दिल्ली HC की तल्ख टिप्पणी - नेताओं से जनता मारपीट शुरू कर दे तो आश्चर्य नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाइब्रिड मामले में अपने पुराने फैसले में संशोधन किया.
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एमसीडी कर्मचारियों को वेतन भगुतान नहीं करने को लेकर गुरुवार को दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों के पार्षदों और अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई.
- News18Hindi
- Last Updated: January 22, 2021, 9:32 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एमसीडी कर्मचारियों को वेतन भगुतान नहीं करने को लेकर गुरुवार को दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों के पार्षदों और अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने सुनवाई में यहां तक कह दिया कि अगर ऐसे मामलों में नेताओं और अधिकारियों की पिटाई हो जाए तो उस हैरानी नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति राजनीति के चलते उत्पन्न हुई है.
कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा, 'अपने नेताओं को बताएं कि उन्हें परिपक्व होना पड़ेगा और इन सबसे ऊपर उठना होगा. अगर चीजें नहीं बदलीं और ऐसे ही चलता रहा तो हमें हैरानी नहीं होगी, यदि इसमें शामिल नेता और लोगों को जनता सरेआम पीटना शुरू कर दे.'
हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि नगर निगमों और स्थानीय निकायों के बकाया कर्ज के एवज में उनसे लिए गए धन को 2 सप्ताह के भीतर उन्हें लौटाया जाए.
जस्टिस सांघी ने कहा, 'हम आप सभी (दिल्ली सरकार और नगर निगमों) से कितने खिन्न हैं, यह बता नहीं सकता. आपको कर्मचारियों की कोई फिक्र नहीं. आप पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं और आपको गरीब कर्मचारियों तथा सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों के बारे में बिल्कुल चिंता नहीं है.'
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली सरकार के राजस्व में कमी आई है लेकिन कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से विज्ञापनों पर पैसा बहाया गया, उससे सवाल जरूर खड़े होते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा, 'आपने कितना पैसा विज्ञपनों पर खर्च किया है. हम जानना चाहते हैं.' कोर्ट ने कहा कि आपके पास विज्ञापन पर खर्च करने के लिए पैसा है लेकिन एमसीडी के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए नहीं. हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हम CAG को भी इस मामले में जांच करने के आदेश दे सकते हैं.
कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा, 'अपने नेताओं को बताएं कि उन्हें परिपक्व होना पड़ेगा और इन सबसे ऊपर उठना होगा. अगर चीजें नहीं बदलीं और ऐसे ही चलता रहा तो हमें हैरानी नहीं होगी, यदि इसमें शामिल नेता और लोगों को जनता सरेआम पीटना शुरू कर दे.'
हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि नगर निगमों और स्थानीय निकायों के बकाया कर्ज के एवज में उनसे लिए गए धन को 2 सप्ताह के भीतर उन्हें लौटाया जाए.
जस्टिस सांघी ने कहा, 'हम आप सभी (दिल्ली सरकार और नगर निगमों) से कितने खिन्न हैं, यह बता नहीं सकता. आपको कर्मचारियों की कोई फिक्र नहीं. आप पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं और आपको गरीब कर्मचारियों तथा सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों के बारे में बिल्कुल चिंता नहीं है.'
'विज्ञापन के लिए पैसे हैं, सैलरी के लिए नहीं'
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली सरकार के राजस्व में कमी आई है लेकिन कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से विज्ञापनों पर पैसा बहाया गया, उससे सवाल जरूर खड़े होते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा, 'आपने कितना पैसा विज्ञपनों पर खर्च किया है. हम जानना चाहते हैं.' कोर्ट ने कहा कि आपके पास विज्ञापन पर खर्च करने के लिए पैसा है लेकिन एमसीडी के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए नहीं. हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हम CAG को भी इस मामले में जांच करने के आदेश दे सकते हैं.