प्रदूषण में पराली का योगदान मात्र 10 से 30%, तो सिर्फ किसानों पर ही FIR क्यों?

दिल्ली इन दिनों जहरीली हवा का चैंबर बन चुकी है
प्रदूषण (Pollution) बढ़ाने का खलनायक कौन, पराली (Parali) या धूल? सरकारी एजेंसियों के आंकड़े बता रहे हैं कि दिल्ली में प्रदूषण (Air pollution in Delhi) के लिए सिर्फ पराली को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता. इसके लिए रोड साइड की धूल, कंस्ट्रक्शन और वाहन बड़े कारक हैं. ऐसे में किसान संगठन सवाल उठा रहे हैं कि सिर्फ किसानों पर ही एफआईआर (FIR) क्यों हो रही.
- News18Hindi
- Last Updated: November 1, 2019, 5:54 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के प्रदूषण (Pollution) के लिए पराली (Stubble Burning) बदनाम हो चुकी है. इसे लेकर किसान सवालों के घेरे में हैं. उन पर देश की राजधानी की हवा को जहरीला करने का आरोप है. इसलिए उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा और पंजाब तक के किसानों पर एफआईआर हो रही है. राष्ट्रीय किसान संघ के फाउंडर मेंबर बीके आनंद ने सवाल उठाया है कि प्रदूषण (Air pollution in Delhi) में जब पराली का योगदान महज 10 से 30 फीसदी के बीच है तो सिर्फ किसानों (Farmers) पर ही एफआईआर (FIR) क्यों की जा रही है. कंस्ट्रक्शन (निर्माण कार्य) जैसे जो इसके दूसरे बड़े कारक हैं उसके लिए जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर क्यों नहीं?
पराली पर ये है सफर- CPCB की रिपोर्ट
वायु प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है इसके आंकड़े रोज बदलते रहते हैं. इसकी निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक संस्था है सफर (SAFAR), जिसका पूरा नाम है इंडिया सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च. इसके मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों में दूषित हवा के लिए जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का 27 प्रतिशत योगदान है.
यह बीते 15-16 अक्टूबर को 10 फीसदी से भी कम था. हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकारी एजेंसी के इस दावे को खारिज कर दिया था. केजरीवाल ने कहा था, ‘अनुमान लगाने वाला खेल’ बंद होना चाहिए और आंकड़े जारी करने वाली एजेंसियों को जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए.
हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की भी रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. बोर्ड के मुताबिक 29 अक्टूबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली का 25 फीसदी योगदान था.

किसका कितना योगदान
दिल्ली के प्रदूषण पर वर्ष 2016 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी), कानपुर ने एक स्टडी की थी. इसकी रिपोर्ट दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को सबमिट (सौंपी) की गई थी. यह रिर्पोट सार्वजनिक है. इसमें बताया गया है कि यहां प्रदूषण के लिए कौन कितना जिम्मेदार है. इस रिपोर्ट के बाद भी नेता लोग सिर्फ पराली और किसानों पर निशाना साध रहे हैं.
>>पीएम10 (पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर, ये हवा में वो पार्टिकल होते हैं जिस वजह से प्रदूषण फैलता है) में सबसे ज्यादा 56 फीसदी योगदान सड़क की धूल का है.
>>पीएम 2.5 (पीएम 2.5 का अर्थ है हवा में तैरते वह सूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोन से कम होता है) में इसका हिस्सा 38 फीसदी है.

किसानों पर दर्ज FIR पर सवाल
कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि जब दिल्ली में प्रदूषण इमरजेंसी लगा दी गई है. जब समस्या इतनी बड़ी है तो सरकार किसानों की बात क्यों नहीं सुनती. किसान पराली के निस्तारण के लिए 3000 रुपये प्रति एकड़ मांग रहे हैं. यह पैसा सरकार दे. यदि उसके बाद भी समाधान न हो तब एफआईआर करे. वरना उसे ऐसा करने का हक नहीं है.
किसान नेता बीके आनंद कहते हैं कि सरकारी एजेंसियां खुद साफ कर रही हैं कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. इसमें रोड साइड की धूल, कंस्ट्रक्शन और वाहन बड़े कारक हैं. सबसे ज्यादा एफआईआर तो दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के उन नगर निगमों और डेवलपमेंट प्राधिकरणों के अधिकारियों पर होने चाहिए जिनकी कामचोरी से सड़कों पर धूल जमा है. लेकिन सरकार के लिए सॉफ्ट टारगेट सिर्फ किसान हैं इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है.

ऑटोमेटिक मशीनों से क्यों नहीं उठवाई जाती धूल?
पर्यावरणविद् एन. शिवकुमार कहते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है. इसके लिए खुद दिल्ली के लोग सबसे बड़ी वजह हैं. यहां हमेशा नियमों को ताक पर रखकर सरकारी और निजी दोनों कंस्ट्रक्शन चलता रहता है. हम रोड साइड धूल कभी नहीं उठाते.

