केजरीवाल सरकार ने सभी प्राइवेट अस्पतालों को आदेश दिया है कि वो अपने वार्ड के 40 फीसदी बेड कोविड मरीजों के लिए रिजर्व रखें.(प्रतीकात्मक तस्वीर: PTI)
नई दिल्ली. दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Kejriwal Govt) ने सभी निजी अस्पतालों (Private Hospitals) को भी कोरोना मरीजों (Covid-19 Patients) के लिए बेड आरक्षित रखने का आदेश जारी किया है. बुधवार को कोरोना के मामले में बढ़ोतरी और मौत की संख्या में जबरदस्त उछाल के बाद केजरीवाल सरकार ने सभी प्राइवेट अस्पतालों को आदेश दिया है कि वो अपने वार्ड के 40 फीसदी बेड कोविड मरीजों के लिए रिजर्व रखें. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने ये भी कहा है कि ज्यादा से ज्यादा मरीज होम आइसोलेशन में ही रहें. बहुत आवश्यक होने पर ही अस्पताल जाएं
बुधवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बीते कई दिनों से कोरोना के मामले बहुत तेज़ी से आ रहे हैं, जिसका प्रमुख कारण है ओमीक्रॉन वैरिएंट. अब तक यही पाया गया है कि डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा माइल्ड और कम घातक है. इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों को भी अब 40 प्रतिशत बेड आरक्षित करने के लिए कहा गया है.
40 प्रतिशत बेड सिर्फ कोरोना मरीजों के लिए
जैन ने बताया कि विदेशों से दिल्ली आने वाले लोग इस वेरिएंट से सबसे संक्रमित पाए जा रहे हैं. फिलहाल किसी भी मरीज को ऑक्सीजन लगाने की जरूरत नहीं पड़ी है और ज्यादातर मरीजों में मामूली लक्षण ही मिले हैं. दिल्ली के हालातों पर स्वास्थ्य विभाग पैनी नज़र बनाए हुए हैं. दिल्ली में कोरोना की यह 5वीं लहर है और देश में तीसरी है. दिल्ली की स्थिति फ़िलहाल नियंत्रण में है.
कितने बेड की होगी जरूरत?
दिल्ली सरकार के मुताबिक, दिल्ली में बेड भरी मात्रा में उपलब्ध हैं. उदहारण के लिए जीटीबी अस्पताल में 650 बेड रिज़र्व हैं, जिसमें कुल 20 मरीज हैं. यानी कुल बेड का सिर्फ 2-5 फीसद ही भरा है. कल तक दिल्ली में कोरोना के 531 पेशेंट एडमिट हुए हैं, जो दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं. कोरोना की पिछली लहर में इतने मामले आने पर 15 फीसदी भरे थे जो कि इस बार 3 फीसदी के आसपास है.
होम आइसोलेशन के लिए भी दिशा-निर्देश
जैन ने कहा, होम आइसोलेशन के बारे में भी दिल्ली सरकार मरीजों को जानकारी प्रदान कर रही है. मंगलवार को जिन 418 मरीजों को बेड दिए गए थे, उनमें से 308 को किसी मेडिकल सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी. सभी मरीजों की जीनोम सिक्वेंसिंग की कोई जरुरत नहीं, वो एक रिसर्च प्रक्रिया थी, ताकि ये पता लगाया जा सके कि कम्युनिटी में ओमिक्रॉन फ़ैल रहा है या नहीं. अब चूंकि ज्यादातर मरीज़ ओमिक्रॉन के ही आ रहे हैं तो सभी की जीनोम सिक्वेंसिंग काराने की कोई जरुरत नहीं. हालांकि, अभी भी रैंडम सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है.
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दिल्ली सरकार ने दिल्ली के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुचारू करने और रियल-टाइम मॉनिटरिंग के लिए सभी ऑक्सीजन टैंकों में टेलीमेट्री डिवाइस लगा रही है. इसे आपदा के वक़्त ज़रूरत के अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी. वॉर रूम से इसकी लाइव मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि वक़्त रहते ऑक्सीजन का इंतजाम किया जा सके. दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि इस बार एक भी जान ऑक्सीजन या अन्य किसी भी बुनियादी संसाधन के अभाव में न जाए.
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