दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने एक कृषि कानून की अधिसूचना जारी की, विपक्षी दलों ने साधा निशाना

वे नए कृषि कानूनों का फायदा किसानों को देना चाहते हैं जबकि किसानों को भ्रमित कर रहे हैं. (फाइल फोटो)
दिल्ली सरकार (Delhi Government) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 को 23 नवंबर को अधिसूचित किया गया था.
- भाषा
- Last Updated: December 2, 2020, 6:06 AM IST
नई दिल्ली. दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों (Agricultural laws) में से एक की अधिसूचना जारी (Notification Issued) कर दी है जबकि बाकी दो अन्य पर विचार किया जा रहा है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इस कदम को लेकर विपक्ष ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) पर निशाना साधा है. आप ने एक बयान में कहा, ' ये कानून पहले ही लोकसभा, राज्यसभा में पारित हो चुके हैं और राष्ट्रपति भी हस्ताक्षर कर चुके हैं. अब ये कानून पूरे देश में हैं. किसी भी राज्य के पास स्वतंत्र रूप से इन्हें लागू करने अथवा खारिज करने की शक्ति नहीं है. मोदी सरकार ने इन्हें पारित किया है और केवल वे ही इन्हें वापस ले सकती है.'
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 को 23 नवंबर को अधिसूचित किया गया था. उन्होंने कहा, ' बाकी दो कानूनों पर दिल्ली सरकार के विकास विभाग द्वारा विचार किया जा रहा है.' सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा कि अधिसूचना के तहत किसान अपनी फसल मंडी के बाहर सहित कहीं भी बेच सकते हैं. दिल्ली में कई साल पहले से ही फलों और सब्जियों की बिक्री विनियमन मुक्त थी और अब अनाज के लिए भी यह लागू हो गया है. हालांकि, पार्टी ने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की किसानों की मांग का खुले तौर पर समर्थन किया है. अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2014 में फलों और सब्जियों को विनियमन मुक्त किया गया था, जिसके चलते कृषि उपज विपणन समिति के प्रबंधन वाली मंडियों के बाहर भी उत्पाद बेचे जा सकते थे.
किसानों को भ्रमित कर रहे हैं
उन्होंने कहा कि अधिसूचित कानून के बाद अब इस सूची में अनाज और पोल्ट्री भी शामिल हो गए हैं. नए कानून को अधिसूचित करने के साथ ही किसानों के आंदोलन का समर्थन करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ निशाना साधा. भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने आरोप लगाया, ' अधिसूचना ने आप और केजरीवाल सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर किया है. वे नए कृषि कानूनों का फायदा किसानों को देना चाहते हैं जबकि किसानों को भ्रमित कर रहे हैं.'अधिसूचना को वापस लेने की अपील की
वहीं, इस पर आप ने पलटवार करते हुए एक बयान में कहा, ' भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि किसानों द्वारा जारी देशव्यापी आंदोलन से कैसे निपटें. इसलिए हताशा में जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है.' उन्होंने कहा कि किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है और आप उसका समर्थन करती है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी आप पर वार करते हुए कहा कि 'संकट के समय' में पार्टी ने अधिसूचना जारी की है जबकि वह किसानों के साथ खड़े होने का 'दिखावा' कर रहे हैं. सिंह के बयान के बाद आप ने पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री पर भाजपा से हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें 'भाजपा का मुख्यमंत्री' करार दिया. उधर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केजरीवाल सरकार से कथित 'किसान विरोधी' कानून की अधिसूचना को वापस लेने की अपील की.
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 को 23 नवंबर को अधिसूचित किया गया था. उन्होंने कहा, ' बाकी दो कानूनों पर दिल्ली सरकार के विकास विभाग द्वारा विचार किया जा रहा है.' सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा कि अधिसूचना के तहत किसान अपनी फसल मंडी के बाहर सहित कहीं भी बेच सकते हैं. दिल्ली में कई साल पहले से ही फलों और सब्जियों की बिक्री विनियमन मुक्त थी और अब अनाज के लिए भी यह लागू हो गया है. हालांकि, पार्टी ने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की किसानों की मांग का खुले तौर पर समर्थन किया है. अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2014 में फलों और सब्जियों को विनियमन मुक्त किया गया था, जिसके चलते कृषि उपज विपणन समिति के प्रबंधन वाली मंडियों के बाहर भी उत्पाद बेचे जा सकते थे.
किसानों को भ्रमित कर रहे हैं
उन्होंने कहा कि अधिसूचित कानून के बाद अब इस सूची में अनाज और पोल्ट्री भी शामिल हो गए हैं. नए कानून को अधिसूचित करने के साथ ही किसानों के आंदोलन का समर्थन करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ निशाना साधा. भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने आरोप लगाया, ' अधिसूचना ने आप और केजरीवाल सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर किया है. वे नए कृषि कानूनों का फायदा किसानों को देना चाहते हैं जबकि किसानों को भ्रमित कर रहे हैं.'अधिसूचना को वापस लेने की अपील की
वहीं, इस पर आप ने पलटवार करते हुए एक बयान में कहा, ' भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि किसानों द्वारा जारी देशव्यापी आंदोलन से कैसे निपटें. इसलिए हताशा में जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है.' उन्होंने कहा कि किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है और आप उसका समर्थन करती है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी आप पर वार करते हुए कहा कि 'संकट के समय' में पार्टी ने अधिसूचना जारी की है जबकि वह किसानों के साथ खड़े होने का 'दिखावा' कर रहे हैं. सिंह के बयान के बाद आप ने पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री पर भाजपा से हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें 'भाजपा का मुख्यमंत्री' करार दिया. उधर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केजरीवाल सरकार से कथित 'किसान विरोधी' कानून की अधिसूचना को वापस लेने की अपील की.