सांकेतिक चित्र
देश दुनिया के सीरियल किलर्स #SerialKillers पर आधारित इस विशेष वीकेंड सीरीज़ में आप पिछले तीन सप्ताह में 6 कहानियां पढ़ चुके हैं. इस हफ्ते पढ़िए भारत के एक कुख्यात सीरियल किलर की कहानी जिसे भारत के जैक द रिपर का खिताब मिला लेकिन इसने जैक द रिपर से कहीं ज़्यादा कत्ल किए.
SCENE 1 – मुंबई में अहमदाबाद रोड के किनारे मलाड का स्लम इलाका. 1960 के दशक में बरसात का मौसम था और एक साये जैसा तगड़ा आदमी यहां घूम रहा था. उसके हाथ में लोहे की एक भारी छड़ जैसा औज़ार था. एक घुड़साल के पास उसे एक झोपड़ी दिखाई दी जिसके बाहर के हिस्से में एक दाढ़ी वाला आदमी सो रहा था. वह समझ गया था कि यह कोई मुस्लिम है. झोपड़ी की सांकल नहीं लगी थी. बरसात इन इलाकों में काफी शोर मचाती थी इसलिए सोते हुए आदमी को कोई आहट महसूस नहीं हुई.
साये जैसा आदमी इस सोते हुए आदमी के पास तक आ गया. उसने झोपड़ी के अंदर झांककर देखा तो कुछ सामान दिखाई दिया. झोपड़ी के भीतर दाखिल होने से पहले इस आदमी ने अपनी भारी छड़ से सोते हुए आदमी के सिर पर ज़ोर से मारी और कुछ ही सेकंड्स में उस आदमी ने तड़पकर दम तोड़ दिया. फिर वह झोपड़ी के भीतर घुसा और एक झब्बे से पैसे निकाले और उस झब्बे को अपने बैग में रख लिया. फिर उसने उस झोपड़ी से एक छाता, एक टॉर्च उठा ली और बाहर निकला. बाहर निकलकर उसने लाश को देखा और उसकी कलाई पर बंधी घड़ी भी उतार ली. फिर यह सायानुमा आदमी वहां से धीरे-धीरे ओझल हो गया.
SCENE 2 – कुछ दिनों बाद एक और ऐसी ही रात थी. इसी इलाके में एक और झोपड़ी के बाहर वही सायानुमा आदमी घूम रहा था. उस झोपड़ी में ताक-झांक करते हुए उसने एक आदमी, एक औरत और एक बच्चे को सोते हुए देखा. कुछ देर वह उन्हें देखता रहा. फिर वहां से गायब हो गया. आसपास की झाड़ियों में छुपकर वह अगले पूरे दिन इस परिवार पर नज़र रखता रहा लेकिन नज़र रखते उसे किसी ने नहीं देखा.
अगली रात बारिश का वही शोर था और यह परिवार अपनी झोपड़ी में सो रहा था. सोते हुए औरत ने करवट बदली तो इस हमलावर आदमी को उसके गले में वही सोने का हार दिखा जिस पर सुबह से ही उसका दिल आ चुका था. इस आदमी ने आसपास देखा और मौका पाते ही वह झोपड़ी को बंद करने के लिए लगाए गए सांकलनुमा तार को तोड़कर भीतर दाखिल हुआ. इस रात उसके हाथ में हथौड़े जैसा कोई औज़ार था. इस औज़ार से उसने आदमी के सिर पर तब तक हमले किए जब तक वह मर नहीं गया.
इस हमले के दौरान वह औरत और बच्ची जाग चुके थे और चीखने लगे थे. उनकी चीखें बंद करने के लिए इस आदमी ने उन्हें भी अपने हमलों से मार डाला. फिर उसने औरत के गले से वह हार खींचकर तोड़ लिया. जाने से पहले उसने उस औरत की तरफ फिर देखा और अब उसके भीतर एक और इच्छा जागी. वह उस औरत के पास आकर लेट गया. वह उस औरत के कपड़े उतार रहा था कि उसे किसी की आहट सुनाई दी. वह फौरन वहां से गायब हो गया.
SCENE 3 – सबको यह पता था कि पिछले कुछ समय से झोपड़-पट्टियों के इलाकों में नृशंस हत्याएं हो रही हैं लेकिन यह किसी को नहीं पता था कि कातिल कौन है. ऐसे ही एक स्लम इलाके में घूम रहा था यह हमलावर जिसे कोई नहीं पहचानता था. वह गोश्त की एक दुकान पर था जहां कुछ लोग इन कत्लों के बारे में बातें कर रहे थे. एक कह रहा था कि उसने देखा कि वह एक मायावी आदमी है जो एक खूंखार जानवर का भेस ले लेता है. सब ध्यान से सुन रहे थे. फिर किसी ने कहा कि उसने एक भूत जैसा उस रात एक पेड़ पर लटका हुआ देखा और वह डरकर भाग गया.
