दिल्ली हाईकोर्ट में अग्निपथ योजना को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान काफी हंगामा हुआ. (Photo: News 18)
नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट में अग्निपथ योजना को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान काफी हंगामा हुआ. बताया जा रहा है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े कुछ अभ्यर्थियों ने न सिर्फ एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के लिए अमर्यादित टिप्पणियां की साथ बल्कि कैमरा ऑन करके बिना शर्ट के स्क्रीन पर नजर आए. इन सबसे नाराज दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर इसी तरह से माहौल बना रहे तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बंद कर दी जाएगी.
इससे पहले अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट मे सुनवाई टल गई. अब इस मामले में 18 नवंबर को अगली सुनवाई होगी. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओ को जवाब दाखिल करने को कहा है. केंन्द्र सरकार ने अपने जवाब में इस योजना को सही ठहराया है. केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि भारतीय सशस्त्र बलों को हर समय युवा और फिट रखने के लिए उसकी अग्निपथ योजना शुरू की गई है.
हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और डिफेंस को और अधिक मजबूत, अभेद्य बनाने के लिए शुरू की गई है. सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए योजना में कोई कानूनी कमी नहीं है. साथ ही अग्निपथ योजना की न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है. अग्निपथ योजना एक नई योजना है, जो तीन सेवाओं में भर्ती करती है. इस योजना को सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय के तहत लागू किया गया है. केंद्र सरकर ने हलफनामे में कहा कि रैलियों के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों द्वारा लगाए गए भेदभाव के आरोप गलत हैं. केंद्र ने बताया कि रैलियां चुनिंदा ट्रेडों जैसे ऑटो टेक, IAF (पुलिस), IAF (सुरक्षा), चिकित्सा सहायक, चिकित्सा सहायक (फार्मासिस्ट), व्यवस्थापक सहायक (खानपान) और शिक्षा प्रशिक्षक ट्रेडों के लिए आयोजित की जाती हैं.
स्टार परीक्षा और रैलियों के तहत होने वाली भर्ती की प्रक्रिया अलग होती है और एक-दूसरे से स्वतंत्र होती है. केंद्र का कहना है कि इस योजना कानूनी रूप से ज्यादा उपयुक्त है. इस योजना से सेना पर कम भार पड़ेगा क्योंकि रिगुलर काडर में जिन अग्निवीरों को चयन नहीं हो पाएगा वे बाहर निकल जाएंगे और उनके पास दूसरे करियर विकल्प के लिए बेहतर मौका होगा. केंद्र सरकार ने बताया कि अग्निवीरों 4 वर्ष के कार्यकाल के दौरान हर साल केवल 30 दिन का वार्षिक अवकाश अधिकृत है. कोई आकस्मिक अवकाश अधिकृत नहीं है. इसके अलावा चिकित्सा सलाह के आधार पर बीमारी की छुट्टी दी जाएगी.
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