BJP सांसद ने कहा- आंबेडकर की मूर्तियां तोड़ने वाले देशद्रोही हैं

इटावा से सांसद अशोक कुमार दोहरे
मोदी जी हमारे नेता हैं. लेकिन अनुसूचित जाति और पिछड़ों पर जुल्म-ज्यादती होगी तो मैं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करुंगा, मुझे आवाज उठाने से कोई नहीं रोक सकता
- News18Hindi
- Last Updated: April 9, 2018, 12:10 PM IST
बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले, छोटेलाल खरवार, उदित राज, यशवंत सिंह और अशोक दोहरे दलित उत्पीड़न के मसले पर पार्टी से नाराज हैं. किसी ने पत्र लिखकर तो किसी ने रैली करके अपने गुस्से का इजहार किया. 'भारत बंद' के दौरान हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में दलित समुदाय की कथित 'प्रताड़ना' और पुलिस कार्रवाई के खिलाफ मुलायम के गढ़ इटावा से दलित सांसद अशोक दोहरे ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके अपनी बात रखी. hindi.news18.com ने दोहरे से दलितों से जुड़े सवाल पूछे. पेश है उनसे लंबी बातचीत के खास अंशः
सवाल: नाराजगी जाहिर करने के बाद किसी और पार्टी ने आपसे संपर्क साधा क्या?
अशोक दोहरे: दूसरी पार्टी से मेरा क्या लेना देना है? मैं तो अपनी पार्टी में रहकर आवाज उठाऊंगा. मैं बीजेपी से सांसद बना हूं. बीजेपी में रहूंगा. मैं पीएम से अपनी बात कर रहा हूं. चोरी-छिपे कोई बात नहीं कर रहा. मेरा कोई निजी मामला नहीं है. मेरी निजी शिकायत नहीं है, लेकिन जो दलित उत्पीड़न हो रहा है उसके खिलाफ हूं और हमेशा रहूंगा. इसके खिलाफ मुझे आवाज उठाने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती. मैं किसी अपराधी की सिफारिश नहीं करता, लेकिन अगर निर्दोष लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करवाया जाएगा तो मैं आवाज उठाऊंगा.
क्या किसी रणनीति का हिस्सा है दलित सांसदों का नाराज होना?सवाल: सावित्री बाई फूले की तरह कोई रैली भी करने का इरादा है क्या?
अशोक दोहरे: नहीं ऐसा कोई प्लान नहीं है. मैं 5 अप्रैल को पीएम से मिला था. उनसे वार्ता करके पत्र दिया था. उन्होंने कार्रवाई रोकने के लिए तत्काल संवेदनशीलता दिखाई थी. हालांकि कुछ राज्यों में दलितों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई चल रही है. यह सिर्फ यूपी की बात नहीं है, पूरे देश का मामला है. पीएम ने कहा था कि वह राज्य सरकारों से बात करके दलितों पर ऐसी कार्रवाई रोकने के लिए कहेंगे.
सवाल: यूपी में बाबा डॉ. बीआर आंबेडकर की नौ मूर्तियां तोड़ी जा चुकी हैं. इसे लेकर योगी आदित्यनाथ से आपकी कोई बाचतीत हुई है क्या?
अशोक दोहरे: फिलहाल तो नहीं हुई है. तोड़ने वाले आतताई लोग हैं. कुछ ऐसे लोग हैं जो भारत के संविधान में विश्वास नहीं रखते. ऐसे लोग देशद्रोही हैं. इन घटनाओं के पीछे कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो सरकार को बदनाम करना चाहते हैं. इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. अगर लोग संविधान निर्माता की मूर्तियां तोड़ेंगे, उन्हें अपमानित करेंगे तो फिर क्या बचेगा. बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ने की वजह से न सिर्फ दलितों बल्कि पिछड़ों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और सवर्ण समाज के लोगों में भी नाराजगी है. ऐसे सभी लोग नाराज हैं जो भारत के संविधान में निष्ठा रखते हैं. जो लोग डॉ. आंबेडकर की मूर्तियां तोड़ रहे हैं वे राष्ट्रभक्त नहीं हो सकते. वे देशद्रोही हैं.