सबकी बातें सुनता हुआ वह मन ही मन खुश होता हुआ वहां से चला गया. कोई उसे भूत समझ रहा था तो कोई मायावी जानवर तो कोई अद्भुत शक्तियों वाला सुपरमैन. अब उसके मन में कोई खौफ बाकी नहीं रहा था. वह एक खंडहर जैसे वीरान मंदिर की तरफ गया और वहां एक टूटे पत्थर को काफी देर तक देखता रहा. अपने किसी शिकार के सामान से चुराए हुए रेडियो पर वह खबरें सुनता रहता था.
SCENE 4 – इन कत्लों की जांच में पुलिस कुछ कुछ बातें जान चुकी थी. पुलिस सिविल ड्रेस में ऐसे ही इलाके में घूम रही थी तभी उनकी नज़र इस आदमी पर पड़ी जिस पर एक अफसर को शक हुआ. पुलिस ने उसका नाम पूछा तो उसने कहा – ‘रमन राघव’. पूछताछ में पता चला कि कोई उसे यहां जानता नहीं. उसे पुलिस थाने ले जाया गया जहां सीनियर अफसर वाकटकर ने पूछताछ की.
वाकटकर : नाम क्या है?
हमलावर : रमन राघव.
वाकटकर : क्या करता है?
रमन राघव चुप रहा.
वाकटकर : कहां से आया है?… ये डायरी तेरी पॉकेट से मिला, इसमें ‘खल्लास’ और ‘खतम’ काय को लिखा?… मर्डर किया क्या तूने?… ऐसे नहीं बोलेगा तो रो-रोकर बोलेगा?
रमन राघव ने किसी बात का कोई जवाब नहीं दिया. गुस्से में आकर पुलिस ने रमन से सवालों का जवाब हासिल करने के लिए टॉर्चर भी किया लेकिन उसने ज़बान नहीं खोली. इस बीच, उसका आपराधिक रिकॉर्ड चेक किया गया तो पता चला कि वह लूट के इल्ज़ाम में सज़ा काट चुका है. उस पर हत्या का इल्ज़ाम था लेकिन यह साबित नहीं हुआ. इतनी पूछताछ के बाद पुलिस के पास कोई सबूत नहीं था तो वाकटकर ने रमन राघव को बुलाया और धमकी देते हुए उसे झिड़ककर कहा गया कि वह बॉम्बे में दोबारा दिखना नहीं चाहिए.
SCENE 5 – पुलिस की इस झिड़की के बाद कुछ समय तक ऐसी घटनाएं रुक गईं लेकिन फिर एक रात रमन राघव ऐसे ही एक स्लम इलाके में घूम रहा था. एक झोपड़ी में उसने दो बच्चों के साथ सोई हुई एक औरत को देखा. इस औरत को देखते ही वह गुस्से से भर गया. पिछली बार औरत के गले से छीना हार सोने का नहीं बल्कि नकली निकला था इसलिए उसके मन में अब औरतों के लिए नफरत और बढ़ चुकी थी. उसने इस बार इस नफरत को अंजाम देने का मन बना लिया था.
वह एहतियात के साथ उस झोपड़ी में दाखिल हुआ और दो-तीन बार ज़ोर से वार करते हुए उस औरत को मार डाला. बच्चों की नींद नहीं टूटी थी. उस औरत ने जो चादर ओढ़ रखा था, रमन राघव ने उसे खींचा तो देखा कि उस औरत ने कपड़े नहीं पहने थे. इसके बाद उसने झोपड़ी के बाहर आसपास देखा और किसी के न होने की तसल्ली की. फिर लाश बन चुकी उस औरत के साथ पूरी नफरत और बेदर्दी के साथ रमन राघव ने सेक्स और हिंसा की.
SCENE 6 – पुलिस महकमे के आला अफसर बदल चुके थे और एक नयी टीम ऐसी हत्याओं के मामले में तफ्तीश कर रही थी. कई जगहों पर पुलिस नज़र रख रही थी. तकरीबन दो हज़ार पुलिसकर्मी इन इलाकों में हर ज़रूरी इशारे की जानकारी जुटा रहे थे. तभी एक दिन मलाड के पास स्लम निवासी घरों में झाड़ू बर्तन का काम करने वाली मंजुलाबाई अपनी झोपड़ी के बाहर निकली तो उसने रमन को कहीं जाते हुए देख लिया. रमन ने भी देख लिया कि मंजुला ने उसे देख लिया है.
मंजुला फौरन पास की एक दुकान पर गई और वहां सिविल ड्रेस में मौजूद एक पुलिस वाले को उसने रमन राघव को देखने की जानकारी दी. इस पुलिस वाले ने अपने सीनियर अफसर को बताया – रमन राघव इज़ बैक. एक पूरी टीम को उस इलाके में तलाश के लिए भेजा गया. जहां मंजुला ने रमन को देखा था, उसके आसपास के एरिया में कई पुलिस वाले लगातार घूम रहे थे. देर शाम तक यह तलाशी चलती रही और रमन को सब आहटें मिल रही थीं. रात हुई और आहटें थम जाने के बाद रमन उस कीचड़ से निकला जिसमें वह पिछले कई घंटों से छुपा हुआ था.
