नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली में कूड़े के ढेर या कूड़े के पहाड़ काफी बड़ी समस्या बन गए हैं. हाल ही में भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगी आग के कारण निकली जहरीली गैसों को लेकर चिंता भी जताई गई थी लेकिन अब दिल्ली महिला आयोग इस मामले पर सख्त हो गया है. आयोग ने दिल्ली में लैंडफिल के आसपास रहने वाली महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का फैसला किया है. समिति इस मुद्दे पर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी.
दिल्ली महिला आयोग की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि एक विशेषज्ञ समिति बनाई जा रही है जो दिल्ली में लैंडफिल साइटों के आसपास रहने वाली महिलाओं और बच्चों के साथ-साथ लैंडफिल पर काम करने वाले दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाएगी. 25 अप्रैल को दिल्ली के भलस्वा डेयरी में लैंडफिल साइट पर भीषण आग लग गई थी. इस घटना के बाद आस-पास के रिहायशी इलाकों को हानिकारक जहरीली हवा ने अपनी चपेट में ले लिया, जिससे एक भयानक और विनाशकारी स्थिति पैदा हो गई, जिसका स्वास्थ्य और पर्यावरण पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
आयोग को पता चला कि साइट से भीषण आग लगने के कारण क्षेत्र के निवासियों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा था. निवासियों ने आयोग को सूचित किया कि आग से उत्पन्न जहरीला धुआं कई दिनों तक चलता रहा, उनके घरों में घुस गया और क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों सहित सभी निवासियों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया. दैनिक आधार पर, दिल्ली में लैंडफिल के आसपास रहने वाले लोग लैंडफिल साइटों के कारण जहरीले धुएं, असहनीय बदबू और जल प्रदूषण के शिकार होते हैं.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने 29 अप्रैल 2022 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को समन जारी कर घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी आयोग के सामने पेश हुए और मांगी गई जानकारी मुहैया कराई. इससे पता चला कि भलस्वा लैंडफिल साइट को संयुक्त दिल्ली नगर निगम ने 1994 में चालू किया था. 1994 से 2012 तक, साइट को संयुक्त दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित किया गया था, और उसके बाद साइट को उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित किया गया. इस मामले में बड़ा खुलासा करते हुए अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम द्वारा 1994 से 2019 तक 25 वर्षों तक डंप साइट को साफ करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. अक्टूबर 2019 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद ही साइट को साफ करने के लिए बायो-माइनिंग/रिमेडिएशन का काम शुरू किया गया था.
वर्तमान में, भलस्वा साइट पर दैनिक आधार पर 2200 मीट्रिक टन ठोस कचरा डाला जा रहा है. नॉर्थ एमसीडी ने कहा कि 2500 टीपीडी एमएसडब्ल्यू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के लिए आईओसीएल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन एकमात्र बोलीदाता से उच्च दर प्राप्त होने के कारण, जुलाई 2022 में नई निविदा आमंत्रित की जाएगी. तब तक, हर दिन, अधिक से अधिक कचरा जारी रहेगा लैंडफिल साइट में जोड़ा जाता रहेगा.
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