शिवकुमार सवाल करते हैं कि नगर निगम द्ववारा क्यों नहीं विदेशों की तर्ज पर ऑटोमेटिक मशीनें मंगाकर धूल साफ करवाई जाती? अब भी दिल्ली-एनसीआर में कंस्ट्रक्शन जारी है. रोड उखड़े हुए हैं. उनमें से धूल उड़ रही है. उद्योगों में काेयला और पेटकोक इस्तेमाल हो रहा है. अगर किसानों पर एफआईआर हो रही है तो प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार अन्य लोगों पर भी होनी चाहिए.
पराली जलाने पर कार्रवाई
पराली जलाने पर पंजाब, हरियाणा और यूपी में लगातार एक साथ सैकड़ों किसानों पर एफआईआर की जा रही है. प्रदूषण फैलाने पर ‘द एयर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट’ के तहत 500 से 15,000 रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
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पराली पर ये है सफर- CPCB की रिपोर्ट
वायु प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है इसके आंकड़े रोज बदलते रहते हैं. इसकी निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक संस्था है सफर (SAFAR), जिसका पूरा नाम है इंडिया सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च. इसके मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों में दूषित हवा के लिए जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का 27 प्रतिशत योगदान है.

दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजहें (न्यूज़ 18 ग्राफिक्स)
हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की भी रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. बोर्ड के मुताबिक 29 अक्टूबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली का 25 फीसदी योगदान था.

एक सप्ताह में कितना बढ़ गया प्रदूषण: ग्रेटर नोएडा की एक बिल्डिंग से ली गई एक सप्ताह पहले और आज की तस्वीर (Photo by N.Shivkumar)
किसका कितना योगदान
दिल्ली के प्रदूषण पर वर्ष 2016 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी), कानपुर ने एक स्टडी की थी. इसकी रिपोर्ट दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को सबमिट (सौंपी) की गई थी. यह रिर्पोट सार्वजनिक है. इसमें बताया गया है कि यहां प्रदूषण के लिए कौन कितना जिम्मेदार है. इस रिपोर्ट के बाद भी नेता लोग सिर्फ पराली और किसानों पर निशाना साध रहे हैं.
>>पीएम10 (पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर, ये हवा में वो पार्टिकल होते हैं जिस वजह से प्रदूषण फैलता है) में सबसे ज्यादा 56 फीसदी योगदान सड़क की धूल का है.
>>पीएम 2.5 (पीएम 2.5 का अर्थ है हवा में तैरते वह सूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोन से कम होता है) में इसका हिस्सा 38 फीसदी है.

दिल्ली के प्रदूषण पर आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट
किसानों पर दर्ज FIR पर सवाल
कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि जब दिल्ली में प्रदूषण इमरजेंसी लगा दी गई है. जब समस्या इतनी बड़ी है तो सरकार किसानों की बात क्यों नहीं सुनती. किसान पराली के निस्तारण के लिए 3000 रुपये प्रति एकड़ मांग रहे हैं. यह पैसा सरकार दे. यदि उसके बाद भी समाधान न हो तब एफआईआर करे. वरना उसे ऐसा करने का हक नहीं है.
किसान नेता बीके आनंद कहते हैं कि सरकारी एजेंसियां खुद साफ कर रही हैं कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. इसमें रोड साइड की धूल, कंस्ट्रक्शन और वाहन बड़े कारक हैं. सबसे ज्यादा एफआईआर तो दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के उन नगर निगमों और डेवलपमेंट प्राधिकरणों के अधिकारियों पर होने चाहिए जिनकी कामचोरी से सड़कों पर धूल जमा है. लेकिन सरकार के लिए सॉफ्ट टारगेट सिर्फ किसान हैं इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है.

नोएडा के सेक्टर-16A की एक सड़क का एक हिस्सा धूल से पटा पड़ा है
ऑटोमेटिक मशीनों से क्यों नहीं उठवाई जाती धूल?
पर्यावरणविद् एन. शिवकुमार कहते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है. इसके लिए खुद दिल्ली के लोग सबसे बड़ी वजह हैं. यहां हमेशा नियमों को ताक पर रखकर सरकारी और निजी दोनों कंस्ट्रक्शन चलता रहता है. हम रोड साइड धूल कभी नहीं उठाते.

पीएम 2.5 में किसका कितना योगदान, आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट
शिवकुमार सवाल करते हैं कि नगर निगम द्ववारा क्यों नहीं विदेशों की तर्ज पर ऑटोमेटिक मशीनें मंगाकर धूल साफ करवाई जाती? अब भी दिल्ली-एनसीआर में कंस्ट्रक्शन जारी है. रोड उखड़े हुए हैं. उनमें से धूल उड़ रही है. उद्योगों में काेयला और पेटकोक इस्तेमाल हो रहा है. अगर किसानों पर एफआईआर हो रही है तो प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार अन्य लोगों पर भी होनी चाहिए.
पराली जलाने पर कार्रवाई
पराली जलाने पर पंजाब, हरियाणा और यूपी में लगातार एक साथ सैकड़ों किसानों पर एफआईआर की जा रही है. प्रदूषण फैलाने पर ‘द एयर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट’ के तहत 500 से 15,000 रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
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