नई दिल्ली: ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्र गान ‘जन-गण-मन’ के बराबर सम्मान देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. ‘जन-गण-मन’ की तरह ‘वंदे मातरम’ को भी बराबर सम्मान देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और वकील अश्विनी उपाध्याय को मीडिया में जाने को लेकर फटकार लगाई. अश्वनी उपाध्याय को याचिका दाखिल करने से पहले मीडिया में जाने पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि जब कोई याचिकाकर्ता कोर्ट से पहले मीडिया में जाता है तो इसका मतलब यह हुआ कि यह एक पब्लिसिटी स्टंट है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा नेता और पेशे से वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय को ऐसा ना करने का निर्देश दिया. एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि यह एक पब्लिसिटी स्टंट वाली याचिका लग रही है, आपको ऐसी क्या ज़रूरत है कि आप सबको यह बताएं. इससे यह लगता है कि यह पब्लिसिटी याचिका है.
इस पर अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है. हमारे पूर्वजों ने कहा है कि यह राष्ट्रीय गान के बराबर है, लेकिन इसे लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं है. इसका गलत उपयोग टीवी धारावाहिकों और पार्टियों आदि में किया गया है. अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि हमारा स्वतंत्रता-संग्राम इस गीत पर आधारित था, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले पांच सत्रों में और हमारे प्रथम ध्वज में वंदे मातरम था.
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि दिसंबर 2017 में सरकार ने राष्ट्रीय गान गाने के लिए एक अंतरस्तरीय समिति का गठन किया था, इसमें 12 सदस्य थे उन्होंने अपने कुछ सुझाव दिया था लेकिन उसपर अब तक कुछ नहीं हुआ. बता दें कि अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की है कि प्रत्येक कार्य दिवस पर सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में ‘जन-गण-मन’ और ‘वंदेमातरम’ बजाया और गाया जाए. साथ ही मद्रास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के 24 जनवरी 1950 के फैसले को ध्यान में रखते हुए संविधान सभा की भावनाओं के अनुरूप गाइडलाइन भी बनाए जाए.
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