी आपके पास, सब्सक्राइब करें न्यूज़18 हिंदी WhatsApp अपडेट्स
अपराध की और कहानियों के लिए क्लिक करें
खुदकुशी से पहले के वो ख़त : चर्चित कवि के सेक्स और धोखे के दस्तावेज़
सवाल चर्चा में है कि वो सीरियल लवर था या सीरियल किलर?
प्यार का 'चतुर्भुज' : एक ब्रेक-अप के बाद दो मर्डर
PHOTO GALLERY : तीन कत्ल, जिनकी मास्टरमाइंड थी एक हसीना!
Loading...
और भी देखें
Updated: February 14, 2019 07:41 PM ISTवेलेंटाइन डे मर्डर: प्यार के इन्जेक्शन में भर चुका था तनाव का सायनाइड