सीआरपीएफ अधिकारी प्रकाश रंजन मिश्रा को आठवीं बार गैलेंट्री पदक मिल रहा है
नई दिल्ली. 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीआरपीएफ अधिकारी प्रकाश रंजन मिश्रा को आठवीं बार गैलेंट्री पदक के लिए चयनित किया गया है. इससे पहले सात बार उन्हे गैलेंट्री पदक सहित कई अन्य पदक वीरता और साहस के लिए प्रदान किया जा चुका है. इस बार सीआरपीएफ अधिकारी प्रकाश रंजन मिश्रा को गैलेंट्री पदक देने की कहानी जो है वो बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अपनी टीम के साथ साल 2020 में 20 दिसंबर को एक ऐसे नक्सली को मार गिराया जिसके ऊपर करीब 152 मामले दर्ज थे. उसे कई राज्यों की पुलिस तलाश रही थी. इसके साथ ही उस पर 15 लाख रुपये का इनाम भी घोषित था.
इस नक्सली को झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा की पुलिस तलाश रही थी. उस खूंखार नक्सली का नाम जिदन गुडिया था, जो खुंटी इलाके में नक्सली संगठन पीएलएफआई का जोनल कमांडर था. इसी दौरान 20 दिसंबर 2020 को प्रकाश रंजन मिश्रा ने गुप्त सूचना के आधार पर ये कार्रवाई की थी. उनको जानकारी मिली कि खूंटी जिला अंतर्गत मुरहू थाना इलाके में कुछ नक्सली हैं. इसके बाद सीआरपीएफ अधिकारी प्रकाश रंजन के नेतृत्व में सीआरपीएफ के ही दूसरे कमांडर अधिकारी, सिपाही राजू कुमार, सुशील कुमार और योगेन्द्र कुमार की टीम ने उस इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया , उसी दौरान आमने-सामने की मुठभेड़ में 15 लाख रुपये का इनामी नक्सली जिदन गुडिया मारा गया.
हालांकि उसकी मौत के बाद ये पुष्टि हुई थी कि जो नक्सली मारा गया वो कितना खूंखार और शातिर था . इसी असाधारण वीरता और शौर्य के लिए उन चारों को गैलेन्ट्री पदक के लिए चुना गया. सीआरपीएफ अधिकारी प्रकाश रंजन मिश्रा झारखंड में करीब 100 से ज्यादा नक्सलियों का खात्मा कर चुके हैं. सीआरपीएफ अधिकारी प्रकाश रंजन मिश्रा नक्सली प्रभावित राज्यों में कोई पहचान के मोहताज नहीं हैं क्योंकि ये नक्सलियों के लिए यमराज और जंगल में रहने वाले आदिवासियों और ग्रामीणों के बेहद प्रिय मित्र समान हैं.
झारखंड के नक्सली प्रभावित कई गांवों, कस्बों में प्रकाश रंजन का बहुत मान-सम्मान है क्योंकि ये नक्सलियों के लिए काल हैं. दिल्ली स्थित सीआरपीएफ मुख्यालय में कार्यरत इनके कुछ मित्र बताते हैं कि प्रकाश रंजन अब तक करीब 100 से ज्यादा नक्सलियों का खात्मा कर चुके हैं और कई दर्जन नक्सलियों का आत्मसमर्पण भी करवा चुके हैं. जो नक्सली मुख्य धारा में लौटना चाहता है उसके लिए राज्य सरकार और वहां की पुलिस के साथ मिलकर कई दर्जन नक्सलियों के आत्मसमर्पण करवाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं .
सीआरपीएफ मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक प्रकाश रंजन को कोई भी टास्क अगर दिया जाता है तो वो खुद उस ऑपरेशन को अच्छी तरह से समझने के बाद अपने जवानों के साथ उसका जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. किसी भी ऑपरेशन को लीड करने में वो पीछे नहीं रहते हैं. साल 2012 में झारखंड के चतरा जिले जो कि बेहद नक्सल प्रभावित और बेहद खतरनाक माना जाता था उस इलाके में पोस्टिंग के दौरान जैसे ही उनके इनफॉर्मर ने यह सूचना दी कि नक्सली धीरज यादव, अरविंद भुइंया और रघुवंश यादव जैसा तीनों खूंखार नक्सली चतरा के प्रतापपुर थाना स्थित राबदा गांव में घूम रहे हैं, उन्होने तुरंत इस मामले की जानकारी लेने के बाद अपने सीनियर को सूचित करने के बाद उन तीनों नक्सलियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन के लिए निकल गए.
उसी दौरान हुई मुठभेड़ में एक नक्सली को मार गिराया इसके साथ ही बाकी के दोनों नक्सलियों को पकड़ लिया गया. उस मुठभेड़ में खुद सबसे आगे बढ़कर वो टीम को लीड कर रहे थे. नक्सलियों की बार-बार धमकी को नजरअंदाज करके जब कार्रवाई करते हुए आगे बढ़ रहे थे तभी घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने प्रकाश रंजन पर जानलेवा हमला करते हुए करीब पांच गोलियां मारींय हालांकि नक्सलियों की गोलियां प्रकाश रंजन का कुछ बिगाड़ नहीं सकी और गोली लगने के बावजूद उन्होंने एक नक्सली को अपनी ही पिस्टल से छलनी करके मार गिराया . इस वीरता और शौर्य के लिए उन्हें उस वक्त तत्कालीन और पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शौर्य चक्र से नवाजा था.
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Tags: CRPF, Gallantry Award
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