कोरोना से ठीक हो चुका एक इंसान अगर प्लाज्मा डोनेट करता है तो उससे दो लोगो का इलाज किया जा सकता है. (Demo Pic)
नोएडा. नोएडा का चाइल्ड पीजीआई (Child PGI Noida) कोरोना पीड़ित मरीजों के लिए उम्मीद की एक किरण बना हुआ है. लेकिन इस अस्पताल की भी अपनी एक मजबूरी है. बावजूद इसके चाइल्ड पीजीआई के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एक के बाद एक फोन कॉल (Phone Call) की लाइन लगी हुई है. इतना ही नहीं जो अस्पताल तक पहुंच सकता है वो दरवाजे पर खड़े होकर डॉक्टरों से गुहार लगा रहा है. लेकिन डॉक्टर (Doctor) भी मजबूर हैं. फिर भी कुछ लोगों की मदद डॉक्टर कर चुके हैं. लेकिन इसे कोरोना से ठीक हो चुके लोगों की लापरवाही कहें या उदासीनता वो प्लाज्मा (Plasma) डोनेट करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं.
नोएडा में ठीक हो चुके 23400 लोग दे सकते हैं प्लाज्मा
चाइल्ड पीजीआई के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के मुताबिक नोएडा में वैसे तो 26 हजार लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं. लेकिन 26 हजार में 90 फीसद वो लोग हैं जिनकी उम्र 18 से 60 साल के बीच है और यह प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. लेकिन अभी तक इसमे से सिर्फ 125 लोग ही ऐसे हैं जिन्होंने ठीक होने के बाद अपना प्लाज्मा डोनेट किया है.
23400 लोगों से बचाई जा सकती है 47 हजार की जान
ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सत्यम अरोड़ा के मुताबिक अगर कोरोना से ठीक होने के बाद प्लाज्मा डोनेट करने लायक लोगों की संख्या 23400 है तो उससे 46800 कोरोना पीड़ितों की जान बचाई जा सकती है. प्लाज्मा डोनेट करने से किसी पर भी कोई दूसरा असर नहीं पड़ेगा. प्लाज्मा के तहत 400 या 500 एमएल प्लाज्मा लिया जाता है और उसे दो लोगों के चढ़ा दिया जाता है. इस प्रक्रिया में दो से तीन घंटे का वक्त लगता है.
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लेकिन हमे बड़ा अफसोस होता है जब कोई अस्पताल आता है और बिना प्लाज्मा के खाली हाथ जाना पड़ता है. इसलिए हमारी अपील है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आना चाहिए.
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