Odd-Even: चुनाव से पहले महिला वोटरों पर निगाहें, केजरीवाल देंगे विशेष रियायत!

अरविंद केजरीवाल ने परिवहन विभाग से ऑड-ईवन को लेकर राय मांगी है
पिछली बार महिला ड्राइवरों (Female drivers) और स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ-साथ स्कूली वाहनों को भी छूट मिली थी. दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने परिवहन विभाग (Transport Department) को इस छूट के लागू करने पर विचार करने और इस वर्ष भी यह छूट देने पर विचार रखने को कहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: October 7, 2019, 9:18 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) में आगामी 4 से 15 नवंबर तक ऑड-ईवन (Odd-Even) स्कीम एक बार फिर से लागू होने जा रही है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने ऑड-ईवन स्कीम को लेकर महिलाओं (Women), दो पहिया (Two Wheelers) और सीएनजी वाहनों (CNG Vehicles) को छूट देने के लिए परिवहन विभाग (Transport Department) से राय मांगी है. परिवहन विभाग को तीन दिन में यह राय अरविंद केजरीवाल को देनी है. रिपोर्ट आने के बाद दिल्ली सरकार (Delhi Government) फैसला लेगी कि इस बार के ऑड-ईवन के स्कीम में महिलाओं, दो पहिया और सीएनजी वाहनों को छूट मिलेगी या नहीं!.
दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग से राय मांगी
बता दें कि नवंबर-दिसंबर महीने में दिल्ली के आस-पास के राज्यों में पराली जलाई जाती है. इस वजह से दिल्ली गैस चैंबर बन जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन पहले सीएम ने एक शीतकालीन कार्य योजना बनाई है. इसी के तहत कुछ दिन पहले ऑड-ईवन योजना दोबारा से लागू करने की घोषणा भी हुई थी. ऑड-ईवन योजना के तहत सरकार सम-विषम नंबर के वाहनों के उपयोग का दिन तय करती है. सरकार का यह कदम उस अवधि में हवा में वाहनों के उत्सर्जन को सीमित करने के उद्देश्य से उठाया जाता है.
दिल्ली बीते कुछ सालों से पराली के कारण आने वाले धुएं का सामना कर रही है. चूंकि, दिल्ली सरकार एक्शन प्लान को लागू करने के लिए तैयार है. इसलिए सवाल यह है कि वाहन चालकों के किस सेगमेंट को वैकल्पिक दिन छूट दी जानी चाहिए? दिल्ली सरकार के मुताबिक, जनता के साथ-साथ संबंधित विभागों से भी इस मामले पर विभिन्न विचार सामने आए हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के सीएम ने परिवहन विभाग से स्पष्ट राय मांगी है. केजरीवाल ने विभाग को अगले 3 दिनों के भीतर अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है महिलाओं का मसला. महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिकोण से 2016 में इस योजना को लागू किया गया था तो सभी वाहनों में केवल महिला यात्रियों को ही छूट दी गई थी. सरकार का मानना है कि दिल्ली में महिलाएं अपने वाहनों में ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं, इस कारण पिछली बार ऐसा किया गया था.
इस बार महिलाओं को छूट मिलेगी?
पिछली बार महिला ड्राइवरों और स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ-साथ स्कूली वाहनों को भी छूट मिली थी. दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग को इस छूट के लागू करने पर विचार करने और इस वर्ष भी यह छूट देने पर विचार रखने को कहा है. पिछली बार सभी दोपहिया वाहनों को वैकल्पिक दिन के हिसाब से छूट दी गई थी. तब सरकार का मानना था कि शहर की बसों और मेट्रो रेल की मौजूदा क्षमता के साथ, सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को ले जाना संभव नहीं था. हालांकि, कुछ लोगों ने आपत्ति भी की थी.