SCENE 7 – रमन राघव मलाड के चिंचोली में एक स्लम इलाके में था. यहां एक दर्ज़ी की छोटी सी दुकान थी. उस रात वह दर्ज़ी वहीं था और उसकी आंख लग गई थी. रमन ने दबे पांव जाकर उस दर्ज़ी का गला चाकू से काट दिया. उसके सामान की तलाशी ली और कुछ पैसे अपनी जेब में रख लेने के बाद उसने एक अंगुश्ताने को देखा. इस अंगुश्ताने का इस्तेमाल वह दर्ज़ी सिलाई के दौरान अपनी उंगली बचाने के लिए उंगली की टोपी के रूप में करता था. रमन को यह चीज़ पसंद आई और उसने उस कढ़े हुए सुंदर अंगुश्ताने को भी अपने पास रख लिया. रमन इसे चोर बाज़ार में बेचना चाहता था.
SCENE 8 – दर्ज़ी की हत्या के दो दिन बाद खाकी हाफ पैंट और नीले रंग की मैली कमीज़ पहने हुए रमन जब बस में चढ़ा तो उसके हाथ में एक छाता और एक टॉर्च थी. हट्टे-कट्टे इस आदमी को बस में पुलिस की वर्दी में बैठे एक आदमी ने गौर से देखा. रमन अगले स्टॉप पर उतर गया तो उसके पीछे वह पुलिसमैन भी उतरा. उस दिन बारिश नहीं हुई थी, धूप खिली थी फिर भी रमन छाता और वह अंगुश्तानी हाथ में पहने हुए था. बस में भी रमन ने पुलिसमैन से नज़रें बचाने की कोशिश की थी और पीछा करने के दौरान भी रमन ने उसे कई बार पलटकर देखा तो पुलिसमैन को शक हो गया.
पुलिसमैन ने उसे जीप में बैठकर थाने चलने को कहा. रमन चुपचाप जीप में बैठकर थाने चला आया. यहां उसकी उंगलियों के निशानों की जांच करवाई गई और कत्ल के मौकों से मिले निशानों से जांच हुई तो सैंपल्स मैच हो गए. इसके बाद रमन ने किसी सवाल को कोई जवाब नहीं दिया.
SCENE 9 – सीनियर अफसर कुलकर्णी ने रमन से पूछताछ करने का मन बनाया. कुलकर्णी उसकी पूरी केस हिस्ट्री से वाकिफ थे. उन्होंने बजाय ज़ोर ज़बरदस्ती के हमदर्दी का रास्ता अपनाया.
कुलकर्णी : कोई इच्छा है? कुछ चाहिए?
रमन राघव : मुर्गी और चावल. (यह उसे दिया गया. थोड़ी देर बाद)
कुलकर्णी : और कुछ मांगता है?
रमन राघव : एक औरत के साथ सोना मांगता है.
कुलकर्णी : ये पुलिस थाना है, चकला नहीं. इसके अलावा कुछ मांगता है तो बोल.
रमन राघव : नारियल का तेल, कंघी और कांच.
ये चीज़ें भी उसे दी गईं. रमन ने तेल से सिर और बदन में मालिश की. कंघी से बाल बनाए और खुद को शीशे में देखता रहा. तभी.
रमन राघव : अब बोलो तुमको क्या मांगता है?
कुलकर्णी : वही, जो मर्डर तूने किए उसका पूरा हिसाब.
रमन राघव : ‘मरदार’. चल बताता है. 41 लोग को मारा. कैसे, कब, कहां मारा, काय से, सब बताता है. तुमको हथियार मांगता है?
इसके बाद रमन राघव हत्याओं के इलाकों में पुलिस टीम को लेकर गया और वहां छुपाए हुए चाकू, छड़, हथौड़े और लोहे का अकड़ा जैसे हथियार पुलिस को दिखाए जिनसे उसने हत्याएं की थीं. जुर्म कबूल किया और पुलिस टीम को यह भी भरोसा दिलाया कि वह कोर्ट में सब कुछ कबूल करेगा. और यह सब कुछ उसने हंसी, सुकून और बेहद शांत भाव के साथ स्वीकार किया.
कुलकर्णी : इतने लोगों को मारकर अच्छा लगता है?
रमन राघव : पता नहीं साहिब, मगर खराब नहीं लगता. जो किया ठीक किया.
कुलकर्णी : काय को मारा रे सबको?
रमन राघव : सब गलत लोग था साहिब. भगवान मेरे को बोला कि सबको मारने का. सब भगवान की कुदरत के खिलाफ था साहिब. औरत औरत का साथ, आदमी आदमी के साथ सोता था. मेरे को इन सबको मारने का था. सब गलत हो रहा मुलुक में साहिब, इसी वास्ते मेरे पास कोई रास्ता नहीं था. मैं गरीब आदमी साहिब मगर मेरे भीतर एक और आदमी, जो कमजोर नहीं. सबको मारने का, मैं गलत नहीं किया साहिब.
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Tags: Mumbai, Murder, Rape, महाराष्ट्र
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