सवाल: क्या आपने योगी आदित्यनाथ से बातचीत की?
अशोक दोहरे: मैं अकेले योगी सरकार की बात नहीं कर रहा. यह पूरे देश की बात है. कहीं भी मूर्ति तोड़ी जाए, आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. दलितों का उत्पीड़न कहीं भी नहीं होना चाहिए. इसीलिए मैंने सीधे दलितों से जुड़े सभी मुद्दों पर मोदी जी से मुलाकात की थी. मैं उनका कार्यकर्ता हूं, मैं बीजेपी से सांसद हूं, वो हमारे नेता हैं. उनसे हमें उम्मीद है. दलितों का उत्पीड़न करने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए. दलितों के खिलाफ पूरे देश में वातावरण बनाया गया है. दलितों की समस्याओं को लेकर हमें अलग-अलग ताले नहीं खोलना है. हमें मास्टर की लगानी है और इसीलिए हमने पीएम से बात की. किसी और से बातचीत की जरूरत नहीं है.
सवाल: दलित सांसदों की नाराजगी अब कांग्रेस भुना रही है, क्या कहेंगे आप?
अशोक दोहरे: कांग्रेस का अपना विषय है, मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. कांग्रेस, सपा, बसपा की बात नहीं करुंगा. मैं अपनी बात कर रहा हूं. मेरी अपनी कोई निजी बात नहीं है. लेकिन अगर देश में उपेक्षित वर्गों पर अन्याय, अत्याचार होगा तो मैं आवाज उठाउंगा.
सवाल: क्या बीजेपी के दलित सांसदों की नाराजगी का लाभ सपा-बसपा के नेता उठाना चाहते हैं?
अशोक दोहरे: क्या एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सपा-बसपा गठबंधन की वजह से आया? अगर वो उसकी वजह से नहीं आया तो ये समझ लीजिए कि मेरे आवाज उठाने का सपा-सपा लाभ नहीं ले पाएंगे. 2 अप्रैल को हुए दलित आंदोलन के बाद जो दलितों पर अत्याचार हो रहा है उसके खिलाफ मैंने आवाज उठाई. इससे सपा-बसपा का क्या लेना-देना?
बीजेपी सांसदों की नाराजगी से किसे मिलेगा फायदा ?
सवाल: क्या बीजेपी में आपकी आस्था बरकरार है?
अशोक दोहरे: हां, मैं बीजेपी में हूं. इसमें मेरी आस्था है. मोदी जी हमारे नेता हैं. लेकिन अनुसूचित जाति और पिछड़ों पर जुल्म-ज्यादती होगी तो मैं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करुंगा. बढ़-चढ़कर के अपनी बात कहूंगा. मैं पीएम से एक बार नहीं जितनी बार उचित होगा उनसे मिलकर अपनी बात रखूंगा.
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सवाल: नाराजगी जाहिर करने के बाद किसी और पार्टी ने आपसे संपर्क साधा क्या?
अशोक दोहरे: दूसरी पार्टी से मेरा क्या लेना देना है? मैं तो अपनी पार्टी में रहकर आवाज उठाऊंगा. मैं बीजेपी से सांसद बना हूं. बीजेपी में रहूंगा. मैं पीएम से अपनी बात कर रहा हूं. चोरी-छिपे कोई बात नहीं कर रहा. मेरा कोई निजी मामला नहीं है. मेरी निजी शिकायत नहीं है, लेकिन जो दलित उत्पीड़न हो रहा है उसके खिलाफ हूं और हमेशा रहूंगा. इसके खिलाफ मुझे आवाज उठाने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती. मैं किसी अपराधी की सिफारिश नहीं करता, लेकिन अगर निर्दोष लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करवाया जाएगा तो मैं आवाज उठाऊंगा.

अशोक दोहरे: नहीं ऐसा कोई प्लान नहीं है. मैं 5 अप्रैल को पीएम से मिला था. उनसे वार्ता करके पत्र दिया था. उन्होंने कार्रवाई रोकने के लिए तत्काल संवेदनशीलता दिखाई थी. हालांकि कुछ राज्यों में दलितों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई चल रही है. यह सिर्फ यूपी की बात नहीं है, पूरे देश का मामला है. पीएम ने कहा था कि वह राज्य सरकारों से बात करके दलितों पर ऐसी कार्रवाई रोकने के लिए कहेंगे.