दिल्ली में चलने वाले दोपहिया वाहनों की संख्या इस समय लगभग 70 लाख से अधिक है. अगर दो पहिया वाहनों को छूट नहीं दी जाती है तो इससे हर दिन सार्वजनिक परिवहन पर 35 लाख से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ जाएगा. मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क की वर्तमान क्षमता की समीक्षा करने और दो पहिया वाहनों को इस वर्ष छूट दी जानी चाहिए या नहीं, इस पर भी अपने विचार बताने के लिए कहा है. पहले सीएनजी वाहनों को ऑड ईवन योजना में छूट थी. सीएनजी वाहन डीजल या पेट्रोल वाहनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण करते हैं. हालांकि, ऑड-ईवन के पिछले संस्करणों में इस छूट के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की खबरें भी थीं.
दो पहिया वाहनों की संख्या लगभग 70 लाख
हालांकि यह कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार इस बात से चिंतित है कि अगर लोग सजा से बचने के लिए गलत तरीके से खरीदे गए सीएनजी स्टिकर का उपयोग कर प्रतिबंधों को दरकिनार करते हैं तो यह योजना अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल हो सकती है. केजरीवाल ने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड और सीएनजी स्टिकर के वितरण में शामिल अधिकारियों को भी एक स्थिति बनाने को कहा है. सीएम ने कहा है कि विभाग को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या वास्तविक सीएनजी वाहनों की पहचान करने का कोई तरीका है और ऐसी कार्यप्रणाली के अभाव में सीएनजी वाहनों को दी गई छूट पर विभाग के क्या विचार हैं?
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दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग से राय मांगी
बता दें कि नवंबर-दिसंबर महीने में दिल्ली के आस-पास के राज्यों में पराली जलाई जाती है. इस वजह से दिल्ली गैस चैंबर बन जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन पहले सीएम ने एक शीतकालीन कार्य योजना बनाई है. इसी के तहत कुछ दिन पहले ऑड-ईवन योजना दोबारा से लागू करने की घोषणा भी हुई थी. ऑड-ईवन योजना के तहत सरकार सम-विषम नंबर के वाहनों के उपयोग का दिन तय करती है. सरकार का यह कदम उस अवधि में हवा में वाहनों के उत्सर्जन को सीमित करने के उद्देश्य से उठाया जाता है.

दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है
इस बार महिलाओं को छूट मिलेगी?
पिछली बार महिला ड्राइवरों और स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ-साथ स्कूली वाहनों को भी छूट मिली थी. दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग को इस छूट के लागू करने पर विचार करने और इस वर्ष भी यह छूट देने पर विचार रखने को कहा है. पिछली बार सभी दोपहिया वाहनों को वैकल्पिक दिन के हिसाब से छूट दी गई थी. तब सरकार का मानना था कि शहर की बसों और मेट्रो रेल की मौजूदा क्षमता के साथ, सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को ले जाना संभव नहीं था. हालांकि, कुछ लोगों ने आपत्ति भी की थी.

केजरीवाल सरकार का 2016 में ऑड-ईवन स्कीम फेल रहा था
दिल्ली में चलने वाले दोपहिया वाहनों की संख्या इस समय लगभग 70 लाख से अधिक है. अगर दो पहिया वाहनों को छूट नहीं दी जाती है तो इससे हर दिन सार्वजनिक परिवहन पर 35 लाख से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ जाएगा. मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क की वर्तमान क्षमता की समीक्षा करने और दो पहिया वाहनों को इस वर्ष छूट दी जानी चाहिए या नहीं, इस पर भी अपने विचार बताने के लिए कहा है. पहले सीएनजी वाहनों को ऑड ईवन योजना में छूट थी. सीएनजी वाहन डीजल या पेट्रोल वाहनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण करते हैं. हालांकि, ऑड-ईवन के पिछले संस्करणों में इस छूट के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की खबरें भी थीं.
दो पहिया वाहनों की संख्या लगभग 70 लाख
हालांकि यह कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार इस बात से चिंतित है कि अगर लोग सजा से बचने के लिए गलत तरीके से खरीदे गए सीएनजी स्टिकर का उपयोग कर प्रतिबंधों को दरकिनार करते हैं तो यह योजना अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल हो सकती है. केजरीवाल ने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड और सीएनजी स्टिकर के वितरण में शामिल अधिकारियों को भी एक स्थिति बनाने को कहा है. सीएम ने कहा है कि विभाग को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या वास्तविक सीएनजी वाहनों की पहचान करने का कोई तरीका है और ऐसी कार्यप्रणाली के अभाव में सीएनजी वाहनों को दी गई छूट पर विभाग के क्या विचार हैं?
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