कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आज प्रधानमंत्री की बातों से न केवल असंतुष्टि जाहिर की है. बल्कि किसान संबोधन में कही गई बातों को लेकर बड़े आरोप भी लगाए हैं.
नई दिल्ली. कृषि कानूनों (Agriculture laws) के खिलाफ पिछले 23 दिनों से आंदोलन पर बैठे किसानों से आज (शुक्रवार) देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी संवाद किया है. मध्य प्रदेश में पीएम के संबोधन के बाद अब किसानों की ओर से भी प्रतिक्रिया आ गई है. प्रधानमंत्री की बातों पर न केवल किसानों ने असंतुष्टि जाहिर की है बल्कि किसान संबोधन में कही गई बातों को लेकर बड़े आरोप भी लगाए हैं.
भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने आरोप लगाया है, ‘मोदी जी के संबोधन में सबसे बड़ा झूठ यह है कि गन्ना किसानों को 16 करोड़ की मदद की जा रही हैं. यह मदद नहीं शुगर मिल पर किसानों का बकाया है उसका भुगतान शुगर मिल (Sugar Mill) को करना था. अगर सरकार उसको दे रही है तो शुगर मिलों को मदद मिल रही है, न कि किसान को. वहीं सरकार अगर इसे इंसेंटिव के रूप में देती तो किसान को कोई लाभ होता. मोदी जी भंडारण हेतु ढांचे की बात कर रहे हैं लेकिन अपील कॉरपोरेट से की जा रही है. इसका मतलब सरकार किसान को नही एग्री बिजनेस को बढ़ावा दे रही है. खेती में निजीकरण को बढ़ावा दे रही है.’
टिकैत ने आगे कहा, ‘नवरत्न कंपनियों के निजीकरण के बाद मोदी सरकार की निगाह अब खेती के निजीकरण पर है. इसके साथ ही किसानों के साथ चर्चा की बात गलत है क्योंकि आज किसान संगठनों से कोई चर्चा नही हुई. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का दावा सरासर झूठ है. स्वामीनाथन की सिफारिश में लागत में C2+ 50% जोड़कर देने की है. लेकिन सरकार ने फार्मूला बदलकर A2+FL दिया है. जिससे किसानों का हक़ मारा जा रहा है. हमें 500 रुपये महीना की भीख नहीं समर्थन मूल्य का हक चाहिए.’
किसान नेता कहते हैं, ‘यूरिया का 5 किलो वजन घटाया जिससे किसान का नुकसान हुआ. शहद का किसान जैव परिवर्तित सरसों का विरोध कर रहा है लेकिन मोदी सरकार आगे बढ़ रही है. कृषि सुधार से किसानों का क्या लाभ होगा आज संबोधन में यह भी नहीं बताया गया.’
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