सवाल: यूपी में बाबा डॉ. बीआर आंबेडकर की नौ मूर्तियां तोड़ी जा चुकी हैं. इसे लेकर योगी आदित्यनाथ से आपकी कोई बाचतीत हुई है क्या?
अशोक दोहरे: फिलहाल तो नहीं हुई है. तोड़ने वाले आतताई लोग हैं. कुछ ऐसे लोग हैं जो भारत के संविधान में विश्वास नहीं रखते. ऐसे लोग देशद्रोही हैं. इन घटनाओं के पीछे कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो सरकार को बदनाम करना चाहते हैं. इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. अगर लोग संविधान निर्माता की मूर्तियां तोड़ेंगे, उन्हें अपमानित करेंगे तो फिर क्या बचेगा. बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ने की वजह से न सिर्फ दलितों बल्कि पिछड़ों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और सवर्ण समाज के लोगों में भी नाराजगी है. ऐसे सभी लोग नाराज हैं जो भारत के संविधान में निष्ठा रखते हैं. जो लोग डॉ. आंबेडकर की मूर्तियां तोड़ रहे हैं वे राष्ट्रभक्त नहीं हो सकते. वे देशद्रोही हैं.
सवाल: क्या आपने योगी आदित्यनाथ से बातचीत की?
अशोक दोहरे: मैं अकेले योगी सरकार की बात नहीं कर रहा. यह पूरे देश की बात है. कहीं भी मूर्ति तोड़ी जाए, आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. दलितों का उत्पीड़न कहीं भी नहीं होना चाहिए. इसीलिए मैंने सीधे दलितों से जुड़े सभी मुद्दों पर मोदी जी से मुलाकात की थी. मैं उनका कार्यकर्ता हूं, मैं बीजेपी से सांसद हूं, वो हमारे नेता हैं. उनसे हमें उम्मीद है. दलितों का उत्पीड़न करने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए. दलितों के खिलाफ पूरे देश में वातावरण बनाया गया है. दलितों की समस्याओं को लेकर हमें अलग-अलग ताले नहीं खोलना है. हमें मास्टर की लगानी है और इसीलिए हमने पीएम से बात की. किसी और से बातचीत की जरूरत नहीं है.
सवाल: दलित सांसदों की नाराजगी अब कांग्रेस भुना रही है, क्या कहेंगे आप?
अशोक दोहरे: कांग्रेस का अपना विषय है, मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. कांग्रेस, सपा, बसपा की बात नहीं करुंगा. मैं अपनी बात कर रहा हूं. मेरी अपनी कोई निजी बात नहीं है. लेकिन अगर देश में उपेक्षित वर्गों पर अन्याय, अत्याचार होगा तो मैं आवाज उठाउंगा.
सवाल: क्या बीजेपी के दलित सांसदों की नाराजगी का लाभ सपा-बसपा के नेता उठाना चाहते हैं?
अशोक दोहरे: क्या एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सपा-बसपा गठबंधन की वजह से आया? अगर वो उसकी वजह से नहीं आया तो ये समझ लीजिए कि मेरे आवाज उठाने का सपा-सपा लाभ नहीं ले पाएंगे. 2 अप्रैल को हुए दलित आंदोलन के बाद जो दलितों पर अत्याचार हो रहा है उसके खिलाफ मैंने आवाज उठाई. इससे सपा-बसपा का क्या लेना-देना?

सवाल: क्या बीजेपी में आपकी आस्था बरकरार है?
अशोक दोहरे: हां, मैं बीजेपी में हूं. इसमें मेरी आस्था है. मोदी जी हमारे नेता हैं. लेकिन अनुसूचित जाति और पिछड़ों पर जुल्म-ज्यादती होगी तो मैं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करुंगा. बढ़-चढ़कर के अपनी बात कहूंगा. मैं पीएम से एक बार नहीं जितनी बार उचित होगा उनसे मिलकर अपनी बात रखूंगा.
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